मजदूर जिन्हें नहीं मिल पा रहा है मजदूरी का पैसा.
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कामगारों की बढ़ी मुश्किलें, नहीं मिल पा रहा कमाया गया रुपया
मजदूर जिन्हें नहीं मिल पा रहा है मजदूरी का पैसा. डोरीगंज (छपरा) : बड़े नोट बंद होने से बढ़ीं कामगारों की मुश्किले न तो अब कोई काम करा रहा और नही काम किए मेहनत की मजदूरी ही मिल पा रही है. घरो में अनाज खत्म और चूल्हो बूझे पड़े है. बावजूद उम्मीद लेकर काम की […]
डोरीगंज (छपरा) : बड़े नोट बंद होने से बढ़ीं कामगारों की मुश्किले न तो अब कोई काम करा रहा और नही काम किए मेहनत की मजदूरी ही मिल पा रही है. घरो में अनाज खत्म और चूल्हो बूझे पड़े है. बावजूद उम्मीद लेकर काम की तलाश में रोज शहर तथा गांव के गलियों की खाक छानते फिर रहे है.
मजदूरो के मुताबिक घर दूकान व प्रतिष्ठानो की बात क्या करे आये दिन सभी जगह आड़े आ रही खुल्ले पैसे की किल्लत के कारण अब तो किसानो के खेतो में भी काम मिलना मुश्किल हो गया है. दो जून की परिवार के लिए रोटी मिलना भी मुहाल होता जा रहा है. शेरपुर गांव निवासी मजदूर अजय सिंह बंगाल से बिहार में रहकर रोजी रोटी कमा रहे मजदूर रंगलाल सिंह, बाबूलाल मांझी, अशद इमाम, भूषण मांझी, कैलाश राम, बिगन मांझी, बलेश्वर राम भिखारी राम, बुधन चौधरी, शिवलगन राम आदि एक नही बल्कि सैकड़ो मजदूर परिवारो का यह हाल है मजदूरो के मुताबिक कही काम की बात पक्की होती भी है तो लोग भी खुल्ले पैसे न होने की मजबूरी बताकर मेहनत की मजदूरी भी उधार लगा देते है. मजबूरन एक दिन मिलने की आस मे करना पड़ता है.
ॉकरीम मियां ने बताया कि अब तक डेढ हजार की उधारी कमा चूके पर अभी तक एक पैसे नही मिले ऐसे मे कब तक काम चलेगा कुछ समझ मे नही आता. मजदूरो ने बताया कि जो पैसे कमाए थे वह भी बैक को दे आये और अब रूपये निकालने मे ही दिनभर बैको मे ही बीत रहा है. वहीं बैको से मिले दो हजार के बड़े नोट भी गांव मे राशन वाले खुल्ले का अभाव बताकर लेने से इंकार कर रहे है. जिसको लेकर कैसे परिवार चलेगा कि चिन्ता मे एक-एक दिन बड़ी मुश्किल से गुजर रहा है.
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