सोनपुर : विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेला की खासियतों में यहां लगने वाले चिड़िया बाजार का विशेष महत्व है. जिस प्रकार यह मेला दुनिया का सबसे बड़ा व ऐसा अनूठा मेला है, जहां हर प्रकार के पशु बिकते व खरीदे जाते हैं. उसी प्रकार यह दुनिया का इकलौता स्थान है, जहां चिड़ियों का बाजार लगता है.
मेला के उत्तरी दिशा में काफी लंबे-चौड़े स्थान पर यह बाजार लगा करता था. हालांकि वन्य जीव अभिरक्षण अधिनियम का असर कहें या कई प्रकार के पक्षियों के विलुप्त होने व अाधुनिकता की दौड़ में अंधाधुंध जीवन शैली अपनाने का असर, अब यह बाजार सिमट कर दो-तीन गलियों में आ गया है. बावजूद इसके आप यहां भारत में पायी जाने वाली 1200 जाति-प्रजाति या संसार में मिलने वाले तीन हजार प्रजाति के पक्षियों को ढूंढ़े तो मिल जायेंगे. यहां के चिड़िया बाजार से कई ऐतिहासिक कथाएं भी जुड़ी है. जिस जमाने में केवल कबूतर ही पत्र भेजने के साधन थे. अकबर ने 50 हजार कतूबर इस काम के लिए पाल रखे थे.
बताया जाता है कि वे कबूतर सोनपुर मेले से ही खरीदे जाते थे. बताया जाता है कि भारतीय तोते सोनपुर मेले से ही यूनान भेजे जाते थे. सिकंदर जब भारत से लौटा, तब अपने साथ सोनपुर मेले से खरीदे गये तोते ले गया था. उसके पश्चात ही पूरे यूरोप में तोतों को पसंद किया जाने लगा और यह अत्यंत लोकप्रिय पक्षी हो गया. आप पूरे मेले को घूमे. घूमते-घूमते जब थक जायें तो चिड़िया बाजार चले जायें, वहां आपकी पूरी थकान काफूर हो जायेगी.चिड़िया बाजार छोटे बच्चों को आकर्षित करता है. नवाबों के जमाने में यह बाजार तीतर लड़ाने व कबूतरबाजी के लिए प्रसिद्ध था.
क्या कहते हैं व्यवस्थापक
वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के लागू होने के बाद इस बाजार में उसी जीव, जंतु, पशु की बिक्री होती है, जो वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम से बाहर हों. इस वर्ष अभी तक व्यापारी नहीं आये हैं. प्रतीक्षा हो रही है.
निपेंद्र कुमार, व्यवस्थापक, चिड़िया बाजार