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अगलगी रोकने को बेतुका फरमान जारी कर रहे नीतीश : रूडी

घटनाओं में गरीबों की दुनिया ही उजड़ जाती है छपरा : राज्य के असंतुलित विकास की देन हैं झोंपड़ियां और कच्चे मकान. बिहार में कच्चे मकानों व झोंपड़ियों की संख्या कम होने के बजाय दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. राज्य में लगभग 10 से 20 फीसदी झोंपड़ियां हैं. तेज गरमी पड़ने पर यहां अगलगी […]

घटनाओं में गरीबों की दुनिया ही उजड़ जाती है

छपरा : राज्य के असंतुलित विकास की देन हैं झोंपड़ियां और कच्चे मकान. बिहार में कच्चे मकानों व झोंपड़ियों की संख्या कम होने के बजाय दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. राज्य में लगभग 10 से 20 फीसदी झोंपड़ियां हैं. तेज गरमी पड़ने पर यहां अगलगी की घटना आम बात है. ऐसी घटनाओं में गरीबों की दुनिया ही उजड़ जाती है. ऐसे लोगों के प्रति हमारी गहरी संवेदना है. मेरे संसदीय क्षेत्र में भी लगभग एक हजार घर अगलगी की घटना में जल गये, लोग बेघर हो गये.
पर, संवदेना शून्य सरकार ने दिन भर चूल्हा जलाने और हवन- धूप जैसे धर्म-कर्म पर ही प्रतिबंध लगा दिया है. राज्य सरकार का यह जनविरोधी आदेश मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजनीतिक दिवालियेपन का प्रतीक है. उक्त बातें केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता सह संसदीय कार्य राज्यमंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहीं.
उन्होंने राज्य में सत्तारूढ़ दलों से सवाल किया कि उनके विकास के दावे का सच यही है कि आज समस्त बिहारवासियों को पक्का मकान नसीब नहीं हो सका. यह स्थिति चंद वर्षों में नहीं बनी है. आजादी के बाद से कांग्रेस लगातार सत्ता में रही, उसके बाद 15 वर्षों तक राजद के बैनर तले लालू-राबड़ी का राज रहा और 15 वर्षों से नीतीश कुमार व उनकी पार्टी राजद यू सत्तासीन है. ये तीनों दल कांग्रेस, राजद और जदयू ही अभी बिहार की सत्ता पर काबिज हैं.
जब भी चुनाव आता है, तो झुग्गियों व कच्चे मकानों को पक्के मकानों में तब्दील करने की बात ये करते हैं, पर इसके लिए इन्होंने किसी ठोस योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया. राज्य में व्याप्त गरीबी के कारण ही झोंपड़ियों और कच्चे मकानों की बहुतायत है, जहां अगलगी की घटनाएं होती रहती है. इसके लिए गरीब नहीं, सरकार जिम्मेवार है. केंद्रीय मंत्री ने सवाल करते हुए कहा कि पूजा-पाठ, हवन अनुष्ठान आदि राज्य के लिए किस प्रकार से हानिकारक हैं?
सरकार या सरकारी आदेश किसी धर्म के खिलाफ नहीं हो सकता. धार्मिक अनुष्ठान के अंतर्गत हवन-यज्ञ आदि सदियों से चली आ रही हमारी परंपरा है. उन्हें राज्य की जनता को बताना होगा कि उन्होंने उनकी धार्मिक आस्था को ठेस क्यों पहुंचायी. इस पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं है. मंत्री श्री रूडी ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या यह सच नहीं है कि अपने शासन की विफलता को छिपाने के लिए इस प्रकार के उटपटांग दिशा-निर्देश जारी किये जा रहे हैं.

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