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धड़ल्ले से हो रही तस्करी

बालू उत्खनन पर रोक है, लेकिन माफियाओं व बिचौलियों की चांदी कट रही है. रोक के बावजूद बालू का उत्खनन धड़ल्ले से हो रहा है. उठाव तथा ढुलाई भी बेरोक-टोक जारी है. वहीं दूसरी ओर बालू के अभाव में विकास कार्यों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. गुड्डू राय छपरा (सारण) : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल […]

बालू उत्खनन पर रोक है, लेकिन माफियाओं व बिचौलियों की चांदी कट रही है. रोक के बावजूद बालू का उत्खनन धड़ल्ले से हो रहा है. उठाव तथा ढुलाई भी बेरोक-टोक जारी है. वहीं दूसरी ओर बालू के अभाव में विकास कार्यों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है.
गुड्डू राय
छपरा (सारण) : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नदियों से बालू के उत्खनन, उठाव तथा ढुलाई पर रोक लगा दी है. गंगा, सरयू तथा गंडक नदियों से घिरे इस जिले में लंबे समय से बालू का व्यवसाय व्यापक स्तर पर होता आ रहा है.
प्रतिदिन करोड़ों रुपये का बालू व्यवसाय यहां होता है, जिससे हजारों की संख्या में मजदूरों-व्यवसायियों की रोजी-रोटी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं. नाव, ट्रक, ट्रैक्टर चलाने वालों के जीविका का मुख्य साधन बालू की ढुलाई ही है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश से बालू उत्खनन पर रोक लगायी गयी है. इस वजह से बालू के व्यवसाय ने तस्करी का स्थान ले लिया है. दिन के उजाले में चलने वाला यह कारोबार अब रात के अंधेरे में काले धंधे की तरह किया जा रहा है.
पुलिस, माफिया-बिचौलियों की चांदी : बालू उत्खनन, उठाव तथा ढुलाई में माफिया व बिचौलिये सक्रिय हैं. रात के अंधेरे में उत्खनन हो रहा है. उत्खनन के बाद उठाव तथा ढुलाई भी रात के अंधेरे में की जा रही है. सोनपुर से लेकर छपरा तक गंगा नदी के तटवर्ती इलाके में बालू की तस्करी करने वालों की सक्रियता बढ़ गयी है. विभिन्न घाटों पर सोन के लाल बालू का उठाव ट्रकों पर हो रहा है और यहां से मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सीवान, उत्तर प्रदेश के देवरिया, बलिया, मऊ, गोरखपुर आदि स्थानों पर ले जाया जा रहा है.
बालू की हो रही अवैध तस्करी में कई थानों की पुलिस की भी संलिप्तता की बात कही जा रही है. सोनपुर थाना क्षेत्र के सबलुपर, दिघवारा के आमी, अवतार नगर थाना क्षेत्र के हराजी, झौवा, डोरीगंज थाना क्षेत्र तिवारी घाट, रहरिया घाट आदि जगहों से बालू का अवैध उठाव तथा ढुलाई की जा रही है. डोरीगंज थाना क्षेत्र में डकैती के दौरान पुलिस द्वारा बालू के ट्रकों से अवैध उगाही में व्यस्त रहने की बात कह कर ग्रामीण आंदोलन भी कर चुके है. वहीं सोनपुर थाना क्षेत्र के नजरमीरा गांव के लोग बालू माफियाओं से त्रस्त होकर वरीय पदाधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं.
राजस्व की हो रही है हानि : ट्रिब्यूनल की रोक के कारण सरकार ने भी रोक लगा दी है, लेकिन अवैध ढंग से हो रहे कारोबार के कारण सरकार को राजस्व नहीं मिल रहा है. एक माह पहले दो हजार रुपये में मिलने वाला 100 मन बालू की कीमत छह हजार रुपये हो गयी है. पहले से बालू जमा करने वालों की चांदी कट रही है. बालू के हो रहे खनन तथा उठाव के एवज में सरकार को राजस्व भी नहीं मिल रहा है. नगरा, परसा, डोरीगंज, के इलाके में खनन विभाग द्वारा बालू लदे कई ट्रकों को जब्त किया जा चुका है और उन पर जुर्माना लगाये जाने के बावजूद बालू की तस्करी का धंधा रूक नहीं रहा है.
मजदूर हो गये बेकार : रोक के कारण हजारों मजदूर बेरोजगार हो गये हैं. नदीसे बालू का उत्खनन करने वाले, नाव पर बालू लादने-उतारने वाले, ट्रक-ट्रैक्टर पर बालू लादने-उतारने वाले मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. बालू व्यवसाय करने वालों के समक्ष भी भुखमरी की स्थिति बनी हुई है. ट्रक तथा ट्रैक्टर परिचालक भी परेशान हैं. उन्हें भी ढुलाई के लिए माल नहीं मिल रहा है.

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