हर रोज कटते हैं औसतन चार से पांच स्थानों पर ओएफसी तथा 30 से 35 स्थानों पर अंडर ग्राउंड केबल
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एक माह में 121 जगह कटा ओएफसी
हर रोज कटते हैं औसतन चार से पांच स्थानों पर ओएफसी तथा 30 से 35 स्थानों पर अंडर ग्राउंड केबल विकास के बदले कटे केबल को जोड़ने में 90 फीसदी बीएसएनल की ऊर्जा होती है खर्च छपरा (सदर) : आज की संचार क्रांति के युग में जबकि 90 फीसदी कार्य मोबाइल, कंप्यूटर, मेल, एसएमएस आदि […]
विकास के बदले कटे केबल को जोड़ने में 90 फीसदी बीएसएनल की ऊर्जा होती है खर्च
छपरा (सदर) : आज की संचार क्रांति के युग में जबकि 90 फीसदी कार्य मोबाइल, कंप्यूटर, मेल, एसएमएस आदि के माध्यम से ही संपन्न कराये जाते हैं, वैसी स्थिति में प्रमंडल में प्रतिदिन औसतन चार से पांच स्थानों पर ओएफसी तथा 30 से 35 स्थानों पर भूमिगत केबल के काटने से संचार व्यवस्था पूरी तरह बाधित हो रही है. संचार निगम के केबुल को मनमाने ढंग से संवेदक या उनके कर्मियों द्वारा काटे जाने तथा इस पर प्रशासन द्वारा रोक लगाने में लापरवाही हर वर्ग के संचार उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का सबब बन गया है.
बीएसएनएल की कनेक्टिवटी खराब होने या ठप होने की मुख्य वजह केबल कटना: ओएफसी (ऑप्टिकल फाइबर केबुल) का उपयोग एक एक्सचेंज से दूसरे एक्सचेंज को जोड़ने के लिए तथा अंडर ग्राउंड केबल का उपयोग विभिन्न स्थानों पर लगाये गये बीएसएनएल के सेट को जोड़ने के लिए किया जाता है. प्रतिदिन चार से पांच ऑप्टिकल केबल कटने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चार जनवरी से पांच फरवरी के बीच 121 बार ओएफसी विभिन्न स्थानों पर काटे गये हैं.
वहीं, इस अवधि में अंडरग्राउंड केबल कटने की संख्या 900 से भी ज्यादा है. महाप्रबंधक कहते हैं कि प्रशासनिक, न्यायिक या विभिन्न कार्यालयों में चलनेवाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण इस पर निर्भर हैं. परंतु, सड़क नाला निर्माण से जुड़े संवेदक या कर्मी एक तो गड्ढा खोदते समय उसे बचाने की जरूरत नहीं समझते, दूसरे उस केबल को ऊपर छोड़ने के बदले ढंक देते हैं.
ऐसी स्थिति में दो-दो दिन तक स्वाभाविक रूप से संचार व्यवस्था एक्सचेंज टू एक्सचेंज या कई एक्सचेंज के क्षेत्र में ठप पड़ जाता है. प्रशासन के द्वारा इस क्षेत्र में सार्थक पहल कर केबल काटने की गतिविधियों पर रोक लगाने की व्यवस्था नहीं की जाती है, तो स्वाभाविक रूप से प्रमंडल के उपभोक्ताओं को बीएसएनएल की सुविधा का बेहतर लाभ नहीं मिल पायेगा.
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