सीवान : जिले के पचरुखी प्रखंड के पपौर गांव के महदेइया टीले का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा किया जा रहा परीक्षण उत्खनन लग रहा है कि अब अंतिम चरण में है.
गुरुवार को करीब 17 फुट से अधिक खुदाई होने के बाद रंगीन चमकीले पॉट्री के टुकड़े व अन्य पुरातात्विक अवशेषों निकलना बंद हो गया है.
एएसआइ की टीम को लग रहा है कि अब इसके नीचे मानव सभ्यता के अवशेष नहीं है. 15 मीटर गुना 15 मीटर के दायरे में हो रहे परीक्षण उत्खनन में करीब 10 फुट नीचे साधु-संतों के पहनने वाला मिट्टी की तीन कंठियां तथा करीब आठ फुट लंबे चूल्हे के अवशेष मिले थे. इसके अलावा रंगीन मिट्टी के बरतनों के टुकड़े, गुप्तकालीन पॉट्री व ईंट के टुकड़े भी मिले हैं.
भारतीय पुरातत्व विभाग के सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ जेके तिवारी ने बताया कि गुरुवार की खुदाई में कुछ नहीं मिला. हम एक-दो दिनों तक और खुदाई करेंगे. उसके बाद कुछ नहीं मिला, तो इस काम को बंद कर देंगे. उन्होंने बताया कि जहां से चूल्हों के अवशेष मिले हैं, उसकी रिकॉर्डिग के अलावा अन्य सूचना एकत्रित कर ली गयी हैं.
उन्होंने बताया कि करीब 10 फुट के बाद मिले चूल्हों के स्थान की खुदाई नहीं की जायेगी. विभाग द्वारा 15 मीटर गुना 15 मीटर के दायरे में उत्खनन करने का आदेश मिला है.
अब देखना है कि उत्खनन बंद होने के बाद एएसआइ का क्या रुख होता है. इधर, पावा उन्नयन ग्राम समिति के संयोजक कुशेश्वर नाथ तिवारी ने बताया कि बिहार पुरातत्व निदेशालय के निदेशक डॉ अतुल कुमार वर्मा शीघ्र ही पपौर गांव का दौरा कर इस क्षेत्र को देखने के लिए आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र को सरंक्षित करने के लिए उनसे आग्रह किया जायेगा ताकि भविष्य में इस क्षेत्र का उत्खनन करने की जरूरत पड़े, तो किसी प्रकार की परेशानी न हो.