छपरा (सदर) : राज्य सरकार प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कई कारगर कदम उठा रही है. इसके तहत किसानों को खेतों में पुआल जलाने पर कार्रवाई, सरकारी या निजी निर्माण कार्य के दौरान धूल उड़ने पर कार्रवाई, 15 साल से ज्यादा के वाहनों के प्रदूषण जांच के बिना परिचालन पर कार्रवाई आदि को ले निर्देश जारी किये है.
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कचरा जलाने से बढ़ा प्रदूषण, लोग हो रहे बीमार
छपरा (सदर) : राज्य सरकार प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कई कारगर कदम उठा रही है. इसके तहत किसानों को खेतों में पुआल जलाने पर कार्रवाई, सरकारी या निजी निर्माण कार्य के दौरान धूल उड़ने पर कार्रवाई, 15 साल से ज्यादा के वाहनों के प्रदूषण जांच के बिना परिचालन पर कार्रवाई आदि को ले निर्देश […]
परंतु, एक ओर सरकार किसानों को पुआल जलाने पर कार्रवाई की बात कहती है. परंतु, अन्य शहरी क्षेत्रों को छोड़ दे तो, छपरा नगर निगम क्षेत्र में ही निगम व पदाधिकारियों के उदासीनता व सफाई मजदूरों की कारगुजारियों के कारण सैकड़ों स्थानों पर झाड़ू लगाने के बाद एकत्र कचड़े को प्रति दिन जलाया जाता है.
यहीं नहीं छपरा शहर के पश्चिम बने डंपिंग यार्ड में कचरा जलाने, शहर के मध्य मुख्य सड़क पर विश्वेश्वर सेमिनरी स्कूल के पास नगर निगम के द्वारा रखे गये डस्टवीन में पूरे दिन-रात कचरा जलाया जाता है. परंतु, कर्मियों की कारगुजारी व पदाधिकारियों की उदासीनता से जलने वाले प्लास्टिक के विभिन्न पैकेट सामान, रस्सी आदि से निकलने वाली जहरीली गैस को रोकने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं होती.
यहीं नहीं डंपिंग यार्ड में कचरा जलाये जाने को लेकर श्यामचक के सैकड़ों मुहल्लावासियों द्वारा डीएम को ज्ञापन देकर कचरा जलाने व खुले में डपिंग यार्ड होने से निकलने वाली बदबू व होने वाली परेशानी के मद्देनजर डीएम को ज्ञापन देकर रोक लगाने की मांग भी कर चुके है. सरकार ने 15 साल से ज्यादा दिनों के वाहनों के बिना प्रदुषण जांच के परिचालन पर रोक लगा दी है.
परंतु, 15 वर्ष से ज्यादा समय के सैकड़ों पुराने इंजन वाले और केरोसिन तेल पर चलाने वाले जुगाड़ गाड़ियों से निकलने वाला धुएं छपरा के विभिन्न मुहल्लों के लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. वहीं इस संबंध में पूछे जाने पर डीटीओ जयप्रकाश नारायण ने कहा की वैसा कोई आंकड़ा परिवहन विभाग के पास नहीं है कि 15 साल से ज्यादा समय की गाड़ियां विभिन्न विभागों में कितनी है.
वन विभाग की देख-रेख में तथा प्रशासन की योजनाओं के तहत पेड़ पौधे तो लगाये जाते है परंतु, उन पेड़ों को बचाने के प्रति न तो पदाधिकारी न पंचायत प्रतिनिधि और न आमजन जागरूक है. वहीं वन विभाग अपने मुख्यालय के आदेश का अनुपालन करने की दिशा में उदासीन है.
ग्रामीण कर चुके हैं धरना और प्रदर्शन
छपरा शहर से डोरीगंज मार्ग में लगने वाले मार्ग में 15 किमी में अधूरे सड़क निर्माण व लगने वाले जाम के अलावा छपरा-नगरा राजमार्ग मेथवलिया से पश्चिम जाने वाली सड़क के पश्चिमी हिस्से पर अधूरे सड़क से उड़ने वाली धूल के अलावा श्यामचक, नेवाजी टोला चौक से भिखारी ठाकुर चौक जाने वाली सड़क में उड़ने वाली धूल से प्रतिदिन हजारों राहगीरों के अलावा दो दर्जन गांवों के लाखों की आबादी विगत दो साल से परेशान है. धूल उड़ने से परेशान छपरा-डोरीगंज मार्ग के कई गांवों के ग्रामीणों ने रोड जाम व धरना प्रदर्शन भी किया है. परंतु, समस्याएं जस की तस है.
शहर के कुछ मार्गों में निजी या सरकारी निर्माण के दौरान भी खासकर निजी निर्माणकर्ताओं द्वारा निर्माण या मकान के ध्वस्त करने के दौरान मानकों को पूरी तरह से नजर अंदाज किया जा रहा है, जिससे आसपास के लोग परेशान होते है. परंतु, न तो नगर निगम और न जिला प्रशासन के पदाधिकारी ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जरूरत समझते है.
क्या कहते हैं डीएम
सरकार के निर्देश के आलोक में प्रदूषण में कमी लाने के लिए 15 वर्ष से ज्यादा समय के वाहनों के प्रदूषण जांच कराने के साथ-साथ छपरा नगर निगम क्षेत्र में कचरा जलाने पर रोक लगाने का हर संभव प्रयास किया जायेगा. वहीं ग्रामीण क्षेत्र में पुआल जलाने या शहर में कचरा जलाने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी.
सुब्रत कुमार सेन, डीएम, सारण
छपरा शहर व आस-पास की हवा ज्यादा प्रदूषित
सफाई के मानकों को नजर अंदाज करने, दर्जन भर मुहल्लों में महीनों से जल जमाव, शहर की मुख्य व्यवसायी मंडी हथुआ मार्केट आदि दर्जनों स्थानों पर गंदगी, जलजमाव के साथ प्लास्टिक आदि कचरा जलाने के कारण जल, हवा जहां प्रदूषित हो रही है. वहीं निर्धारक मानक से ज्यादा तेज आवाज में प्रतिबंधित आवाज में भी लाउडस्पीकर, डीजे बजाने से शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक लोग परेशान है. परंतु, प्रशासनिक स्तर पर दावे तो किये जाते है.
परंतु धरातल पर कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती. वहीं ग्रामीण क्षेत्र में किसान अपने पुआल को भी जलाते है, जिससे निकलने वाली कार्बन मोनोअक्साइड, मिथेन आदि गैसों के कारण, दम्मा, फेफरा आदि से जुड़ी जानलेवा बीमारियां होती है. वहीं जलजमाव के कारण जिले में सैकड़ों लोग डेंगू से प्रभावित है.
क्या कहते हैं चिकित्सक
पुआल जलाने से ज्यादा हानिकारक शहरी क्षेत्र में प्लास्टिक आदि से बने बैग, रस्सी, बोरा आदि जलाना है. इनके जलाने से दमा, फेफरा आदि जानलेवा बीमारियां होती है. वहीं जलजमाव से जल जनीत रोगों के साथ डेंगू का खतरा बढ़ा है. सरकार को पुआल के साथ शहर में भी ठोस कचरा अपशिष्ट प्रबंधन को धरातल पर उतारने की जरूरत है. पानी, हवा और ध्वनी प्रदुषण में कमी लाकर कई गंभीर बीमारियों बचा जा सकता है.
डॉ एसके मिश्र, सर्जन, छपरा
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