छपरा (सदर) : सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित न्यायादेश के आलोक में गठित समिति द्वारा विधवाओं की जमीन रजिस्ट्री कराने के पूर्व अनुमंडल पदाधिकारी या उनके समकक्ष पदाधिकारी की रिपोर्ट जारी होती है. इसमें उनके द्वारा यह रिपोर्ट निबंधन कार्यालय को दी जायेगी कि संबंधित विधवा बिना दबाव या जोर जबर्दस्ती के अपनी संपत्ति बेच रही है.
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश का नहीं हो रहा पालन
छपरा (सदर) : सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित न्यायादेश के आलोक में गठित समिति द्वारा विधवाओं की जमीन रजिस्ट्री कराने के पूर्व अनुमंडल पदाधिकारी या उनके समकक्ष पदाधिकारी की रिपोर्ट जारी होती है. इसमें उनके द्वारा यह रिपोर्ट निबंधन कार्यालय को दी जायेगी कि संबंधित विधवा बिना दबाव या जोर जबर्दस्ती के अपनी संपत्ति बेच रही […]
इस संबंध में बिहार सरकार के मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन के उप निबंधन महानिरीक्षक के द्वारा सभी जिला अवर निबंध एवं अवर निबंधक को 8 अक्तूबर, 2018 को पत्र भेजा गया था.
इसमें सर्वोच्च न्यायालय में दायर रिट पेटिशन (सिविल) नंबर -659/2017 का हवाला देते हुए विधवा महिलाओं की भूमि बेचने के पूर्व उनके बयान दर्ज करने तथा रिपोर्ट देने का निर्देश संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी या उसके समकक्ष पदाधिकारी को दिया गया है. परंतु, सारण जिले में सैकड़ों विधवा महिलाओं को सुप्रीम कोर्ट के आदेश तथा निबंधन विभाग के पत्र को नजरअंदाज कर महीनों अनावश्यक अनुमंडल से लेकर प्रखंड स्तर तक लंबित रखा जा रहा है.
इससे संबंधित विधवा अपनी जमीन जरूरत के अनुसार चाहकर भी नहीं बेच पा रही है. यही नहीं जब अनुमंडल पदाधिकारी को इस संबंध में पत्र प्राप्त हो रहा है, तो अनुमंडल स्तर से पत्र संबंधित सीओ को भेज दिया जा रहा है. इसके बाद संबंधित विधवा के पंचायत क्षेत्र में आने वाले राजस्व कर्मचारी को जांच का जिम्मा दे देते हैं.
ऐसी स्थिति में राजस्व कर्मचारी संबंधित विधवा की जमीन का सत्यापन करने लगते है. जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि जमीन की स्थिति की जांच नहीं करनी है बल्कि जमीन बिक्री करने वाली विधवा से यह पूछना है कि वह बिना किसी दबाव एवं जोर-जबर्दस्ती से जमीन रजिस्ट्री कर रही है. इसी बयान को एसडीओ के द्वारा निबंधन कार्यालय को भेजना है.
कोर्ट के निर्देशानुसार इसमें अनुमंडल पदाधिकारी के अलावा उसके स्तर के ही पदाधिकारी विधवा का बयान ले सकते हैं तथा रिपोर्ट दे सकते हैं. परंतु, स्थिति यह है कि महिला का बयान लेने के बदले पंचायत सचिव सीओ के निर्देशानुसार उसकी जमीन की स्थिति का आकलन करने लगते हैं, जिससे वह चाहकर भी महीनों बाद जमीन नहीं बेच पा रही है. इसका एक उदाहरण छपरा सदर अनुमंडल है.
यहां विभिन्न प्रखंडों में विगत कई माह से 225 से ज्यादा जमीन निबंधन के लिए विधवा की रिपोर्ट देने के लिए आवेदन लंबित है. वहीं कुछ पंचायत सचिवों के दोहन की प्रवृत्ति भी महिला की जमीन बेचने में बाधक बन रही है. इससे वह अपने जीवन-यापन, बेटी की शादी, बेटे की पढ़ाई-लिखाई आदि का कार्य भी चाहकर नहीं कर पा रही हैं.
जानकारी के अनुसार छपरा सदर अनुमंडल द्वारा विभिन्न अंचल में भेजे गये आवेदनों में बनियापुर में 16, जलालपुर में 20, छपरा सदर में 83, एकमा में 20, मांझी में 16, रिविलगंज में 13, गड़खा तथा नगरा में 12-12, मकेर तथा परसा में 9-9, लहलादपुर में आठ आवेदन विधवाओं के बयान के लिए लंबित है. संबंधित पक्षकार जिन्हें जमीन निबंधित करानी है तथा वो विधवा जिसे जमीन बेचनी है, दोनों परेशान हैं.
इस संबंध में पूछे जाने पर प्रभारी सदर एसडीओ संजय कुमार ने कहा कि दो दिन पूर्व ही उन्हें अतिरिक्त प्रभार के रूप में सदर अनुमंडल पदाधिकारी का दायित्व मिला है. वे इस मामले की पड़ताल कर विधवाओं के संबंध में दी जानेवाली रिपोर्ट के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करेंगे.
मामला विधवाओं की जमीन की बिक्री का
एसडीओ या उनके समकक्ष पदाधिकारी को ही विधवाओं का बयान लेकर देनी है निबंधन विभाग को रिपोर्ट
विधवाओं का बयान लेने के बदले राजस्व कर्मचारी उनकी जमीन का कर रहे हैं सर्वेक्षण
क्या कहते हैं डीएम
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश व अवर निबंधन विभाग के निर्देशानुसार विधवाओं की जमीन रजिस्ट्री के पूर्व उनके स्वतंत्र बयान लेने तथा रिपोर्ट अनुमंडल पदाधिकारी के स्तर से ही निबंधन विभाग को देने का निर्देश है. सभी अनुमंडल पदाधिकारियों से इस संबंध में जानकारी लेकर महिलाओं के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने की समीक्षा करेंगे, जिससे संबंधित विधवा को अपनी इच्छा से जमीन बेचने में अनावश्यक परेशानी तथा किसी प्रकार का दोहन नहीं हो.
सुब्रत कुमार सेन, डीएम, सारण
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