छपरा (सदर) : छपरा शहर व प्रस्तावित नगर निगम क्षेत्र में आने-वाली लाखों की आबादी को जलजमाव एवं गंदगी से राहत दिलाने के लिए जिला प्रशासन, नगर निगम आदि के द्वारा समय-समय पर करोड़ों की योजनाएं बनायी गयीं.
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करोड़ों हुए खर्च, जलजमाव से निजात नहीं
छपरा (सदर) : छपरा शहर व प्रस्तावित नगर निगम क्षेत्र में आने-वाली लाखों की आबादी को जलजमाव एवं गंदगी से राहत दिलाने के लिए जिला प्रशासन, नगर निगम आदि के द्वारा समय-समय पर करोड़ों की योजनाएं बनायी गयीं. यही नहीं इन जलनिकासी योजनाओं पर काम भी हुए, परंतु जलनिकासी की समस्या जस की तस रह […]
यही नहीं इन जलनिकासी योजनाओं पर काम भी हुए, परंतु जलनिकासी की समस्या जस की तस रह गयी है. ऐसी स्थिति में हल्की बारिश में भी शहर व आसपास का एरिया कीचड़ युक्त जलजमाव के क्षेत्र में तब्दील हो जाता है.
इसकी वजह जलनिकासी के लिए बनाये जाने वाली योजनाओं को धरातल पर उतारने के साथ-साथ उसको अंजाम तक पहुंचाने के प्रति संबंधित विभागों के पदाधिकारियों की उदासीनता है. ऐसी स्थिति में यदि जलजमाव की समस्या से निजात के लिए प्रशासनिक रवैया व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता ऐसी ही रही, तो भले ही राशि खर्च हो परंतु जनता को जलजमाव से निजात नहीं मिल पायेगी.
जलजमाव की समस्या जस की तस : छपरा शहर के ऐतिहासिक खनुआ नाला की सफाई व जलजमाव की समस्या से निजात दिलाने के लिए विगत तीन से चार दशकों तक प्रशासन लगातार दावे तथा करोड़ों की राशि भी खर्च की.
परंतु, न तो शहर के दक्षिणी छोड़ और न शहर के उत्तरी छोड़ पर जलनिकासी की व्यवस्था ही सुदृढ़ हो पायी. इसी प्रकार गत वर्ष 2018 में छपरा लोको शेड से उत्तर पूरब साढ़ा आरओबी के पश्चिम से 25 लाख रुपये की लागत से नाला बनाकर तथा उस नाले को पश्चिम से पूरब साढ़ा ईदगाह की बगल वाले नाले से जोड़ने का कार्य हुआ. इस कार्य को जिला पर्षद व जिला प्रशासन की देख-रेख में कराया गया.
परंतु, ईदगाह की बगल से गुजरने वाला नाला जो पूरी तरह अतिक्रमण के साथ-साथ जंगल के रूप में तब्दील है, उसे साफ करने की जरूरत न तो पंचायत प्रशासन न निगम और न जिला प्रशासन ने समझी. यही नहीं शहर के पानी को साढ़ो रेलवे लाइन के नीचे से उत्तर की तरफ ईदगाह के बगल वाले नाले में बेरोक-टोक गिराने के लिए रेल पटरी के नीचे नाला सफाई की योजना बनी.
परंतु, वह योजना भी कागजों में ही रह गयी. इसी प्रकार प्रभुनाथ, नगर, साढ़ा, शक्ति नगर, छपरा कचहरी लोको शेड कॉलोनी, उमानगर कॉलोनी आदि आधा दर्जन मुहल्लों के हजारों परिवार सालों भर जलजमाव से त्रस्त हैं. इसे लेकर छपरा सांढ़ा मुख्य मार्ग से पश्चिम टाड़ी गांव जाने वाली सड़क के पास निर्मित बिहार राज्य आवास बोर्ड के जर्जर फ्लैटों के निकट तक सात मीटर चौड़ी ढ़लाई की सड़क तथा दोनों तरफ नाला निर्माण के लिए साढ़े चार करोड़ रुपये की योजना पर काम हो रहा है.
परंतु, वहां भी कार्य निर्माण में सबसे बड़ी बाधा अतिक्रमण तथा उसे हटाने के प्रति प्रशासनिक उदासीनता है. इस संबंध में आरसीडी के कार्यपालक अभियंता द्वारा जिला प्रशासन को पत्राचार भी किया गया है. परंतु, एक पखवारे के बाद भी इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई.
यदि इस मार्ग से अतिक्रमण हटाने या भूमि अधिग्रहण, प्रस्तावित सड़क एवं नाला निर्माण के लिए नहीं किया गया, तो न तो सड़क मानक के अनुसार बनेगा और न नाला. ऐसी स्थिति में पूरे क्षेत्र के जलजमाव को नाले के माध्यम से सांढ़ा वाली सड़क के पूरब बड़े नाले में मिलाकर जलनिकासी की समस्या अधूरी रह जायेगी.
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