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जून तक वैज्ञानिक विधि से चलेगा उत्खनन का कार्य
छपरा : पुरातत्व विभाग तथा डेकन कॉलेज के अलावा देश-विदेश के दर्जन भर विशेषज्ञों की टीम की उपस्थिति में सारण के चिरांद में नवपाषाणकालीन स्थल पर सोमवार से उत्खनन का कार्य शुरू हुआ. इस अवसर पर पुरातत्व विभाग के निदेशक अतुल कुमार वर्मा ने इस दौरान विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि 10 x 10 […]
छपरा : पुरातत्व विभाग तथा डेकन कॉलेज के अलावा देश-विदेश के दर्जन भर विशेषज्ञों की टीम की उपस्थिति में सारण के चिरांद में नवपाषाणकालीन स्थल पर सोमवार से उत्खनन का कार्य शुरू हुआ. इस अवसर पर पुरातत्व विभाग के निदेशक अतुल कुमार वर्मा ने इस दौरान विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि 10 x 10 मीटर एक टेंच को चार भाग में बांटकर उत्खनन होगा.
प्रतिदिन पांच से 10 सेंटीमीटर तक की खुदाई होगी. वहीं वैज्ञानिक विधि से होने वाली इस खुदाई के बाद मिट्टी को छाना जायेगा तथा पुन: मिट्टी हटाकर सतह को ब्रश से साफ किया जायेगा तथा देखा जायेगा कि इसमें कोई संरचना है या नहीं. यदि संरचना मिलती है तो, आगे की खुदाई संरचना के बगल में की जायेगी. साथ ही इसका सेक्शन भी मेंटेन किया जायेगा. परत की मार्किग की जायेगी. इससे पता चलेगा कि खुदाई में निकले अवशेष किस काल के हैं उसके हिसाब से ही उसके विशेषज्ञ अपना विचार देंगे.
खुदाई में मिले पूरे अवशेष का थ्री डी रेकॉर्ड होगा. साथ ही जो बर्तन के टुकड़े मिलते हैं उसका भी रेकाॅर्ड कर कई विधियों से उत्खनन का कार्य होगा. उत्खनन का कार्य जून तक चलेगा. इस अवसर पर बिहार सरकार के अवकाशप्राप्त आरकियोलॉजी एवं म्यूजियम के 96वर्षीय निदेशक डॉ वीएस वर्मा का चिरांद पहुंचने पर बुके देकर स्वागत किया गया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह वही जगह है जहां पर खुदाई से उन्हें ख्याति मिली.
इस दौरान डेकन कॉलेज पुणे के डॉ प्रमोद शिवराल्कर, अर्पिता विश्वास, तारिका तांबोकी, पटना विश्वविद्यालय के डॉ मो. इशफाक खान, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रो. प्रकाश सिन्हा, डेकन कॉलेज पुणे के प्रो. सुस्मादेव, डॉ आरती देश पांडेय मुखर्जी, डॉ पंकज गोयल, अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ विसकाउंसिल के डॉ रांडल लॉ, प्रो. मार्क केनाय, डॉ टेरेसा रेक्झंक, कनाडा के टोरंटो यूनिवर्सिटी के प्रो. हैदर मीकर, डॉ कल्याण चक्रवर्ती, बीएसआइपी लखनऊ के डॉ अनिल पुछरिया के अलावा चिरांद विकास परिषद के सचिव श्रीराम तिवारी, रघुनाथ सिंह, रामेश्वर सिंह, श्यामबहादुर सिंह आदि उपस्थित थे. मालूम हो कि उत्खनन कार्य 26 फरवरी से ही होनेवाला था. परंतु, पुरातात्विक टीम के आने के बाद स्थल चयन से लेकर साफ-सफाई आदि करने में हुए विलंब के कारण चार मार्च से कार्य शुरू हुआ.
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