18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मांझी थाना खुद अपनी सुरक्षा के लिए भगवान के सहारे

मांझी : 14 पंचायत के लोगों को सुरक्षा देने वाला मांझी थाना खुद अपनी सुरक्षा के लिए भगवान के सहारे हैं. संसाधनों की कमी की झेल रहे इस थाने में न मालखाना है और न पुलिस पदाधिकारियों व कर्मियों को रहने का ठिकाना है. इसी का नाम है मांझी थाना. बिहार और उत्तर प्रदेश की […]

मांझी : 14 पंचायत के लोगों को सुरक्षा देने वाला मांझी थाना खुद अपनी सुरक्षा के लिए भगवान के सहारे हैं. संसाधनों की कमी की झेल रहे इस थाने में न मालखाना है और न पुलिस पदाधिकारियों व कर्मियों को रहने का ठिकाना है. इसी का नाम है मांझी थाना. बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित यह थाना अपराध, तस्करी के दृष्टिकोण से काफी संवेदनशील है. इस पर नियंत्रण करने के लिए जिले के अन्य थानों की तुलना में यहां अधिक संसाधनों की जरूरत है. मगर ऐसा नहीं है.

थाने में अलग-अलग पालियों में गश्ती करने वाले पुलिस पदाधिकारी राम भरोसे गश्ती करते हैं. आम लोगों को सुरक्षा देने वाले खुद ही असुरक्षित हैं. असुरक्षित रहकर आम लोगों को सुरक्षा कैसे देंगे? यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है. मांझी थाना क्षेत्र का 17 किलोमीटर का क्षेत्र उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से सटा हुआ है और यह क्षेत्र काफी दुर्गम है. इस सीमा को सरयू नदी विभाजित करती है. मंझनपुर पूरा से लेकर जई छपरा तक पूरा सरयू नदी का तटवर्ती क्षेत्र उत्तर प्रदेश से सटा हुआ है. संसाधनों की कमी के कारण पुलिस चाह कर भी कुछ नहीं कर पाती है. बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद से सीमावर्ती इलाके से शराब की तस्करी खूब हो रही है.

संसाधनों की कमी का भरपूर लाभ तस्करी करने वाले उठा रहे हैं. सरयू नदी के रास्ते तस्करी कर शराब लायी जा रही है. उन्हें पकड़ने के लिए मांझी थाने की पुलिस के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं. सीमावर्ती थाने की दुर्गम भौगोलिक बनावट होने के बावजूद मूलभूत सुविधाओं की कमी है. लंबा-चौड़ा क्षेत्र होने के बावजूद थाने में एक पुरानी पुलिस जीप है जिसके सहारे पुलिस अपनी काम निबटाने के लिए मजबूर हैं. पुरानी जीप से थाना क्षेत्र में तीन गश्ती के अलावा वीआईपी ड्यूटी भी इसी के सहारे है. यूपी का सीमा क्षेत्र होने से इस थाने को अति महत्वपूर्ण माना जाता है. सबसे बड़ी चुनौती है उत्तर प्रदेश से हो रहे शराब की तस्करी को रोकना.

महिला पुलिसकर्मी थाने से बाहर रहने को मजबूर
थाने में पदस्थापित पुलिस पदाधिकारी व पुलिसकर्मी पुराने भवन में रहते हैं . बरसात के मौसम में रात में बैठ कर पुलिस कर्मी रात बिताते हैं. पुराने जर्जर खपरैलनुमा भवन में पुलिसकर्मियों का मेस चलता है. वर्तमान में जिस भवन में ऑफिस चल रहा है उसकी छत भी जर्जर हो गयी है. इसी भवन के एक कोने में किसी तरह पुलिस पदाधिकारी व जिला शस्त्र पुलिस के जवान रहते हैं. इन दिनों बारिश हो रही है जिसके कारण पुलिसकर्मियों की नींद उड़ गयी है. वर्तमान मे चल रहे कार्यालय भवन की पूरी छत से पानी अंदर गिर रहा है.
थाने में मालखाना नहीं होने के कारण खुले आसमान में समान रखे जाते हैं. कबाड़खाने की तरह सभी समान रखे जाते हैं. कुर्की जब्ती कर लाये गये सामान को रखने के लिए कोई जगह नहीं है.
कुर्की-जब्ती के सामान चौकी, टेबुल, मोटर साइकिल के अलावा अन्य सामान सड़ रहे है. इन दिनों हो रही बारिश ने थाना की सूरत ही बिगाड़ दी है. खुले आसमान के नीचे रखे सामान सड़ रहे हैं. मालखाना भवन नहीं रहने के कारण जब्त शराब को थानाध्यक्ष के आवास में रखा जाता है.
करवटें बदल आशंका के बीच गुजारते हैं रात

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें