मांझी : प्रखंड के अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्र बिना संसाधन के ही कुपोषण से जंग लड़ रहे हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों में भवन, शौचालय व शुद्ध पेयजल की सुविधा का घोर अभाव है. ऐसी स्थिति में इन केंद्रों पर पढ़ने के लिए आने वाले बच्चों को मानक के अनुरूप सुविधा नहीं मिल पा रही है. बाल विकास परियोजना के तहत संचालित अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्र किराये के मकान में चल रहे हैं.
पेयजल के लिए सरकारी भवन वाले केंद्रों में आरओ तो लगा दिया गया है,लेकिन किराये के मकान में चलने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों पर चापाकल की भी व्यवस्था नहीं है. कई ऐसे केंद्र हैं, जहां शौचालय भी नहीं है. मांझी पूर्वी, महम्मदपुर, डुमरी, मांझी पश्चिमी, कौरूधौरू, चेफुल आदि समेत किराये के मकान वाले केंद्रों में शौचालय व पेयजल की सुविधा नहीं है.
सबसे बड़ी समस्या है कि कुल 230 आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जिनका अपना भवन नहीं है. यह आंगनबाड़ी केंद्र किराये के भवन में ही जैसे-तैसे चल रहे हैं. कोई एक कमरे तो, कोई दो या तीन कमरों में संचालित हो रहा है. कई जगहों पर जहां एक ही कमरा है. वहां बच्चों की पढ़ाई तो होती हैं, साथ ही पोषाहार के लिए किचेन भी उसी कमरे में चलता है. पोषाहार भवन उसी कमरे में चलने के कारण लकड़ी के चूल्हे से धुआं निकलता है और इससे बच्चों को काफी परेशानी होती है. जिस कारण पढ़ने वाले बच्चे बीच में ही पढ़ाई छोड़ कर कमरे से बाहर निकल जाते है. इसके अलावा बारिश के मौसम में कई जगहों पर पुराने भवन की छत से पानी टपकता है और बच्चे भीगने लगते हैं. यह देखकर बच्चे केंद्र में नहीं रुकते है. किसी भी केंद्र पर मानक के अनुरूप संसाधन नहीं है. संसाधनों की कमी के कारण है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में नामांकित बच्चों की अपेक्षा उपस्थित बच्चों की संख्या में बराबर गिरावट देखी जा रही है. इस उक्त समस्याओं के बीच ही बाल विकास परियोजना कुपोषण से जंग लड़ रहा है.संसाधनों की कमी से परियोजना का उद्देश्य अधर में दिख रहा है. प्रखंड की लेजुआर पंचायत के बनवार, बलेशरा के समतापार, महम्मदपुर, मांझी पूर्वी के चैनपुर केंद्रों के भवन का निर्माण कार्य कई वर्ष से अधूरा पड़ा है.