छपरा (सारण) : जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से आउट सोर्सिंग एजेंसी के चयन में व्यापक स्तर पर अनियमितता सामने आयी है और इस मामले में प्रमंडलीय आयुक्त नर्मदेश्वर लाल ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पत्र भेज कर उच्च स्तरीय जांच की अनुशंसा की है. उच्च न्यायालय की ओर से सीडब्लूजेसी नंबर 5171/17 में पारित आदेश के अनुपालन के लिए आयुक्त ने मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. आयुक्त ने अपने आदेश में कहा कि जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा निविदा आवंटन तथा कार्यादेश निर्गत करने में नियमों की
अवहेलना की गयी है. उन्होंने कहा कि त्रुटिपूर्ण तरीके से खास व्यक्ति, समूह, संस्था का चयन अवैध रूप से वित्तीय लाभ पहुंचाने की नीयत से किया गया है, जिसमें स्वास्थ्य समिति के पदाधिकारियों- कर्मचारियों की मिलीभगत स्पष्ट रूप से परिलक्षित होताी है. आदेश में आयुक्त ने कहा है कि इसकी पुष्टि अभिलेखों, कागजातों का अवलोकन एवं सुनवाई के दौरान पेश किये गये तथ्यों से स्पष्ट हुआ है. आयुक्त ने अपने आदेश में कहा है कि इस मामले में अलग से उच्च स्तरीय जांच टीम गठित कर पूरे मामले की व्यापक स्तर पर गहन जांच कराने की जरूरत है. आयुक्त ने कहा है कि जांच का कार्य स्वास्थ्य समिति की बाइलॉज आलोक में सक्षम प्राधिकार से कराने की अनुशंसा की है.
क्या कहते हैं अधिकारी
पटना उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन के लिए सुनवाई की गयी और इस पूरे मामले में उच्च स्तरीय जांच की अनुशंसा की गयी है.
नर्मदेश्वर लाल, प्रमंडलीय आयुक्त, सारण
क्या है मामला
जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से वर्ष 2016 -17 के लिए आउट सोर्सिंग एजेंसी के चयन के लिए टेंडर निकाला गया और एजेंसी का चयन किया गया, जिसमें अनियमितता बरतने के खिलाफ ज्ञान ज्योति ग्रामोत्थान समिति ने पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. दायर याचिका में लगाये गये आरोपों के उच्च न्यायालय ने प्रमंडलीय आयुक्त को जांच कर कार्रवाई करने का आदेश 16 मई, 2017 को दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि सारण जिले में सदर अस्पताल, रेफरल अस्पतालों, अनुमंडलीय अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों,
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में विभिन्न सेवाओं को प्रदान करने के लिए आउट सोर्सिंग एजेंसी का चयन किया गया. खास कर अस्पतालों में वार्ड ब्वाय, सुरक्षा गार्ड, भोजन की आपूर्ति, अस्पतालों की साफ- सफाई, कपड़े की धुलाई, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी की सेवा, जेनरेटर सेवा समेत छह तरह की सेवाएं शामिल हैं.
क्या है अनियमितता
जांच में पूरी प्रक्रिया में अनियमितता उजागर हुआ है. कार्यादेश निर्गत करने में राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देशों की अनदेखी की गयी है. एजेंसी के चयन के लिए तैयार की गयी तुलनात्मक विवरणी में अनियमितता उजागर हुआ है. वैसे संस्था व फर्म का चयन किया गया है, जो निविदा की शर्तों का पालन नहीं करती है.
शर्त संख्या 5 के अनुसार निविदाकर्ताओ को ईएसआइ एवं ईपीएफ में 100 कर्मियों का निबंधन होना अनिवार्य है, लेकिन नियमों के विपरीत भाभा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सर्विसेज, अंग फाउंडेशन, प्रो नवल किशोर सिंह स्मृति सेवा संस्थान एवं क्राक्सी सिक्युरिटी प्रा लि को कार्यादेश निर्गत किया गया, जबकि इन संस्थानों का कर्मचारी राज्य बीमा निगम में निबंधन नहीं है. जांच में यह बात भी सामने आयी है कि जिला
पदाधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित कार्यादेश में जन कल्याण समिति और क्राक्सि सिक्युरिटी प्रा लि का चयन केवल चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी की सेवा देने के लिए किया गया था, लेकिन जिला स्वास्थ्य समिति के कार्यक्रम प्रबंधक ने अवैध रूप से कार्यादेश में छेड़छाड़ कर क्राक्सि सिक्युरिटी प्रा लि को अन्य सेवा भी दे दिया गया. मजे की बात यह है कि जिस कार्य के लिए टेंडर भी जिस संस्था ने नहीं भरा था, उसे भी कार्यादेश निर्गत कर दिया गया है. इस पूरे मामले में डीपीएम धीरज कुमार की भूमिका संदेहास्पद रही है.