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बदलते मौसम के बीच वैकल्पिक खेती की तैयारी
छपरा (सदर) : दक्षिण तथा पूरब में क्रमश: गंगा व गंडक से घिरे सारण जिले में संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ की आशंका जिला प्रशासन के लिए सिरदर्द साबित हो रही है. एक ओर जिला प्रशासन गंडक तथा गंगा नदियों में पानी बढ़ने के बाद सोनपुर, छपरा सदर, दिघवारा, रिविलगंज, गड़खा, पानापुर, तरैया प्रखंडों में जिला […]
छपरा (सदर) : दक्षिण तथा पूरब में क्रमश: गंगा व गंडक से घिरे सारण जिले में संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ की आशंका जिला प्रशासन के लिए सिरदर्द साबित हो रही है.
एक ओर जिला प्रशासन गंडक तथा गंगा नदियों में पानी बढ़ने के बाद सोनपुर, छपरा सदर, दिघवारा, रिविलगंज, गड़खा, पानापुर, तरैया प्रखंडों में जिला प्रशासन संभावित बाढ़ से निबटने की तैयारी में है. वहीं दूसरी ओर जुलाई के प्रथम सप्ताह में प्रथम 10 दिनों में औसत से ज्यादा बारिश के बावजूद विगत पांच दिनों से कड़ाके की धूप से जिले में सूखे की संभावना ने जिला प्रशासन व कृषि विभाग को इसके मद्देनजर वैकल्पिक खेती की तैयारी तथा डीजल अनुदान आदि की तैयारी शुरू कर दी है.
जुलाई के तीसरे सप्ताह के अंतिम दौर में धान की रोपनी किसानों के लिए काफी खर्चीला हो गया है.150 से 170 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से निजी नलकूप से सिंचाई कर धान रोपनी को किसान मजबूर हैं. वहीं जुलाई के प्रथम व द्वितीय सप्ताह में औसत से ज्यादा बारिश के कारण जिन किसानों ने अपनी धान की फसल रोप दी है. उनके खेतों में जहां लगातार धूप के कारण दरारें पड़ गयी हैं, तो सैकड़ों किसान अपनी धान की फसल को बचाने के लिए पंपिंग सेट चलाकर सिंचाई कर रहे हैं. जिले में 90 फीसदी तालाब या चंवर में बारिश का पानी नहीं है. किसानों के खेत पानी के अभाव में तेज धूप के बाद उजले व धूल-धूसरित हो गये हैं.
ऐसी स्थिति में जिले में अभी तक महज 22 फीसदी धान रोपनी का दावा कृषि विभाग कर रहा है. परंतु, कृषि विभाग के पदाधिकारी भी प्रकृति पर आश्रित सारण जिले में खरीफ फसल के भविष्य को लेकर सशंकित होने के साथ-साथ किसानों को कम पानी की खपत वाली फसल रोपने के लिए तैयारी करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. जिले में 66 हजार हेक्टेयर में धान तथा 33 हजार हेक्टेयर में मक्के की खेती का लक्ष्य का निर्धारित है.
धान की कम पानी में उपज वाली वेराइटी के अलावा मरूआ, उड़द, अड़हर, मूंग आदि की खेती पर जोर : सुखाड़ की आशंका के मद्देनजर जिला कृषि विभाग ने कम बारिश तथा कम दिनों में बेहतर उपज देने वाली धान की वेराइटी सुभागिन लगाने के अलावा किसानों को मरूआ, उड़द, मूंग, अड़हड़, तील आदि फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. जो फसल काफी कम बारिश में भी उपजती है.
इसके लिए अड़हड़, धान की फसलों पर सरकार की तरफ से बीज पर अनुदान देने की व्यवस्था की गयी है. जिससे कम बारिश के बावजूद फसलों का उत्पादन बेहतर हो सके. वहीं सरकार के द्वारा किसानों को सिंचाई के बेहतर संसाधन उपलब्ध कराने के लिए नहर प्रमंडल, नलकूप विभाग आदि को भी किसानों को बेहतर सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है. इसके अलावा सरकार हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी खासकर वैसे प्रखंड जहां सूखे की ज्यादा संभावना तथा बाढ़ की आशंका नहीं है, जैसे लहलादपुर, बनियापुर, नगरा, जलालपुर, इसुआपुर, मशरक आदि प्रखंडों में सूखे से निबटने के लिए वैकल्पिक खेती पर जोर दे रही है.
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