28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अनंत चतुर्दशी : सेहत से भी जुड़े हैं कच्चे सूत के धागे

14 लोक के प्रतीक हैं कच्ची सूत की गांठें, रक्त को नियंत्रित करने में करती है सहायता अनंतधारण मंत्र अनंतसंसार महासमुद्रे मग्नं समभ्युद्धरवासुदेव, अनंतरूपे विनियोजयस्व हृयनंतरुपाय नमो नमस्ते. समस्तीपुर : पूजा व व्रत गृहस्थ जीवन में तप के समान माना गया है. इससे न सिर्फ मन को शांति मिलती है, स्वास्थ्य पर भी अनुकूल असर […]

14 लोक के प्रतीक हैं कच्ची सूत की गांठें, रक्त को नियंत्रित करने में करती है सहायता

अनंतधारण मंत्र
अनंतसंसार महासमुद्रे मग्नं समभ्युद्धरवासुदेव, अनंतरूपे विनियोजयस्व हृयनंतरुपाय नमो नमस्ते.
समस्तीपुर : पूजा व व्रत गृहस्थ जीवन में तप के समान माना गया है. इससे न सिर्फ मन को शांति मिलती है, स्वास्थ्य पर भी अनुकूल असर पड़ता है. संभवत: इसे ध्यान में रखकर ही प्राचीन भारतीय चिंतकों ने जीवन में पर्वों का समावेश किया है. भादव शुक्ल चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा भी इससे अलग नहीं है. इस पर गहराई से नजर डालें, तो पता चलता है कि इसके कच्चे सूत में दी जाने वाली गांठें धार्मिक भावनाओं के साथ साथ ऊतार चढ़ाव वाले इस मौसम का लोगों की सेहत पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को रोकने में भी सहायक है. धर्मशास्त्र से सान्ध्यि रखने वालों का मानना है कि विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता हैं.
इनकी पूजा से मनुष्य को दु:खों से मुक्ति मिलती है. कच्चे सूत से तैयार होने वाले अनंत के धागे में दी जाने वाली गांठें विष्णु के प्रमुख स्वरूपों के प्रतीक हैं, जो 14 लोकों के कण-कण में किसी न किसी रूप में व्याप्त होकर मनुष्य का कल्याण करते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित जयशंकर झा का कहना है कि विष्णु संसार के उद्धारक हैं. इनकी आराधना से मोक्ष की प्राप्ति होती है. भगवान के अनंत रूप की पूजा का प्रचलन सामूहिक रूप में है, जो समाज को एकसूत्र में पिरोने की ओर भी इशारा करता है. सामाजिक समरसता को बढ़ाने में सहायक है. डीह मोरवा के पंडित कमल किशोर झा कहते हैं कि आषाढ़ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग पर विश्राम के लिए जाते हैं उसका नाम भी अनंत है. इस पूजा के नामकरण के पीछे इस तथ्य को भी धर्मशास्त्री मानते हैं. वहीं शरीर विज्ञान से नजदीकी रखने वाले लोगों का मानना है कि भादव मास का अंतिम पड़ाव आरंभ होते ही ऋतु परिवर्तन शुरू हो जाता है. आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में यह मान्यता भी है कि अनंत पूजा के दिन भगवान विष्णु अपने साथ झोले में ठंड लेकर आते हैं. उमस भरी गर्मी के बाद अचानक मौसम में परिवर्तन का मानव शरीर पर विपरीत असर पड़ता है. रक्त तेजी से गाढ़ा होने लगता है. इससे शरीर में दर्द, सर्दी, बुखार जैसी शिकायतें आम हो जाती है. बाजू पर बंधा गांठयुक्त सूत रक्त प्रवाह को नियंत्रित रखने में मदद करता है. इस तथ्य को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी स्वीकार करता है. स्थानीय न्यूरो फिजीसियन डॉ विशाल वनमाली तो यहां तक कहते हैं कि आध्यात्म का परिष्कृत स्वरूप चिकित्सा है. सितंबर और अक्तूबर के बीच का समय उच्च रक्तचाप, ब्रेन हेमरेज, पक्षाघात, मानसिक पीड़ा, डिप्रेशन, उन्माद को बढ़ाने में सहायक होता है. इस मौसम में इन शिकायतों को लेकर आने वाले मरीजों की संख्या कुछ बढ़ जाती है. बांह पर बंधा सूत रक्त को नियंत्रित करने का काम करता है. इससे ऐसी बीमारियों के बढ़ने का खतरा कुछ हद तक टलता है. शरीर में होने वाली बीमारियों में रक्त की भूमिका अहम होती है. यदि यह नियंत्रित रहे तो काफी हद तक रोग से बचने की गुंजाइश होती है.
ये हैं 14 लोक
भू, भु:, स्व:, मह, जन, तप, सत्य, तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल व पाताल.
विष्णु के 14 स्वरूप
अनंत, दामोदर, गोविंद, माधव, त्रिविक्रम, पुरुषोत्तम, हृषिकेश, पद्मनाभ, बैकुंठ, श्रीधर, मधुसूदन, वामन, केशव व नारायण.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें