समस्तीपुर : पूर्व रेलमंत्री स्व ललितनारायण मिश्र के सपनों की हसनपुर-सकरी रेल परियोजना दशकों बाद भी पूरी नहीं हो पायी है. योजना के पूरा होने में और कितने दशक लगेंगे यह कोई अधिकारी बताने को तैयार नहीं है. कुशेश्वर पक्षी विहार की रक्षा को लेकर वन विभाग ने परियोजना के कार्य पर पाबंदी लगा दी है.
करीब आठ सालों से एनओसी के लिए मामला वन विभाग के यहां लंबित है. जबकि वन व रेलवे अधिकारियों ने कई बार स्थल निरीक्षण भी किया है. बाढ़ प्रभावित इस क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए योजना को जरूरी भी बताया है, लेकिन अबतक कार्य शुरू करने के लिए विभाग ने एनओसी नहीं दी है. उधर, हसनपुर-कुशेशवर के बीच हसनपुर की ओर से 11 किलोमीटर तक मिट्टीकरण का कार्य हुआ है. उसके बाद निकाले गये कार्य में संवेदक भाग नहीं ले रहे हैं. इससे मामला और पेचिदा हो गया है.
रेलवे के निर्माण विभाग के उपमुख्य अभियंता मुरारीलाल ने बताया कि 11-25 किलोमीटर के लिए दो-दो बार टेंडर निकाला गया है, लेकिन टेंडर में संवेदक भाग नहीं ले रहे हैं. इससे कार्य नहीं हो पा रहा है. गौरतलब है कि मृतप्राय: इस योजना को 1997 में तत्कालीन रेलमंत्री रामविलास पासवान ने पुन: शिलान्यास का जीवित
किया था.
वन प्रमंडल ने कार्य पर लगायी थी रोक: रेलवे सूत्रों ने बताया कि 2008 में दरभंगा वन प्रमंडल ने कुशेश्वर पक्षी विहार पर परियोजना के कारण खतरा बताते हुए कार्य पर रोक लगा दी थी. तब से कुशेश्वर स्थान के पास कार्य ठप है. हालांकि एक जून 2015 को तत्कालीन डीएफओ दिगंबर ठाकुर ने स्थल निरीक्षण के बाद बाढ़ प्रभावित इस क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए योजना को जरूरी बताते हुए वन संरक्षण विभाग पटना को एनओसी देने की अनुशंसा की थी. हालांकि, उसके बाद भी विभाग ने कार्य शुरू करने के लिए एनओसी नहीं दिया है, जबकि इस दौरान रेलवे ने कई बार पत्राचार किया है.
दस रेलवे स्टेशनों का होना है निर्माण : इस योजना के तहत हसनपुर से सकरी के बीच दस रेलवे स्टेशनों का निर्माण होना है. इसके तहत हसनपुर, बिथान, कौराही, कुशेशवर स्थान, हरिनगर,विरौल, नेउली,बेनीपुर, जगदीशपुर व सकरी स्टेशन बनाने का प्रस्ताव है. इसके अलावा तीन जंकशन तथा चार कॉसिंग स्टेशन एवं 45 रेलवे गुमटी बनने हैं. इस खंड पर छोटे बड़े 82 रेलवे पुल भी बनेंगे.
आठ सालों से लटका है एनओसी का मामला
हसनपुर के 11 से 24 किलोमीटर के लिए टेंडर में नहीं ले रहे संवेदक भाग
कई दशकों से लटका है मिथिलांचल के विकास के सपनों का प्रोजेक्ट
योजना के इतिहास पर एक नजर
1951 में योजना के लिए जांच की गयी. 1953 में रेलवे बोर्ड ने कहा योजना संभव नहीं है. 1972 में तत्कालीन रेलमंत्री ललित बाबू ने सर्वे का कराने की घोषणा की. इस बीच रेलमंत्री की बम विस्फोट में मौत के बाद योजना की फाइल पुन: बंद कर दी गयी. 1996-97 में रेल मंत्री रामविलास पासवान ने योजना को मिथिलांचल के विकास के लिए जरूरी बताते हुए पुन: शिलान्यास किया और योजना के लिए फंड की व्यवस्था की. कुछ दिनों तक तो योजना को राशि मिलती रही, लेकिन पिछले सात सालों से योजना को राशि नहीं दी गयी. इस वित्तीय वर्ष योजना को 30 करोड़ रुपये दिये गये हैं.