समस्तीपुर : तेजी से हो रहे भूगर्भ जल दोहन से धरती फटने का खतरा भी बढ़ गया है़ रोज शहर में पचास करोड़ लीटर पानी पाताल से खींचकर उसे खोखला किया जा रहा है लेकिन धरती की कोख को रिचार्ज करने सिस्टम फेल है़ पाताल से पानी आ रहा है, जा नहीं रहा है़ धरती की कोख खोखली होती जा रही है़
ऐसे में धरती फटने का खतरा है़ अभी चेत जाये तो शायद आने वाले खतरे से बचा जा सकता है़ विभाग के द्वारा लगाये गये जल स्नेतों से जनता की प्यास नहीं बुझा पा रही है़ ऐसे में प्यास बुझाने को लोगों ने समर्सिबल और हैंडपंप लगा रखे हैं बढ़ते भूगर्भ जल दोहन से भूगर्भ जल स्तर और नीचे गिर रहा है़
हर साल 22 सेंटीमीटर जलस्तर गिर रहा है़ स्थिति यह है कि कई इलाकों में समर्सिबल पंप दो सौ फीट तक बोरिंग पर पानी दे रहा है़ धरती में पानी कम होने से दरकनें का डर बढ़ जाता है़ पानी रिचार्ज करने के लिए वर्षा जल संचयन की व्यवस्था सरकार ने अबतक लागू नहीं की है़
निजी परिसरों में तो दूर सरकारी विभागों में वर्षा जल संचयन की खानापूरी हो रही है़ जिले के विभिन्न प्रखंडों में भू जल स्तर में तेजी से गिरावट शुरू हो गई है. औसतन जिले में लोगों को अभी 25 फीट से अधिक गहराई पर ही पानी का स्नेत मिल पा रहा है. विभागीय आंकड़े को देखें तो समस्तीपुर प्रखंड में भू जल स्तर तेजी से नीचे खिसकी है.
बोले अधिकारी
विभाग पेयजल संकट को दूर करने के प्रयास में जुट गया है. भू जल स्तर में तेजी से गिरावट शुरू हो गई है.
के एल बैठा, कार्यपालक अभियंता पीएचइडी, समस्तीपुर