रोसड़ा. अनुमंडल क्षेत्र में ठंड परवान पर चढ़ चुकी है. पछुआ हवा के साथ लोगों के हांड़ कंपा देनेवाली ठंड से मानों लोगों की जिंदगी ठहर सी गयी है. दैनिक मजदूरी करने वाले महिला एवं पुरुष पर ठंड का प्रभाव अधिक देखा गया. खासकर भवन निर्माण कार्यों में लगे मजदूरों को पेट की खातिर मजबूरन इस भीषण ठंड में भी काम पर जाना पड़ रहा है. इनके बच्चों की देखभाल नहीं होने के कारण ठंड का असर उनके सेहत पर पड़ रहा है. वहीं विभिन्न प्रतिष्ठानों में मोटिया का काम करने वाले मजदूरों पर आफत सी आ गयी है. इन्हें ट्रक से माल को लोड या अनलोड कर गोदामों में रखना पड़ता है. परंतु ठंड से बचाव के लिए प्रतिष्ठान मालिक की ओर से कोई व्यवस्था करना पड़ रहा है. रिक्शा चलाकर जीवन यापन करने वाले लोगों पर ठंड ने पूरी तरह अपना प्रभाव दिखा दिया है. मछुआरों के लिए तो यह ठंड दुश्मन का रूप ले लिया है. इसके अलावा बगैर आशियाने के स्टेशन परिसर में व खुले स्थानों पर तंबू के सहारे जीवन यापन करने वाले लोगों की जिंदगी भगवान भरोसे ही है. प्रशासन की ओर से इन्हें न तो कंबल की व्यवस्था की गयी है और न तो इनके हांड़ मांस में जान डालने के लिए अलाव की ही व्यवस्था की गयी है. दूसरी ओर जिला प्रशासन ने इस भीषण ठंड के प्रकोप से बचने के लिए विभिन्न विद्यालयों में छुट्टी की घोषणा करवा दी. लेकिन कोचिंग संचालक प्रशासन के इस आदेश से अपने आप को अलग मान रहे हैं. इधर बड़े बड़े दावे करने वाले एनजीओ भी फिलवक्त सोई हुई नजर आ रही है. नगर पंचायत क्षेत्र में अबतक अलाव की व्यवस्था नहीं हो सकी है.
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कड़ाके की ठंड से ठहरी जिंदगी
रोसड़ा. अनुमंडल क्षेत्र में ठंड परवान पर चढ़ चुकी है. पछुआ हवा के साथ लोगों के हांड़ कंपा देनेवाली ठंड से मानों लोगों की जिंदगी ठहर सी गयी है. दैनिक मजदूरी करने वाले महिला एवं पुरुष पर ठंड का प्रभाव अधिक देखा गया. खासकर भवन निर्माण कार्यों में लगे मजदूरों को पेट की खातिर मजबूरन […]
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