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फ्यूज बांधने में बत्ती गुल

समस्तीपुर : बिजली व्यवस्था में सुधार की सारी कवायद बस राजस्व बढ़ाने तक सीमित है. सेवा की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में कोताही बरती जा रही है. किसी ट्रांसफॉर्मर का फ्यूज उड़ने पर उसे बनाने के लिए पूरे शहर की बत्ती गुल हो रही है. दरअसल, शहर में लगे अधिकांश ट्रांसफॉर्मरों में एबी स्विच […]

समस्तीपुर : बिजली व्यवस्था में सुधार की सारी कवायद बस राजस्व बढ़ाने तक सीमित है. सेवा की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में कोताही बरती जा रही है. किसी ट्रांसफॉर्मर का फ्यूज उड़ने पर उसे बनाने के लिए पूरे शहर की बत्ती गुल हो रही है. दरअसल, शहर में लगे अधिकांश ट्रांसफॉर्मरों में एबी स्विच नहीं लगे हैं. इसकी वजह से यह समस्या हो रही है. ग्राहकों का कहना है कि सब स्टेशन में पावर रहते उन्हें बिजली की आपूर्ति नहीं करायी जाती है.

ऐसा भी नहीं की शहर में कहीं तार टूटकर गिर पड़ा हो. पूछने पर पहले, तो कर्मी शट डाउन बता मामले से पल्ला झाड़ लेते हैं.

और तो और, किसी एक उपभोक्ता के सर्विस वायर में आयी गड़बड़ी को ठीक करने को लेकर भी पूरे फीडर की आपूर्ति बाधित कर दी जाती है, जो भी हो सवाल इस बात का है कि एलेवन केबी (एचटी) में आये दोष के कारण किसी प्रकार से सब स्टेशन द्वारा पूरे फीडर की बिजली आपूर्ति बाधित करनी पड़ी है, तो बात समझ में आती है. लेकिन, एलटी वायर में अथवा उससे संबंध फ्यूज, सर्विस वायर आदि के क्रम में विद्युत की आपूर्ति को बाधित करना बिजली कंपनी के आधारभूत ढांचा में कमजोरी को उजागर करता है. नाम न छापने की शर्त पर विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कई ट्रांसफॉर्मरों पर एबी स्विच लगे होने के बावजूद उसकर उपयोग नहीं हो रहा. उन्होंने बताया कि ट्रांसफॉर्मर की अर्थिंग मानक के अनुरूप नहीं होने के कारण स्विच का इस्तेमाल नहीं हो पाता.

कमजोर अर्थिंग से ट्रांसफॉर्मरों को लग रहा झटका : कमजोर अर्थिंग के कारण लो वोल्टेज एवं अन्य फॉल्ट की समस्या उपभोक्ताओं को परेशान कर रहा है. कमजोर अर्थिंग के कारण शहर में आपूर्ति के लिए लगाये गये ट्रांसफॉर्मरों को भी झटका लग रहा है. बताते चलें कि शहरी क्षेत्र में करीब 160 से अधिक आपूर्ति के लिए ट्रांसफॉर्मरों को विभिन्न क्षेत्रों में लगाया गया है. ट्रांसफॉर्मरों में अभी नॉर्मल अर्थिंग है. इस अर्थिंग में रॉड का सहारा लिया जाता है. कुछेक को छोड़ अधिकांश ट्रांसफॉर्मरों की अर्थिंग मानक के अनुरूप नहीं है.

सूत्रों की मानें तो ए टू जेड कंपनी की ओर से मात्र 8 से 10 फुट गहरी पाइप लगा मानक विहीन अर्थिंग तैयार कर ट्रांसफॉर्मरों से आपूर्ति शुरू कर दी. वहीं तांबे की जगह लोहे का तार लगा अर्थिंग तैयार करने की प्रक्रिया पूरी कर दी, जिसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है.

इधर, शहरी क्षेत्र के कई भागों में 20 वर्ष से भी पूर्व लगे ट्रांसफॉर्मरों का अर्थ की कनेक्टिविटी खत्म हो चुकी है किसी तरह लोहे के पोल के सहारे व कुछ फुट तार जमीन को खोदकर तार लगा अर्थ दिया गया है. शहर के ताजपुर रोड में आरा मिल के निकट लगे ट्रांसफॉर्मर से जब लो हाइ वोल्टेज की समस्या उत्पन्न हुई, तो मानव बलों ने जांच की तो अर्थ की कनेक्टिविटी नहीं मिल रही थी. अर्थिंग के तार को देखा गया, तो लोहे का तार जंग लगने के कारण मिट्टी के अंदर टूटा हुआ मिला.

इधर, अब लोग नये-नये तरीके से मकान बनवाने में लाखों रुपये खर्च कर देते हैं, लेकिन अर्थ के लिए कोई बंदोबस्त नहीं करते. वहीं बिजली के बोर्ड में अर्थ के तार के लिए प्लग का प्रावधान है. यदि हाइ वोल्टेज आते हैं, तो उपकरण आदि खराब हो जाते हैं. इससे लोगों का हजारों रुपये का नुकसान पलभर में हो जाता है.

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