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मार्च 2018 से चल सकती है सहरसा-गढ़बरुआरी के बीच ट्रेन

मुख्य प्रशासनिक अधिकारी ने लिया सहरसा-थरबिटिया अामान परिवर्तन का जायजा संवेदक को कार्य में तेजी लाने का दिया निर्देश सहरसा : समस्तीपुर रेलमंडल के ए ग्रेड स्टेशन में शामिल सहरसा से थरबिटिया के बीच बड़ी रेल लाइन बिछाने के लिए किया गया अमान परिवर्तन कार्य का निरीक्षण बुधवार को मुख्य प्रशासनिक अधिकारी वीपी गुप्ता ने […]

मुख्य प्रशासनिक अधिकारी ने लिया सहरसा-थरबिटिया अामान परिवर्तन का जायजा

संवेदक को कार्य में तेजी लाने का दिया निर्देश
सहरसा : समस्तीपुर रेलमंडल के ए ग्रेड स्टेशन में शामिल सहरसा से थरबिटिया के बीच बड़ी रेल लाइन बिछाने के लिए किया गया अमान परिवर्तन कार्य का निरीक्षण बुधवार को मुख्य प्रशासनिक अधिकारी वीपी गुप्ता ने की. उन्होने सहरसा से सरायगढ़ के बीच चल रहे कार्य का जायजा लेते कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि मार्च से सहरसा से गढ़बरूआरी के बीच गुड्स ट्रेन चलाने की योजना है. सीआरएस निरीक्षण के बाद जून से यात्री ट्रेन चल सकती है. मार्च 2018 तक सहरसा से निर्मली, फारबिसगंज अमान परिवर्तन कार्य पूरा होगा. वही कोसी पुल में जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है,
वर्ष 2018 के मार्च तक उसे भी पूर्ण कर लिया जाएगा. इसी वर्ष बनमनखी बिहारीगंज के बीच भी ट्रेन चलाने की योजना है. मालूम हो कि बीते 25 दिसंबर से रेलवे द्वारा सहरसा-थरबिटिया रेलखंड पर अमान परिवर्तन के लिए लिया गया मेगा ब्लॉक के बाद अगले दिन से ही रेलवे के निर्माण विभाग के निर्देश पर संवेदक ने कार्य शुरू कर दिया था. रेलवे लाइन बिछाने का कार्य बेगूसराय की जेके कंपनी व तीन नये प्लेटफॉर्म बनाने का जिम्मा जानकीनगर के रवींद्र सिंह को दिया गया है.
2005 में हुआ रेल लाइन का विस्तार: ज्ञात हो कि 1854 में अंगरेज सरकार द्वारा भारत में रेल सेवा प्रारंभ की गयी थी. जैसे-जैसे रेल से जुड़ी सेवाओं में विस्तार होता गया. क्षेत्रवार प्रगति भी होती रही. जल्द ही देश के कोने-कोने में बड़ी रेललाइन का विस्तार कर दिया गया. लेकिन इस लिहाज से कोसी प्रमंडल का इलाका खासकर सहरसा-फारबिसगंज उपेक्षित रहा था. हालांकि सहरसा में जनप्रतिनिधियों की पहल पर 2005 में बड़ी रेल लाइन का विस्तार हुआ था. उसी समय सहरसा-फारबिसगंज के आमान परिवर्तन की बात कही गयी थी. इस बीच सहरसा-पूणिर्यां के बीच बड़ी रेल लाइन का विस्तार हुआ. फिलहाल फारबिसगंज से थरबिटिया के बीच आमान परिवर्तन कार्य भी प्रगति पर है. इस रेल लाइन के इतिहास पर नजर डालें तो 1907 में सहरसा-निर्मली-फारबिसगंज के बीच ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा छोटी रेललाइन को बिछाने का काम शुरू किया गया था. वहीं 1909 में निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद मीटरगेज ट्रेन का परिचालन शुरू किया गया था. उस समय कोयले व पानी से चलने वाली इंजन के सहारे ट्रेन चलती थी. जिस पर चढ़कर लोगों ने 109 सालों का सफर तय किया था. इस बीच 1934 में आये प्रलंयकारी भूकंप में सुपौल से फारबिसगंज के बीच रेल पटरी ध्वस्त हो गयी थी. जिसका निर्माण 1934 के बाद सरायगढ़ से फारबिसगंज के बीच तथा 1975 में सुपौल से सरायगढ़ के बीच तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा के द्वारा करवाया गया था. कोयले व पानी को बाद में डीजल इंजन में परिवर्तित कर दिया गया और अब तो इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेन का परिचालन किया जाता है. सहरसा-थरबिटिया के बीच बड़ी रेललाइन के बाद ट्रेनों का परिचालन शुरू होने से यह क्षेत्र सामरिक और व्यापारिक दृष्टिकोण से संपन्न हो जायेगा.
हो रही परेशानी
मेगा ब्लॉक से पूर्व रेलखंड पर छह जोड़ी ट्रेनें चलती थी. जिससे यात्री सुपौल व थरबिटिया तक यात्रा करते थे. हालांकि यात्रा आसान नहीं थी. बावजूद वर्तमान में हो रही परेशानी से लोगों को कुछ आसानी जरूर होती थी. सहरसा-सुपौल-थरबिटिया के बीच 37 किमी बड़ी रेललाइन के विस्तार होने के बाद अब कोसी प्रमंडल में छोटी रेल लाइन व मीटरगेज पर दौड़ने वाली ट्रेन इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह गयी है. दो साल बाद कोसी के पूरे इलाके में बड़ी रेल लाइन हो जायेगी.

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