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वाहन चालकों को न नियमों की परवाह है, न ही जान की

सड़क सुरक्षा सप्ताह यातायात व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए पुलिस को होना होगा सतर्क सहरसा : शहर में सड़क सुरक्षा सप्ताह की शुरुआत हो गयी है. लेकिन जनवरी के पहले सप्ताह में जागरुकता के लिए मनाये जाने वाले इस खास सप्ताह के नाम पर सिर्फ औपचारिकता दिखाई दी रही है. यातायात पुलिस द्वारा सड़कों पर […]

सड़क सुरक्षा सप्ताह

यातायात व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए पुलिस को होना होगा सतर्क
सहरसा : शहर में सड़क सुरक्षा सप्ताह की शुरुआत हो गयी है. लेकिन जनवरी के पहले सप्ताह में जागरुकता के लिए मनाये जाने वाले इस खास सप्ताह के नाम पर सिर्फ औपचारिकता दिखाई दी रही है. यातायात पुलिस द्वारा सड़कों पर बैनर लगा कर्तव्य की इतिश्री कर ली गयी है. सप्ताह के पहले दिन ही दिन भर नियमों का मखौल उड़ता रहा. हर कोई नियमों की अनदेखी कर यातायात पुलिस की मौजूदगी में मनमाफिक आगे बढ़ता रहा. शहर पांच किमी के दायरे में फैला है.
जिला मुख्यालय होने के बावजूद यहां पर यातायात नियम का पालन दिखाई नहीं देता. यह स्थिति साल भर बनी रहती है. बुधवार को शहर में सड़क सुरक्षा सप्ताह की शुरुआत हुई, लेकिन पहले ही दिन पुलिस यातायात के नियम का पालन कराने में नाकाम साबित हुई. नियमों के पालन कराने व जागरूकता फैलाने के नाम पर सिर्फ रस्म अदायगी नजर आयी. लोग भी वाहनों पर जान हथेली पर लिये सफर करते है. जबकि उन्हें पता है कि घर पर मां, पिता, पत्नी, बहन व बच्चें कोई तो हैं जो उनके सुरक्षित पहुंचने का इंतजार कर रहा है.
मौजूदगी नाममात्र, यातायात मनमाफिक: शहर के प्रमुख शंकर चौक पर यातायात पुलिस की उपस्थिति या मौजूदगी जरूर रहती है. कागजों में प्रतिदिन पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं, लेकिन हकीकत में चौराहा पर यातायात मनमाफिक ही संचालित होता है. तैनात पुलिसकर्मी व अधिकारी भी वाहन चालकों से विनती करते नजर नहीं आते हैं. कारण शहर के अत्यधिक भीड़ वाले इलाके में महज एक या दो पुलिस कर्मी के भरोसे यातयात संचालन की कोशिश की जा रही है. जबकि उक्त जगहों पर चार पुलिस कर्मी एक समय में तैनात चाहिए.
पार्किंग जोन बनाम सड़क: शहर की प्रमुख सड़कों में डीबी रोड अघोषित रूप से पार्किंग जोन के रूप में उपयोग होता है. शहर की सबसे चौड़ी और विकसित सड़क होने के बावजूद डीबी रोड मार्ग पर पार्किंग के कोई इंतजाम नहीं हैं. यही कारण है कि हर वाहन चालक मेन रोड पर वाहन पार्क करता है. व्यापारियों ने भी अस्थायी अतिक्रमण से समस्या को गंभीर कर रखा है. खासबात यह है कि डीबी रोड में बड़े-बड़े शो रूम व रेस्टूरेंट खुलने के बावजूद पार्किंग की व्यवस्था नहीं की गयी है. ग्राहक सड़क पर ही वाहन खड़ा करने को मजबूर है.
व्यावसायिक क्षेत्र में जाम: शहर में यातायात थाना व बल की कमी है. इसके बावजूद प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्र में पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगायी जाती है, लेकिन वे मूकदर्शक की भूमिका में होते हैं. छोटा जुलूस या प्रदर्शन भी जाम के हालात पैदा कर देता है. बुधवार को सप्ताह के पहले दिन गंगजला चौक व बस स्टैंड के क्षेत्र में जाम लग गया. वाहन चालक मनमर्जी से आते-जाते दिखाई दिये.
जागरूकता लाना उद्देश्य: जिले के यातायात प्रभारी नागेंद्र राम बताते है कि यातायात सप्ताह का उद्देश्य सिर्फ नियमों के प्रति जागरूकता लाना है. बैनर के माध्यम से लोगों को नियमों की जानकारी दे रहे हैं. यातायात सप्ताह तक यातायात के नियमों के उल्लंघन करने वालों को सड़क सुरक्षा सप्ताह से अवगत कराया जायेगा.
हेलमेट नहीं पहनते अधिकतर बाइक चालक
शहर के रेलवे गुमटी से थाना चौक तक लगा जाम.
गंगजला चौक से बस स्टैंड तक लगा वाहनो का जाम.
नियम की अनदेखी, जान दावं पर
यातायात पुलिस के रिकॉर्ड पर निगाह दौड़ायें तो सर्वाधिक कार्रवाई बिना हेलमेट वाहन चलाने पर होती है. सबसे ज्यादा दंड शुल्क वसूला जाता है. बावजूद शहर में एक भी वाहन चालक के सिर पर हेलमेट नजर नहीं आता है. तीन सवारी की पाबंदी के नियम का तो पालन बिलकुल ही नहीं होता. अधिकांश युवा तीन सवारी वाहन दौड़ाते नजर आते हैं. वे जान भी दांव पर रखकर चलते हैं. सड़क पर आये दिन हादसे होते रहते है लेकिन लोग स्वयं भी जागरूक नहीं हो रहे है.

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