सहरसा : न्यायालय के आदेश पर नगर परिषद में अवैध रूप से नियुक्त किये गये सभी कर्मचारियों को पद से हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. लेकिन न्यायालय ने एक बड़ा सवाल यह भी उठाया है कि नप ने अधिकार नहीं होने के बाद भी ठेके पर रखे गये कर्मचारियों को स्थायी कर दिया. इतना ही नहीं, ऐसे कर्मियों को छठे वेतनमान का लाभ भी दे दिया. जो सरासर राज्य सरकार के वित्त विभाग की लापरवाही है. कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि यह सरकार की राशि का दुरुपयोग है.
एक करोड़ 86 लाख रुपये का सवाल: नगर परिषद ने मानदेय पर रखे गये कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों को नियम के विरुद्ध नियमित कर दिया. उसके बाद छठा वेतनमान लागू होने के बाद इन सभी कर्मियों को उसका भी लाभ दिला दिया. नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी दिनेश राम के हस्ताक्षर से ऐसे 20 कर्मियों के बीच वेतन के मद में एक करोड़ 86 लाख रुपये बांटे गये. यह राशि साल 1990 से 2015 तक की है. सभी कर्मियों को दिसंबर ’15 और जनवरी ’16 में भुगतान किया गया है. यहां सवाल यह खड़ा होता है कि जब उन कर्मियों की नियुक्ति को ही अवैध ठहरा सेवा समाप्त करने का आदेश दिया गया है और उस पर कार्रवाई भी हो रही है तो उन्हें दी गयी अधिराशि की वसूली कौन करेगा? सरकार की इतनी बड़ी राशि के दुरुपयोग करने वालों के विरुद्ध क्या और कब तक कार्रवाई होगी?