मंडल कारा में बढ़ा है मोबाइल का प्रचलन
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जेल में मोबाइल ऑन और साहब साइलेंट मोड में!
मंडल कारा में बढ़ा है मोबाइल का प्रचलन प्रशासनिक स्तर पर बड़ी कार्रवाई का इंतजार सहरसा : जेल में मोबाइल ऑन और साहब साइलेंट मोड में. चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच ऊंची चहारदीवारी के अंदर संचालित सहरसा के मंडल कारा (जेल) की लाल कोठरी में कैदियों के पास से आये दिन मिल रहे मोबाइल न […]
प्रशासनिक स्तर पर बड़ी कार्रवाई का इंतजार
सहरसा : जेल में मोबाइल ऑन और साहब साइलेंट मोड में. चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच ऊंची चहारदीवारी के अंदर संचालित सहरसा के मंडल कारा (जेल) की लाल कोठरी में कैदियों के पास से आये दिन मिल रहे मोबाइल न सिर्फ इस हकीकत को बयां करते हैं, बल्कि सुरक्षाकर्मी व जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करते हैं. वैसे जेल प्रशासन का दावा है कि जेल में अब यह सब नहीं होता है लेकिन सच्चाई इससे इतर है. उल्लेखनीय है कि जिले में जब कोई बड़ी घटना घटती है. पुलिस को घटना की साजिश जेल से रची जाने की भनक लगती है, तो वरीय हाकिम जेल में छापेमारी करते हैं.
छापेमारी के दौरान मोबाइल कभी कैदियों के कपड़ों से तो कभी वार्ड से बरामद किये जाते हैं. कई बार तो मोबाइल और सिम कार्ड मिट्टी में छुपा कर रखे गये होते हैं. मामले में जहां जेल के अंदर मोबाइल पहुंचाने में जेल के कर्मचारियों की मिलीभगत की बात कही जाती है, वहीं मोबाइल नेटवर्क पकड़ने वाला यंत्र (जैमर) नहीं होने के कारण इन पर रोक भी नहीं लग पा रही है. जेल से जमानत पर बाहर आये कई लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि दिन में चोरी-छुपे, लेकिन संध्या सात बजे से पूरी रात मोबाइल पर बात करने व दूसरे कैदियों को बात करवाने का खेल खूब चलता है. सब कुछ जानते हुए भी सुरक्षा में तैनात खाकी अनजान बनी रहती है.
जेल से बनती है वारदात की योजना: कैदियों के पास मोबाइल होना कितना खतरनाक हो सकता है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कई बार जेल से धमकी देने की घटनाएं भी हो चुकी हैं. कई बार जेल के अंदर ही बाहरी दुनिया में फिरौती, रंगदारी, हत्या आदि वारदात की प्लानिंग तैयार कर ली जाती है, जिसमें मोबाइल का काफी योगदान होता है. बीते साल भर के अंदर जिले में हुए आपराधिक वारदात में जेल में बंद अपराधियों की संलिप्तता सामने आयी है.
पूर्व में हुई कई घटना की भी साजिश जेल में ही रची गयी थी. यह खेल दशकों से मंडल कारा में चल रहा है. इसके अलावा शहर के नामी गैंगस्टरों से जेल से मोबाइल पर बातें करने के मामले कई बार सामने आ चुके हैं. बताया जाता है कि कैदी मोबाइल को शौचालय, जेल में लगी टेलीविजन या फिर बिजली बोर्ड के अंदर छुपा कर रखते हैं.
ताकि सर्च करने पर भी जांच टीम को इसकी भनक तक नहीं लग सके. तय है मोबाइल पर बात करवाने के रेट जेल से मिले मोबाइल व सिम के संबंध में कई बार जेल में कार्यरत कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आयी है. मोबाइल पहुंचाने के साथ-साथ बाहर के लोगों से बात करवाने का रेट भी तय है. सूत्रों से पता चला है कि जेल के कर्मचारी प्रति मिनट के हिसाब से रकम वसूलते हैं. ऐसे में जब तक जेल कर्मचारियों पर शिकंजा नहीं कसा जाता, तब तक जेल से मोबाइल मिलने की घटनाओं को नहीं रोका जा सकता है. जेल में लगे सीसीटीवी कैमरे भी इस पर निगरानी रखने में फेल हो रही है. नतीजा है कि मोबाइल का उपयोग किया जा रहा है.
सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं गैंगस्टर
जेल में मोबाइल बरामदगी को लेकर की जाने वाली छापेमारी में छोटे अपराधियों के पास से मोबाइल व सिम प्रशासनिक स्तर पर बरामद की जाती रही है. लेकिन कैद में रह रहे गैंगस्टरों तक खाकी के हाथ नहीं पहुंच पाते हैं. नतीजतन जिले के नामचीन अपराधी फेसबुक, व्हाटसएप जैसे सोशल मीडिया के प्लेटफार्म से जुड़कर अपने सहयोगियों से संपर्क बनाये रखते हैं. जेल में बंद कई अपराधी ऐसे भी हैं जिन लोगों ने नाम बदल कर सोशल मीडिया का प्रयोग शुरु कर दिया है. खास बात यह है कि उनलोगों की फ्रेंड लिस्ट में जनप्रतिनिधि, पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हैं.
जेल में मोबाइल का प्रयोग करने की जानकारी मुझे नहीं है. जेल में छापेमारी का आदेश जिलाधिकारी द्वारा दिया जाता है. जब भी ऐसा निर्देश आयेगा, छापेमारी की जायेगी.
अश्विनी कुमार, पुलिस अधीक्षक
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