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न सड़क अच्छी, न सफाई

विडंबना. शहर को साफ रखने में पीछे छूट रहा ग्रामीण भारत नगर परिषद की तरह गांव में भी सफाई व स्वच्छता का विभाग नहीं है. हर अोर गंदगी दिख जाती है. वहीं सड़कें जर्जर हैं. ऐसे में वाहन ही नहीं, पैदल भी सड़क पार करने में भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. […]

विडंबना. शहर को साफ रखने में पीछे छूट रहा ग्रामीण भारत

नगर परिषद की तरह गांव में भी सफाई व स्वच्छता का विभाग नहीं है. हर अोर गंदगी दिख जाती है. वहीं सड़कें जर्जर हैं. ऐसे में वाहन ही नहीं, पैदल भी सड़क पार करने में भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.
सहरसा : भारत की आत्मा गांव में बसती है, गांव में रहने वाले मेहनतकश किसान ही भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. लेकिन इस बड़े समुदाय को गांव में सुविधा देने के बजाय सरकारी प्रदत कुछ अनुदानों के भरोसे छोड़ दिया जाता है. हालांकि ग्रामीण इलाके में राज्य व केंद्र में काम कर रही दोनों ही सरकार द्वारा बड़ी से बड़ी सड़क बनायी गयी है. ग्राम पंचायत द्वारा नाले का निर्माण भी कराया गया है. शुरुआती दौर में जन समुदाय इसका बखूबी उपयोग भी कर रही थी.
वर्तमान समय में अब इनके रखरखाव व गुणवत्ता को लेकर सिर्फ नकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं. शहरी निकाय में नाला व सड़कों की स्वचछता के लिए सैकड़ों लोग कार्यरत हैं. लेकिन गांव में रहने वाली आबादी को ऐसी व्यवस्था नसीब नहीं हो सकी है. जिले की 151 पंचायत में कहीं भी पंचायत या प्रखंड स्तर से सफाई व स्वच्छता को लेकर नीति नहीं बनाना दुखद है.
जरूरत है पंचायतवार सफाई की: गांव की सड़क व नाला को स्वच्छ रखनें के लिए नियमित सफाई कार्य चलाये जाने की आवश्यकता है. इसके लिए पंचायत में पर्याप्त मात्रा में सफाई कर्मी व इससे जुड़े कर्मियों की आवश्यकता है. ताकि रोजाना शहरी क्षेत्र की तरह सफाई अभियान चलाया जा सके. जलजमाव से निजात नहीं मिलने की वजह से गांव में जल जनित संक्रमित रोग पनपते जा रहे हैं. ज्ञात हो कि देश की अधिकांश आबादी को सुविधा दिये बिना स्वच्छ भारत का सपना साकार नहीं हो सकता है.
पंचायतों पर नहीं होती नजर-ए-इनायत
दृश्य एक : यह तसवीर है देश के विभिन्न सेवाओं में सौ से अधिक आइएएस व आपीइएस देने वाले व हजारों की आबादी को समाहित कर पंचायती राज व्यवस्था में तीन-तीन मुखिया का प्रतिनिधित्व करने वाले ग्राम पंचायत बनगांव की. जिला मुख्यालय से महज सात किमी की दूरी पर अवस्थित बनगांव में गली-गली में पक्की सड़क बन चुकी है. इसके बावजूद सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है. गांव में राहगीरों को बदबू से दो चार होना पड़ता है.
बरसात हो या सामान्य दिनों में भी सड़क पर जलजमाव की स्थिति बनी रहती है. लोगों का पैदल चलना भी दूभर हो जाता है. शादी-विवाह या श्राद्ध कर्म के मौके पर घर के लोग बमुश्किल आसपास की सफाई करवाते हैं.
दृश्य दो : जिला मुख्यालय से पश्चिम क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण लोगों की प्रमुख मंडी बन चुकी बरियाही बाजार की दशा दशक पूर्व से एक जैसी है. सड़क हमेशा बनती है, लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में बदहाल हो रही है. इसके अलावा सड़क के मध्य जमा कूड़ा कचरा बारिश के समय सड़कों पर फैल जाता है.
बरियाही से चैनपुर जाने वाली सड़क की हालत पैदल चलने के लायक भी नहीं है. गांव के लोग बताते हैं कि बरियाही में सभी सुविधा होने के बावजूद गंदगी से काफी परेशानी होती है. नाला बना है लेकिन सफाई का कोई प्रबंध नहीं है. गांव में जलनिकासी की सुविधा है, कमी सिर्फ सफाई कर्मी की है. जिसके पूरा होने के बाद ही स्वच्छता की बात संभव हो सकेगी.

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