मामला राजकीय पॉलिटेक्निक के महिला छात्रावास का
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गर्ल्स हॉस्टल बनाया अौर खड़ी कर दी दीवार
मामला राजकीय पॉलिटेक्निक के महिला छात्रावास का नामांकित 50 छात्राएं किराये के घर में जहां-तहां रहने को हैं मजबूर 20 लाख रुपये की लागत से बना था छात्रावास भवन निर्माण विभाग ने चार वर्षों बाद भी कॉलेज को नहीं सौंपा भवन सहरसा : राजकीय पॉलिटेक्निक, सहरसा के 50 वर्ष पूरे हो गये. लेकिन दुर्भाग्य, अब […]
नामांकित 50 छात्राएं किराये के घर में जहां-तहां रहने को हैं मजबूर
20 लाख रुपये की लागत से बना था छात्रावास
भवन निर्माण विभाग ने चार वर्षों बाद भी कॉलेज को नहीं सौंपा भवन
सहरसा : राजकीय पॉलिटेक्निक, सहरसा के 50 वर्ष पूरे हो गये. लेकिन दुर्भाग्य, अब तक छात्र-छात्राओं की आवासीय व्यवस्था नहीं हो पाई है. चार साल पहले कॉलेज की लड़कियों के लिए एक छात्रावास बना भी तो उसे सुविधा संपन्न बनाकर कॉलेज को हैंडओवर करने की बजाय दीवार देकर पूरी तरह बंद कर दिया गया है. हॉस्टल में छात्राओं के आवासन की बन रही सारी संभावनाएं क्षीण होती दिख रही है. उन्हें आज भी यत्र-तत्र किराये के मकान में जैसे-तैसे रहना पड़ रहा है.
पूछने पर कॉलेज के प्राचार्य आनंद मोहन खां कहते हैं कि सारा दोष विभाग का है. वे कहते हैं कि कॉलेज शिक्षक समेत छात्र-छात्राओं की आवासीय व्यवस्था अभी तक नही हो पायी है. जबकि बाहर से आकर यहां पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या अच्छी होती है.
बाउंड्री व बिजली भी नहीं दी: राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज सहरसा में सिविल इलेक्ट्रिकल मैकेनिकल, इलेक्टॉनिक्स एवं कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई होती है. जिसमें लगभग एक हजार छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. छात्राओं की संख्या को देखते हुए विभाग ने राजकीय पॉलिटेक्निक के प्राचार्य को वर्ष 2010-11 में 20 लाख रुपये छात्रावास के निर्माण के लिए दिया था. प्राचार्य श्री खां ने कहा कि हॉस्टल निर्माण के लिए आए रुपये का पहला ड्राफ्ट भवन निर्माण विभाग को दे दिया गया था. जिसने वर्तमान ढांचा को वर्ष 2012-13 में पूरा कर दिया था. विगत दो वर्षों से छात्राओं के लिए तैयार हॉस्टल में चहारदीवारी समेत बिजली का भी कनेक्शन नहीं दिया गया है. अब तक भवन निर्माण विभाग ने हॉस्टल कॉलेज को हैंड ओवर नहीं किया है.
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