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रहमान चौक हुआ और खतरनाक

जलजमाव दूर करने के लिए गड्ढे में गिरायी ईंटें, नहीं किया समतल नप सभापति ने कहा था, रोलर चलवाएंगे और उस पर डलवाएंगे राबिश लोगों ने कहा, सुविधा देने की बजाय जख्म पर नमक रगड़ रहा है नप अब तो और भी संभल कर चलते हैं लोग, फिर भी रोज दुर्घटनाग्रस्त हो रहे सहरसा मुख्यालय […]

जलजमाव दूर करने के लिए गड्ढे में गिरायी ईंटें, नहीं किया समतल

नप सभापति ने कहा था, रोलर चलवाएंगे और उस पर डलवाएंगे राबिश
लोगों ने कहा, सुविधा देने की बजाय जख्म पर नमक रगड़ रहा है नप
अब तो और भी संभल कर चलते हैं लोग, फिर भी रोज दुर्घटनाग्रस्त हो रहे
सहरसा मुख्यालय : हद हो गयी नगर परिषद, इसके पार्षद और नप अधिकारी की लापरवाही की. नागरिकों की समस्याओं से इन्हें कोई लेना-देना नहीं रह गया लगता है. लोगों को सुविधा देने की बजाय ये उनके जख्मों पर नमक रगड़ने में जुट गए हैं. लोग बेहतर दिन के सपने देख रहे हैं और ये उन्हें गर्त में धकेलते नजर आ रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नप पर किसी वरीय अधिकारी या जनप्रतिनिधि का नियंत्रण नहीं है?
क्या यह अपने आप में सरकार और सरकार का सदन है? क्या इसे मनमाफिक काम करने की खुली छूट दे दी गयी है? कम से कम सहरसा नगर परिषद के वार्ड नंबर 19 की दशा देख कर तो यही लगता है. यहां दुर्भाग्य यह भी है कि इसी वार्ड के पार्षद पिछले चार वर्षों से नगर परिषद के सभापति बने बैठे हैं.
और भी बेकार कर दी सड़क: बीते तीन मई को घंटे भर की हुई बारिश में वार्ड नंबर 19 स्थित रहमान चौक तालाब बन गया था. चौराहे सहित यहां से निकलने वाली चारों ओर की सड़कों पर एक से डेढ़ फीट तक पानी जमा हो गया था. लेकिन नप के जिम्मेवार अधिकारी ने इसकी सुधि लेना मुनासिब नहीं समझा. 20-25 दिनों के बाद भी वह पानी जब सड़क से नहीं हटा. अखबारों में बार-बार खबरें प्रकाशित हुई. मुहल्लेवासियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. तब 29 मई को चौराहे पर बने उस गड्ढ़े में ईंट के टूकड़े डलवाए गए. नप सभापति सह वार्ड पार्षद ने कहा था कि ईंट गिरवाने के बाद इस पर रोलर चलवाएंगे और उस पर राबिस (ईंट का डस्ट) गिरा समतल कराएंगे. लेकिन आधे-अधूरे जगह ईंट गिरा उस गड्ढेनुमा सड़क को यूं ही छोड़ दिया गया है. जिससे वह पहले से भी कई गुना खतरनाक बन गयी है.
रहमान चौक के गड्ढे में ईंट का टुकड़ा गिरा बनाया और भी खतरनाक.
सीधा हस्तक्षेप करें डीएम
मुहल्ले के महेश अग्रवाल, दिलीप अग्रवाल, शंकर सिंह, पवन सिंह, सावित्री देवी, मधुमिता देवी, सुनयना देवी सहित दर्जनों अन्य ने कहा कि नगर परिषद के वर्तमान हालात यह बताने के लिए काफी है कि अब नप के किसी पार्षद या अधिकारी से परिषद नहीं संभल रहा है. जिला पदाधिकारी को स्वयं मॉनीटरिंग करना चाहिए. लोगों ने कहा कि यदि संविधान के किसी अधिनियम से संभव हो तो, इस वार्ड पार्षद की सदस्यता रद्द कर देनी चाहिए. क्योंकि सदन में स्वयं को सभापति कहलाने वाला पार्षद जब अपने वार्ड की सुविधाओं का ख्याल नहीं रख सकता तो पूरे शहर की हिफाजत क्या खाक करेगा.

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