सहरसा : नगरयात्रियों को स्थानीय स्तर पर एक जगह से दूसरे जगह आवाजाही में सुविधा प्रदान कर रहा ई-रिक्शा राजस्व घाटे की बड़ी वजह बनता जा रहा है. ज्ञात हो कि शहर के विभिन्न मार्गों पर बैटरी चालित ई-रिक्शा का संचालन किया जा रहा है. यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने का किराया भी रिक्शा चालकों द्वारा स्वयं तय किया जा रहा है.
रिक्शा संचालकों द्वारा बगैर परमिट व निबंधन के रिक्शा चलाया जा रहा है. दूसरी तरफ बाजार में ई-रिक्शा की बाढ़ ने यातायात व्यवस्था भी चरमरा दी है. राहगीरों को डीबी रोड व शंकर चौक के बीच रिक्शे की अत्यधिक संख्या परेशान कर रही है. इसके अलावा शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर ई-रिक्शा का अवैध स्टैंड बनाये जाने से भी वाहन चालकों को दिक्कत हो रही है.
दो सौ के करीब है ई-रिक्शाफिलवक्त जिले में ई-रिक्शा की तादाद दो सौ के करीब है. इसे विभिन्न सड़कों पर यात्रियों को ढोने के लिए उपयोग में लाया जा रहा है. ज्ञात हो कि ई-रिक्शा को बिजली से रिचार्ज कर मोटर व अन्य उपकरणों के सहयोग से बनाया गया है. इसमें मोटर वाहन की तरह सभी उपकरण कार्य करते हैं.
परमिट व निबंधन से मिलेगा फायदाई-रिक्शा के निबंधन से नगर परिषद को राजस्व का फायदा मिलेगा. इसके बावजूद नप द्वारा ई-रिक्शा को लेकर कोई नीति नहीं बनायी जा रही है. जबकि दिल्ली से सटे उत्तरप्रदेश के लोनी नगरपालिका परिषद में प्रत्येक वर्ष निबंधन के जरिये राजस्व वसूली कर क्षेत्र में संचालन की अनुमति दी जाती है.
जबकि स्थानीय स्तर पर नप को प्रत्येक महीना हजारों रुपये का घटा लग रहा है. ई-रिक्शा का रूट परमिट तय कर देने से शहर के सभी मार्गो पर यातायात सुविधा का विस्तार होगा. बाजार में एक ही रूट पर अत्यधिक संचालित रिक्शों में कटौती हो सकेगी. नप तय करे यात्रियों का भाड़ाई-रिक्शा में सफर करने वाले यात्रियों को चंद कदम की दूरी तय करने में भी दस से पंद्रह रुपये चुकाने पड़ते हैं.
जबकि रिक्शा के संचालन में खर्च काफी कम पड़ता है. ई-रिक्शा संघ के अध्यक्ष सुरेश सरदार ने बताया कि उनलोगों द्वारा संघ के माध्यम से किराया तय किया गया है. उन्होंने बताया कि नगर परिषद अधिसूचना जारी करेगी तो उनलोगों के द्वारा निबंधन कराया जायेगा. अति व्यस्त शंकर चौक बना ई रिक्शा का अवैध स्टैंड
शहर के सभी रूटों में रिक्शा का होता है संचालन- गाजियाबाद जिले के लोनी नगरपालिका परिषद द्वारा जारी लाइसेंस