चेन्नई-सा हाल सहरसा का हो, तो अचरज नहीं ड्रेनेज सिस्टम पर नहीं हो रहा कोई काम, हर साल डूबता है शहरपानी बहाव के पूर्व के सभी रास्ते हैं अवरुद्ध, कोई कार्रवाई नहींप्रतिनिधि, सहरसा मुख्यालयलगातार बारिश के बाद यदि चेन्नई जैसा महानगर आज डूब रहा है तो इसमें वहां की सरकार का जितना दोष है, उतना ही वहां की जनता का. वहां हुई भयावह स्थिति के आकलन के बाद बात सामने आयी कि दशकों से पानी के बहाव वाले मार्ग का धीरे-धीरे अतिक्रमण कर लिया गया. इसी तरह जलजमाव वाले क्षेत्रों का भूमिभरण कर दिया गया. सरकारी आदेश पर वहां अट्टलिकाएं खड़ी कर दी गयीं. पानी का बहाव रुका और लगातार बारिश से पूरा शहर टापू में तब्दील हो गया. एकमंजिली इमारत तो डूब ही गयी. दो मंजिले पर भी पानी बढ़ता चला जा रहा था. आने वाले कुछेक वर्षों में यदि यही स्थिति सहरसा की भी हो जाये, तो कोई अचरज नहीं होगा. क्योंकि यहां भी सरकारी अमला, जिला प्रशासन या यहां की जनता के वोट से चुने गये जनप्रतिनिधि इस ओर सजग नहीं है. यहां की जनता चमचमाती सड़कों, 24 घंटे बिजली की उपलब्धता, शहर से लेकर गांव तक में बन रही ऊंची-ऊंची बिल्डिंग को ही विकास मान खुश हो रही है. वह अपने जनप्रतिनिधि पर भविष्य की सुरक्षित रूपरेखा तय करने पर दबाव नहीं देती है. बारिश में याद आता ड्रेनेज सिस्टमएक दशक भर से ठंडे बस्ते में डाल दिये गये ड्रेनेज सिस्टम की याद जनता को भी बारिश के समय ही आती है. आवाजें उठती हैं. हंगामा होता है. आश्वासन मिलता है और यह सब होते-होते बरसात का महीना समाप्त हो गया होता है. यह बातें भी योजना की तरह ठंडे बस्ते में चली जाती है. जनता के बीच के स्थानीय नगर जनप्रतिनिधि का भी जनसमस्याओं से कोई सरोकार नहीं होता है. उनके मुहल्ले से पानी बाहर कैसे निकले, इसकी कोई चिंता नहीं होती है. हां, चुनाव के समय वोटरों को लुभाने के लिए योजनाएं लंबी-चौड़ी होती है. लेकिन जलनिकासी के अवरुद्ध मार्गों की सफाई का इनके पास कोई रास्ता नहीं होता है. मीडिया में भी यह खबरें तभी ही सजती हैं, क्योंकि तब सड़कों पर तैरती नाव या डूब रही कारों की तसवीर अथवा फुटेज मिल जाती है. सभी पुलिये हैं जाम शहरी क्षेत्र में जमा होने वाले पानी की निकासी के लिए जगह-जगह पुलिये बनाये गये थे. जो आज भी दिख जाते हैं. लेकिन ऐसे सभी पुल-पुलियों की उपयोगिता समाप्त हो गयी है. क्योंकि उस पुलिये तक पानी के पहुंचने के सारे मार्ग को अवरुद्ध कर दिया गया है. कुछ को सरकारी स्तर पर तो अधिकतर मार्गों का जनता ने अतिक्रमण कर लिया है. साल-दर साल जलजमाव की समस्या झेलने वाले विभागीय अधिकारी भी कभी इस समस्या के प्रति गंभीर नहीं होते हैं. यदा-कदा अतिक्रमण हटाने का अभियान भी चलता है. लेकिन उसका असर सिर्फ दुकानों तक होता है. पानी बहाव के इस मार्ग पर नहीं. जबकि दशकों पूर्व इन पुल-पुलियों का निर्माण भविष्य की इसी स्थिति को ध्यान में रख कर किया गया था. पुलिये से पानी का नहीं है संबंध पोस्टऑफिस के आगे बना पुलिया कभी आसपास के जमा पानी को बहा कर पश्चिम की ओर ले जाता था. जहां से उसे महिला कॉलेज के पास बने पुलिये से गुजारकर उत्तर की ओर ले जाया जाता था. फिर गर्ल्स स्कूल की चहारदिवारी से सटकर यह पहले पूरब फिर उत्तर की ओर निकलता था. गर्ल्स स्कूल के मुख्य द्वार पर बने एक अन्य पुलिये के माध्यम से यह पानी आगे का रास्ता देखता था. अभी पोस्टऑफिस के सामने से ही पुलिया सूखा पड़ा है. कुंवर सिंह चौक के आसपास खुली दुकानों ने अपनी सुविधा के लिए मिट्टी भरा पानी के रास्ते को पूरी तरह अवरुद्ध कर दिया है. इसी तरह गंगजला रेलवे ढाला से सटे पूरब और पश्चिम दोनों ओर एक-एक बड़ा पुलिया था. जो गंगजला और उस इलाके के पानी को रेलवे के किनारे होते हुए दक्षिण का रास्ता दिखाता था. आज इस महत्वपूर्ण पुलिया की कुछ ईंटें तो उभरी हुई दिखती हैं. लेकिन उसका मुहाना नगर परिषद द्वारा फेंके गए कचरों के अंबार से पूरी तरह बंद है. गंगजला फकीर टोला से पूरब (पॉलिटेक्निक कॉलेज से पश्चिम) रेलवे पुलिया शहरी क्षेत्र के सभी पानी को इन्हीं पुल-पुलिये से गुजार कर पॉलिटेकनिक रेलवे ढाला पुलिया होते हुए तिलावे धार से जोड़ दिया गया था. सभी पुलियों के अतिक्रमित व अवरुद्ध होने से उत्तर व दक्षिण और पूरब व पश्चिम के पानी का कहीं कोई संपर्क नहीं हो पाता और बरसात में यह अपने ही इलाके में घुमड़ती और तबाही मचाती रहती है. जानकार तर्क देते कहते हैं कि घुमते-घुमते पानी जमाव वाले क्षेत्र का दबाव कम करता था और मिट्टी उसे अवशोषित भी करती जाती थी. फोटो- पुलिया 1- गर्ल्स स्कूल गेट पर अवरुद्ध पुराना पुलिया फोटो- पुलिया 2- गंगजला रेलवे ढाला स्थित अवरुद्ध पुलियाफोटो- पुलिया 3- गंगजला पुलिया के मुहाने पर नप द्वारा फेंका गया कचराफोटो- पुलिया 4- गंगजला चौक स्थित नाले से कचरा हटाया, गाद नहीं
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चेन्नई-सा हाल सहरसा का हो, तो अचरज नहीं
चेन्नई-सा हाल सहरसा का हो, तो अचरज नहीं ड्रेनेज सिस्टम पर नहीं हो रहा कोई काम, हर साल डूबता है शहरपानी बहाव के पूर्व के सभी रास्ते हैं अवरुद्ध, कोई कार्रवाई नहींप्रतिनिधि, सहरसा मुख्यालयलगातार बारिश के बाद यदि चेन्नई जैसा महानगर आज डूब रहा है तो इसमें वहां की सरकार का जितना दोष है, उतना […]
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