अच्छा कर्म ही है इनसान का असली धर्म : साध्वी हेमलता कहा, राम-राम की रट व ठेके का चक्कर साथ नहीं होतानौ दिवसीय श्रीश्री विष्णु विराट महायज्ञ का चौथा दिन प्रतिनिधि, सोनवर्षाराज कर्मों का फल इनसान अपनी सुविधा अनुसार नहीं भोग सकता है. इंसान द्वारा किये गये अच्छे-बुरे कर्मों के फल कभी नष्ट नहीं होते. उसे भोगने के लिए यदि एक जीवन छोटा पड़ जाये तो उसे अगले जन्म बुरा कर्म का पाप गंगा में डुबकी मारकर या अन्य किसी धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होकर स्वयं को मुक्त करा लेगा तो ऐसा कभी संभव नहीं है. यह बातें सोहा गांव में आयोजित नौ दिवसीय श्रीश्री 108 विष्णु विराट महायज्ञ में चौथे दिन अपने प्रवचन के दौरान मातृ शक्ति सेवा संस्थान मथुरा की विदुषी साध्वी हेमलता शास्त्री ने कही. साध्वी शास्त्री ने कहा कि वर्तमान में इनसान अपना कर्तव्य पूर्णत: भूल चुका है. लेकिन उसे अपना अधिकार याद है. अपने परिवार माता, पिता, समाज और राष्ट्र से हम सिर्फ अपने हक और अधिकार की ही बात करते हैं यानी सिर्फ लेने की. इसे बदलना होगा. लेना-देना या अधिकार और कर्तव्य साथ-साथ चलनी चाहिए. नहीं तो गर्त में गिरने से कोई नहीं बचायेगा. आज हर कोई तमाशबीन बनकर रह गया है. हमारे देश में श्रेष्ठ व प्रबुद्ध लोग जिनसे हम सीखते थे. वे बहुत तेजी से पथभ्रष्ट होते जा रहे हैं. उनकी बातों में उनके कर्म से कोई मेल नहीं है. अत: हर एक व्यक्ति को स्वयं से बदलने की शुरुआत करनी होगी तभी घर परिवार, समाज व राष्ट्र बदलेगा. अन्यथा बात वही होगी कि राम के नारे लगाते हो और शराब के ठेके का चक्कर लगाते हो. नित्य रामायण पाठ करने वाले अपने सहोदरों से वर्षों से बात नहीं करते हों. यह धर्म नहीं अधर्म है. इसे बदलना होगा ये भ्रम है. अच्छा कर्म ही असली धर्म है. मालूम हो कि आगामी आठ दिसंबर तक चलने वाले श्री श्री 108 विराट विष्णु महायज्ञ में प्रतिदिन विदुषी हेमलता शास्त्री के अतिरिक्त पांच दिसंबर से स्वामी अगमानंद परमहंस जी महाराज का प्रवचन होना तय है. फोटो-यज्ञ 12 व 13- यज्ञ में प्रवचन करती साध्वी हेमलता व मौजूद श्रद्धालु0——————–युवाओं को हमेशा बड़ा उद्देश्य रखना चाहिए सोनवर्षा राज. सोहा गांव में मथुरा से आयी विदुषी हेमलता शास्त्री की उम्र अभी 23 वर्ष ही है. लेकिन पिछले 13 वर्षों से हिन्दू धर्म की संस्कृति को बचाने के कठोर कार्य में स्वयं को पूरी ऊर्जा के साथ झोंके हुए हैं. मथुरा के बलदेव दाऊ जी गांव निवासी एक छोटे से किसान हेमराज और माता हंसन देवी की सुपुत्री विदुषी हेमलता बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा की धनी थी. एक संक्षिप्त वार्ता के दौरान विदुषी हेमलता शास्त्री से जब यह पूछा गया कि आपको ऐसे कठोर रास्ते पर चलने की प्रेरणा कैसे मिली. तो विदुषी ने बताया कि मथुरा का कुछ ऐसा माहौल और पारिवारिक स्थिति ऐसी थी, जहां मुझे हमेशा महसूस होता था कि अलग करना है. इसके अतिरिक्त कुछ ईश्वर तो कुछ पूर्वजन्म का फल था जो मुझे इस मार्ग पर ले आया. युवाओं के लिए विदुषी ने कहा उद्देश्य हमेशा बड़ी रखनी चाहिए. लेकिन शुरुआत हमेशा पहली सीढ़ी अर्थात छोटे कार्यों से होनी चाहिए. तभी तो पता चलेगा कि हम आगे बढ़ रहे हैं. विदुषी हेमलता शास्त्री जी प्रवचन के अतिरिक्त खाली समय में अपने मातृ शक्ति सेवा संस्थान का कार्य देखती हैं. इसके अलावे बाल केन्द्र भी चलाती हैं. जहां छोटे-छोटे बच्चे-बच्चियों को संस्कृति, संस्कृत और संस्कार की शिक्षा दी जाती है. इनकी संस्था महिला व बालिकाओं के उत्थान पर विशेष रूप से कार्यरत है.
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अच्छा कर्म ही है इनसान का असली धर्म : साध्वी हेमलता
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