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छठ में भीख मांगने की भी है प्रथा

सहरसा : शहरआस्था के महापर्व छठ में भीख मांग कर मनाने की भी प्रथा है. कई परिवार मिले भीख को बेच कर उन पैसों से ही छठ मनाते हैं. कहा जाता है कि छठ मैया से मनौती मांगी जाती है तथा मनौती पूर्ण होने पर मैया की मनौती मांगते वक्त किये गये वादे के अनुरूप […]

सहरसा : शहरआस्था के महापर्व छठ में भीख मांग कर मनाने की भी प्रथा है. कई परिवार मिले भीख को बेच कर उन पैसों से ही छठ मनाते हैं. कहा जाता है कि छठ मैया से मनौती मांगी जाती है तथा मनौती पूर्ण होने पर मैया की मनौती मांगते वक्त किये गये वादे के अनुरूप ही छठ पूजा अर्चना की जाती है. यूं तो छठ पर्व का महत्व संतान के लिए किया जाता है.

साथ ही पूरे परिवार की सलामती की कामना भी छठ मैया से की जाती है. ग्रामीण परिवेश में आज भी छठ मैया से मनौती के रूप में महिलाएं पुत्र की ही कामना करती है तथा पुत्र धन की प्राप्ति पर भीख मांग कर पूजा करने का वचन छठ मैया को देती है. कहा जाता है कि मैया की कृपा से प्राप्त संतान की सलामती के लिए महिलाएं खुद या फिर अपने संतान से कुछ घरों में भीख मंगवाती है. भीख में मिले अन्न व पैसे से छठ मैया की श्रद्धा से अराधना की जाती है.

छठ मैया की पूजा अर्चना के लिए मांगे जाने वाले भीख की शुरूआत दुर्गा पूजा के समाप्त होने के बाद से ही प्रारंभ हो जाती है. छोटे-छोटे बच्चे व महिलाएं गांव से लेकर शहर तक घूम-घूम कर भीख मांगती है. छठ मैया के नाम पर लोग उन्हें निराश नहीं करते, जो बन पाता है, मैया के नाम पर देते हैं. यूं अब इस पर्व को लेकर सामाजिक स्तर पर भी मदद दी जाती है. छठ घाटों पर भी श्रद्धालु व्रतियों के बीच अर्घ्य के लिए दूध, फल, अगरबत्ती आदि दान स्वरूप देते हैं.

बांस से बने सामग्री की रहती है मांग आस्था के इस महापर्व में बांस से बने सामानों की मांग काफी रहती है. श्रद्धालु बांस से बने चंगेरा, ढ़ाकी, सूप, कोनिया आदि की खरीद करते हैं तथा इन्हीं बरतनों में पूजा का सभी सामान सजा छठ मैया की पूजा अर्चना की जाती है. कहा जाता है कि बांस वंश वृद्धि का द्योतक है और पर्व भी वंश वृद्धि के लिए ही मनाया जाता है. यूं अब इस पर्व पर भी आधुनिकता आने लगी है. लोग पीतल के बरतनों में भी छठ पूजा मनाने लगे हैं. लेकिन आज भी बांस से बने सामानों की मांग कम नहीं हुई है. लोगों की पहली पसंद भी बांस ने बनी सामग्री ही है.

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