सहरसा : छठ पर्व के लिए खरीददारों की भीड़ हर वर्ष सबसे ज्यादा नहाय खाय के दूसरे दिन खरना को उमड़ती है. इस दिन सभी खरना सहित छठ पूजा से संबंधित सभी सामग्री खरीद कर लोग इस ओर से निवृत हो जाना चाहते हैं. लेकिन उनके आधे घंटे का काम बाजार में उमड़ी भीड़ के कारण घंटों में बदल जाता है.
इससे पहले के सभी छठ पर्व में यह देखा गया है कि खरना के दिन बाजार में सबसे ज्यादा भीड़ होती है. यहां यह भी एक कारण है कि बाजार में आने वाले लोग अपने वाहनों को यत्र तत्र खड़ी कर देते हैं और फुटपाथ के दुकानदार लगभग आधी सड़क तक अपना कब्जा जमाये रहते हैं. छठ पर्व को लेकर सभी काफी व्यस्त हैं. ऐसे में उनके कुछ महत्वपूर्ण घंटों को जाम की चपेट से बचाना प्रशासन की और हम आमलोगें की अहम जिम्मेवारी है.
इससे पहले के पर्व में खरना के दिन भीड़ ने बाजार को लंबे समय तक अस्त व्यस्त कर दिया था. अनियंत्रित भीड़ व यातायात के नियमों उल्लंघन से 11 बजे दिन से 4 बजे तक शहर के सभी मुख्य बाजारों में भयंकर जाम की स्थिति बनी रहती है. हालांकि इन्हीं के बीच लोगों द्वारा पूजा से संबंधित सामग्री की भी खरीद होती रहती है. खासकर फल, पूजन सामग्री की दुकान व जगह-जगह नारियल व केला लेकर बैठे फुटपाथी दुकानदारों के आगे लोग सुबह से शाम तक जमे रहते हैं.
जाम लगने का एक प्रमुख कारण यह भी रहता है. शहर के मुख्य बाजार माने जाने वाले डीबी रोड, शंकर चौक, बंगाली बाजार, सब्जी बाजार, दहलान रोड, धर्मशाला रोड व कपड़ा पट्टी पूरी तरह जाम की चपेट में रहते हैं. इन जगहों पर प्रशिक्षित और ज्यादा संख्या में ट्रैफिक जवानों की तैनाती जरूरी है. इन मार्गों पर चार चक्के, दो पहिया वाहन सहित रिक्शा, साइकिल भी आते जाते हैं.
ऐसे में सभी लंबे समय तक जस के तस जाम में फंसे रहते हैं. एक अन्य कारण है कि पूरे बाजार में सड़क के दोनों ओर पसरौटे पर पूजा सामग्रियों की दुकान सजी होती है. सड़क के किनारे से लगभग आघे तक फैले इन दुकानों के कारण पैदल यात्रियों को भी आगे बढने की जगह नहीं मिल पाती है. इन प्रमुख व्यवसायिक मार्गों पर घंटों रफ्तार की जिंदगी थम सी जाती है.
भीड़ की स्थिति विकराल होने पर प्रशासन सजग होता है. लेकिन अपार जन सैलाब के सामने व पूर्व तैयारी न होने के कारण ये बौने साबित होते हैं.फोटो- पूजा 14 व 15 – वर्ष 2014 व वर्ष 2013 में खरना के दिन शहर की सड़क पर लग्रा जाम (फाइल फोटो)