पैदल नदी पार करने को हैं मजबूर धेमरा नदी को पैदल पार करने को मजबूर हैं दौराघाट के दलित टोलावासीआजादी के 69 वर्ष बाद भी इस गांव तक नहीं पहुंची विकास की रोशनीसत्तरकटैयाक्षेत्र के बरहसैर पंचायत का दौराघाट टोला लगभग एक हजार दलित परिवार की बस्ती है. यह सहरसा-सुपौल की सीमा धेमरा नदी के किनारे बसा हुआ है. इस टोला के दलित परिवार के पास आजादी के 69 वर्ष बाद भी विकास की रोशनी नहीं पहुंच पायी है. आधुनिक युग में भी इस टोला के लोग पैदल नदी पार करने को मजबूर हैं. बरसात के दिनों में तो नदी में पानी अधिक रहने पर तैर कर पार करना पड़ता है. इस घाट पर नदी पार करने के लिये सरकारी स्तर से नाव की भी व्यवस्था नहीं की गयी है. 1982 में बना लकड़ी पुल हुआ विलीनदौरा घाट में धेमरा नदी पर वर्ष 1982 में लकड़ी का पुल बनाया था. जो दस साल पहले ही टूट कर बह हो चुका है. सामाजिक कार्यकर्ता शंकर कुमार खां ने बताया कि तत्कालीन वित्त मंत्री कैलाशपति मिश्र व मंत्री शंकर प्रसाद टेकरीवाल ने इस लकड़ी पुल का उद्घाटन किया था. पुल के निर्माण से बरहसैर सहित प्रखंड की हजारों आबादी को दरभंगा तक जाने आने में रास्ता सुलभ हो गया था. इस पुल के निर्माण के बाद दलित बस्ती के लोग विकास की उम्मीद जताने लगे थे. लेकिन पुल निर्माण के बाद अन्य कोई कार्य नहीं हुआ और धीरे-धीरे पुल भी ध्वस्त हो गया.कच्ची सड़क पर चलना है मजबूरीसहरसा-सुपौल मुख्य मार्ग से सुपौल-चन्द्रायण नवहट्टा मुख्य मार्ग होते भाया सुपौल तक जाने आने के लिये बनी यह सड़क अभी तक कच्ची है. मधेपुरा एवं सुपौल संसदीय दोनों क्षेत्र में पड़ने वाले लगभग आठ किलोमीटर इस सड़क का निर्माण कराने की पहल सरकार से लेकर जनप्रतिनितिधि तक किसी ने नहीं की. जिसके कारण खास कर दलित बस्ती दौराघाट वासी उपेक्षा का शिकार हैं. टोला में अचानक किसी के बीमार होने पर सुपौल जाना हो, तो पश्चिम में नदी है और पूरब में चार किलोमीटर जर्जर कच्ची सड़क है. जिससे गुजरने के बाद अस्पताल जाने की मजबूरी है. कई मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं.शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य सुविधा से हैं वंचितलगभग एक हजार की आबादी वाली दलित बस्ती रहने के बावजूद भी शिक्षा विभाग द्वारा कोई विद्यालय नहीं खोला गया है. इस टोले में आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित नहीं हो रहा है. स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में लोगों को काफी परेशानी झेलना पड़ती है. हाल ही में इस टोले में बिजली लगाने का कार्य शुरू किया गया है जो अधुरा है. स्थानीय बाले कामत, किसन पासवान, चौंथू पासवान, डोमनी देवी, जयमाला देवी, पूना देवी सहित अन्य ने बताया कि दलितों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है.फोटो – नदी 14 – नदी पार कर जाता ग्रामीणभूकंप में फूटा जलापूर्ति संयंत्र, गिर रहा पानीसत्तरकटैया. बिहार सरकार के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा बरहसैर पंचायत के बरहसैर व मझौल गांव में आयरन मुक्त पानी उपलब्ध कराने के लिये लगायी गयी सौर उर्जा चालित संयंत्र की टंकी साल भर से फूटी है. फटे पाइप से ऊपर से पानी गिरता रहता है और मकान सहित संयंत्र को क्षति पहुंचाता है. लेकिन इसे बदलने की कोई कार्रवाही नहीं की जाती है. प्रतिभा मेंबरेन फिल्टर्स जे भी मुंबई द्वारा 31,51,864 रुपये की लागत से लगाये गये इस संयंत्र को देखने वाला तक कोई नहीं है. छह माह पहले मझौल संयंत्र से बैटरी और सौर प्लेट सहित अन्य सामान की चोरी कर चोरों ने एक पोखर में छुपा दिया था. जिसे ग्रामीणों की सजगता से पकड़ा गया. लेकिन बैटरी नहीं मिली. बैटरी के अभाव में बल्व नहीं जलता है. टंकी फूटा हुआ रहने के कारण मोटर से डायरेक्ट पानी का स्पलाई दिया जाता है. इस संयंत्र को चलाने के लिये नियुक्त ऑपरेटर बैजनाथ पाण्डेय ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा शिकायत के बावजूद भी सेनटेक्स नहीं बदला गया है. वही बरहसैर में भी सेनटैक्स से पानी टपकते रहता है और परिसर को गंदा करता है. पंचायत के मुखिया मनोरंजन पाण्डेय, पूर्व मुखिया चन्द्रशेखर ठाकुर, शंकर कुमार खां, नन्दकिशोर खां, रामशंकर खां, आदित्य कुमार, अशोक कुमार सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि विभागीय उदासीनता के कारण ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इस मामले में पूछने पर मेंबरेन कम्पनी के सुपरवाईजर विनय कुमार झा ने बताया कि टंकी फूटने की रिपोर्ट कंपनी को भेजी गयी है. उपलब्ध होते ही लगा दिया जायेगा.फोटो – पानी 15 – सेनटैक्स से गिर रहा पानीपप्पू यादव की सभा दो को सत्तरकटैया. जनअधिकार पार्टी के संरक्षक मधेपुरा सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की सभा दो नवंबर को प्रखंड मुख्यालय स्थित मां काली मैदान में होगी. सांसद प्रतिनिधि अरविंद यादव ने बताया कि सांसद दिन के एक बजे सत्तरकटैया पहुंचेंगे और सभा को संबोधित करेंगे. सांसद के आगमन को लेकर पार्टी के कार्यकर्ताओं ने तैयारी शुरू कर दी है.
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पैदल नदी पार करने को हैं मजबूर
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