सिमरी बख्तियारपुर : आसान नहीं है डगर महागंठबंधन व एनडीए के बीच जाप व रितेश की हलचल बढ़ा रही धड़कनयुवाओं का मत हो सकता है निर्णायक, दस प्रतिशत हैं पहली बार मत देने वाले युवा मतदातादीपांकर / सहरसा सहरसा जिले की चार विधानसभा सीटों के लिए घामासान शुरू हो चुका है. इन चारों सीटों में से सिमरी बख्तियारपुर की सीट को हॉट सीट माना जा रहा है. जिले का सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र खगडि़या लोकसभा के अंतर्गत आता है. महागठबंधन व एनडीए के लिए इस बार यह प्रतिष्ठा की सीट बन गयी है. यहां से निर्वतमान विधायक अरूण यादव ने पूर्व सांसद दिनेश चंद्र यादव के लिए अपनी सीट छोड़ दी है. यानि यहां पूर्व सांसद सह पूर्व मंत्री व कोसी के कद्दावर राजनीतिक कहे जाने वाले दिनेश चंद्र यादव महागठबंधन की ओर से मैदान में है तो उनके पुराने राजनीतिक प्रतिदंद्वि रहे सांसद चौधरी महबूब अली कैसर ने अपने पुत्र लोजपा प्रत्याशी युसुफ सलाउद्दीन को मैदान में उतारा है. इन सबके बीच दियारा के रामानंद यादव के पुत्र व जाप प्रत्याशी धर्मवीर भारती और निर्दलीय प्रत्याशी जिप उपाध्यक्ष रितेश रंजन भी इनके गढ़ों में सेंध लगाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. यहां बहुत हद तक माय समीकरण के बनने और बिखरने का समीकरण परिणाम को प्रभावित कर सकता है. महागठबंधन व एनडीए के बीच धर्मवीर व रितेश का चर्चा में आना कुछ कहने की कोशिश जरूर कर रहा है. पहले सीधी टक्कर होने की अवधारणा थोड़ी-थोड़ी दरकती दिख रही है. जातीय गोलबंदी भी शुरू हो चुकी है. विकास की बातें की जा रही हैं, लेकिन जातीय गणित साधने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. ऐसे में जिले की चारों सीटों पर कड़ी टक्कर की संभावना बनती दिख रही है. गठबंधन के बदलते रिश्तों के बीच कोसी के क्षेत्र से अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने की आस लगाये सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की पार्टी जाप से धर्मवीर भारती और जिप उपाध्यक्ष बन चर्चित हुए रितेश रंजन महागठबंधन और एनडीए प्रत्याशी के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश में लगे हैं. जो अन्य दलों के लिए मुसीबत बन सकते हैं. पिछले चुनाव के आधार पर किसी दल विशेष को लाभ या हानि के तराजू में भी इस बार नहीं तौला जा सकता. बीते चुनाव में भाजपा-जदयू के बीच गठबंधन था. 2010 के विधानसभा चुनाव में राजद गठबंधन दूसरे स्थान पर रही थी. लेकि न वर्तमान में स्थिति बदली हुई है. फिलवक्त जदयू और भाजपा का गठबंधन टूट चुका है. अब भाजपा के साथ लोजपा व रालोसपा के कार्यकर्ता चुनावी गणित को बदलने में लगे हुए हंै. दूसरी तरफ महागठबंधन में शामिल राजद, जदयू व कांग्रेस के कार्यकर्ता भी आपसी सामंजस्य से चुनावी फिजां को तैयार करने में लगे हुए हैं. लेकिन सिमरी बख्तियारपुर की चुनावी फिंजा में लगातार अपनी उपस्थिति दिखा रहे निर्दलीय प्रत्याशी रितेश रंजन व जाप प्रत्याशी धर्मवीर भारती परिणाम को प्रभावित करने में कोई कसर नहीं छोड़ने का मूड बना चुके हैं. यही कारण भी है कि महागठबंधन व एनडीए के प्रत्याशी सहित पार्टी कार्यकर्ता को अपने-अपने कैडर वोटरों को एकजुट रखने की जी जान से कोशिश करनी पड़ रही है. तटबंध के अंदर-बाहर और भौगोलिक रूप से दुरूह क्षेत्र में भी मतदाताओं को एकजुट रखने की कोशिश जारी है. समय नजदीक आता देख जातीय गोलबंदी की संभावना भी बढ़ चली है. इन जातीय दीवारों को दरकाने में जिस प्रत्याशी को सफलता मिलेगी, जीत का सेहरा या परिणाम को अप्रत्याशित बनाने का श्रेय उसी के सर बंधने की संभावना है. युवा वोटर दे सकते हैं अप्रत्याशित परिणामसिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र में लगभग तीन लाख वोटर हैं. इनमें 27 हजार के आसपास के वोटर ऐसे युवा हैं, जो पहली बार मतदान करेंगे. किसी भी विधानसभा क्षेत्र में वोटरों की इतनी बड़ी तादाद परिणाम को साधने व परिवर्तन करने वाला हो सकता है. यही कारण भी है कि सभी प्रत्याशी युवाओं विशेष रूप से पहली बार मत देने वाले युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने में लगे हुए हैं. इन युवाओं में क्षेत्र के प्रति बढ़ती जागरूकता इन्हें जातीय समीकरण से भी अलग करती नजर आ रही है. जो यह बता रही है कि नये युवा मतदाताओं का अपने पक्ष में साधने वाले प्रत्याशी को जरूर बड़ा फायदा मिलेगा. सिमरी बख्तियारपुर विधानसभावोटर – 3,03,559विधानसभा चुनाव 2010डॉ अरुण कुमार, जदयू (जीते)चौधरी महबूब अली कैशर, कांग्रेस (हारे)मैदान में इस बारजदयू – दिनेश चंद्र यादवलोजपा – युसुफ सलाउद्दीनजअप – धर्मवीर भारतीनिर्दलीय – रितेश रंजनअब तकतीन बार कांग्रेस, दो बार जदयू, एक बार जनता दल सहित अन्यतत्कालीन विधायक चौधरी महबूब अली कैशर, दिनेश चंद्र यादव व चौधरी सलाउद्दीन राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. नब्ज टटोलने में लगे हैं नारद जीचौक चौराहों पर बेबाक देते हैं प्रतिक्रिया, लेते हैं वोटरों के मन की थाहनिरंजन / सिमरी बख्तियारपुर5 नवंबर को पांचवें चरण में होने वाले सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा चुनाव की बिसात बिछ गयी है. भाजपा गठबंधन और महागठबंधन सहित मुकाबले को तिकोने और चकोने बनाने में जुटे प्रत्याशियों ने कमर कस ली है. लेकिन चौक-चौराहों की चकल्लस में जीत हार का समीकरण राजनीतिक क्षेत्र के नारद जी समझे जाने वाले छुटभईए नेता चाय-पान की दुकानों पर लोगों को समझाने लगे हैं. चार-पांच लोगों की भीड़ को देख नारद जी राजनीतिक बहस छेड़ अपनी वाह-वाही लेने से बाज नहीं आते, और तो और कुछ ऐसे भी नारदजी हैं, जो जनता के बीच हो रही चर्चाओं की पल-पल की जानकारी अपने पंसदीदा प्रत्याशियों तक पहुंचा रहे हैं. ताकि कम से कम कुछ तो खर्चा पानी का जुगाड़ हो जाए. भाजपा गठबंधन व महागठबंधन प्रत्याशियों के अलावा भी कई चेहरे इस बार चुनाव में विधायक बनने की आस के साथ क्षेत्र में कड़ी मेहनत कर रहे हैं और साथ ही इस बार के चुनाव में अपने भाग्य को आजमाने की भी कोशिश में लगे हैं, कोसी के राजनीति दिग्गज कहे जाने वाले महागठबंधन के प्रत्याशी क्षेत्र में भ्रमण कर लोगों की नब्ज को टटोलने में लगे हैं तो भाजपा गठबंधन के तहत लोजपा प्रत्याशी कैसर विरासत की तीसरी पीढ़ी युसुफ सलाउद्दीन पहली बार चुनावी अखाड़े में हैं. जिला परिषद की राजनीति से एक नयी पहचान बनाने वाले एक युवा प्रत्याशी पूरे उत्साह के साथ युवा वोटरों के बीच अपनी पैठ बनाने में लगे हैंं. इस चुनाव में नारदी जी की नजर युवा पर ही टिकी है. 27 हजार नए युवा वोटरों में पहली बार वोट देने को लेकर काफी उत्साह है. यह युवा वोटर ही निर्णायक साबित होगे. नारद जी कहते हैं कि जो इस बार इन युवाओं को अपनी ओर मोड़ पायेगा, वही प्रत्याशी इस बार चुनाव जीत कर जीत का सेहरा बांध पायेगा. वर्ष 1952 जीते – जियालाल मंडल कांग्रेस, हारे – बमभोला मंडल, सोशलिस्ट1957®जीते – चौधरी मो सलाउद्दीन, कांग्रेस हारे – रामचन्द्र प्रसाद, सोशलिस्ट1962जीते – चौधरी मो सलाउद्दीन, कांग्रेसहारे – रामचन्द्र प्रसाद, सोशलिस्ट1967®जीते – चौधरी मो सलाउद्दीन, कांग्रेसहारे – रामचन्द्र प्रसाद, सोशलिस्ट1969®जीते – रामचन्द्र प्रसाद, संसोपाहारे – चौधरी मो सलाउद्दीन, कांग्रेस1972®जीते – चौधरी मो सलाउद्दीन, कांग्रेसहारे – रामचन्द्र प्रसाद, संसोपा1977जीते – चौधरी मो सलाउद्दीन, कांग्रेसहारे – रामचन्द्र प्रसाद, जनता पार्टी1980®जीते – चौधरी मो सलाउद्दीन, कांग्रेसहारे – दिनेश चन्द्र यादव, लोकदल1985®जीते – चौधरी मो सलाउद्दीन, कांग्रेसहारे – दिनेश चन्द्र यादव, लोकदल1990®जीते – दिनेश चन्द्र यादव, जनता दलहारे – चौधरी महबूब अली कैसर, कांग्रेस1995®जीते – चौधरी महबूब अली कैसर, कांग्रेस®हारे – दिनेश चन्द्र यादव, जनता दल2000®जीते – चौधरी महबूब अली कैसर, कांग्रेस®हारे – मो जफर आलम, राजद2005®जीते – दिनेश चन्द्र यादव, जदयू®हारे – चौधरी महबूब अली कैसर, कांग्रेस2009®जीते – चौधरी महबूब अली कैसर, कांग्रेस®हारे – डॉ अरुण कुमार यादव, जदयू2010®जीते – डॉ अरुण कुमार यादव, ®जदयूहारे – चौधरी महबूब अली कैसर, कांग्रेस®
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