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नेट क्वालिफाई किये बिना नहीं बन सकते असस्टिेंट प्रोफेसर

नेट क्वालिफाई किये बिना नहीं बन सकते असिस्टेंट प्रोफेसर प्रभात खास शोध आधारभूत संरचनाओं के अभाव के कारण बीएन मंडल विवि सहित राज्य के किसी भी विवि में यूजीसी के रेग्यूलेशन 2009 का नहीं हो रहा पालन विभागीय लापरवाही व प्रायोगिक व सैद्धांतिक संरचनाओं के कमी के कारण बीएन मंडल विवि में आज तक नहीं […]

नेट क्वालिफाई किये बिना नहीं बन सकते असिस्टेंट प्रोफेसर प्रभात खास शोध आधारभूत संरचनाओं के अभाव के कारण बीएन मंडल विवि सहित राज्य के किसी भी विवि में यूजीसी के रेग्यूलेशन 2009 का नहीं हो रहा पालन विभागीय लापरवाही व प्रायोगिक व सैद्धांतिक संरचनाओं के कमी के कारण बीएन मंडल विवि में आज तक नहीं हो पाया है शोध कोर्स वर्क की परीक्षा बगैर पीएचडी रेग्यूलेशन 2009 के पालन किये बिना किसी भी शोधार्थी को नेट से नहीं मिल सकती है छूटप्रतिनिधि , मधेपुराभूपेंद्र नारायण मंडल विवि में यूजीसी रेगुलेशन 2009 सत्र 2011 से लागू तो गया, लेकिन शोध आधारभूत संरचनाओं के अभाव के कारण पीएचडी कोर्स वर्क बीएन मंडल विवि सहित राज्य के किसी भी विवि में पूरा नहीं हो रहा है. इसके कारण शोधार्थियों के लिए नेट क्वालिफाई करना परेशानी का सबब बन चुका है, लेकिन बिना नेट क्वालिफाई किये बिना बीएन मंडल विवि से पीएचडी करने वाले शोधार्थी किसी विवि या कॉलेज में वे असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं बन सकते है. ज्ञात हो कि राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों में यूजीसी के रेग्यूलेशन 2009 को सत्र 2012 से इसे लागू किया गया था.प्रायोगिक व सैद्धांतिक संरचनाओं की कमी बीएन मंडल विवि में सत्र 2011-12 में नामांकित शोधार्थियों का विभागीय लापरवाही, प्रायोगिक व सैद्धांतिक संरचनाओं के कमी के कारण आज तक शोध कोर्स वर्क का परीक्षा नहीं हो पाया है. वर्तमान समय में विवि का प्रायोगिक कक्ष इंटर स्तर का लग रहा है. हालांकि कोर्स वर्क की परीक्षा आयोजित करने को लेकर लगातार प्रयासरत दिख रही विवि प्रशासन ने परीक्षा की तिथि भी निर्धारित कर दी है.यूजीसी के मापदंड व शर्तों को करना होगा पूरा वैसे तो किसी भी विवि कॉलेज या संस्था में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर बहाली के लिए नेट क्वालिफाई भी करना पड़ता है, लेकिन विवि अनुदान आयोग की ओर यह भी व्यवस्था है कि अगर ऐसा विवि जो आयोग द्वारा तय किये गये मापदंड व शर्तों को पूरा करता हो एवं पीएचडी करने वालों को किसी भी विवि कॉलेज या संस्था में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद बहाली के लिए नेट स्लेट या सेट क्वालिफाई करने की आवश्यक योग्यता होने में छूट मिलती है तो या सीधे अर्थों में कहे अगर कोई विवि यूजीसी रेगुलेशन 2009 के अनुसार तय किये गये मापदंडों को पूरा करता है तो उस विवि से पीएचडी करने वालों को किसी भी विवि कॉलेज या इंस्टीट्यूट में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए नेट क्वालिफाई करने की आवश्यक शर्त में छूट मिलती है, लेकिन बीएन मंडल सहित राज्य के सभी विवि में यूजीसी रेग्यूलेशन 2009 को सत्र 2011 एवं 2012 से लागू किया गया. इसके बावजूद यूजीसी के मापदंडों को अब तक पूरा नहीं किया जा रहा है. जिसका सबसे अधिक नुकसान शोधार्थियों का हो रहा है. शोधार्थी अपना पूरा वक्त शोध करने में दे रहे है. लेकिन बिना नेट क्वालिफाई किये किसी विवि या कॉलेज में वे असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं बन सकते है.75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य बीएन मंडल विवि में सत्र 2011-12 से पूर्व राजभवन द्वारा 2004 में पारित रेग्यूलेशन के आधार पर पीएचडी हो रही है, लेकिन 2011-12 से इसे लागू करने के बाद भी शत प्रतिशत नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. यही नहीं कोर्स वर्क की परीक्षा प्रपत्र भरने के दौरान अनियमितता की बात सामने आयी है. यूजीसी रेगुलेशन के तहत कक्षाओं में एक भी परीक्षार्थियों ने 75 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज नहीं करायी है. जिसके कारण विवि प्रशासन को मजबूरन परीक्षा की तिथि बढ़ा कर 23 नवंबर करना पड़ा. विवि के निर्देशों का नहीं किया गया पालन सत्र प्रारंभ होते ही कोर्स वर्क के लिए विभागों द्वारा आयोजित अनुसंधान परिधि विषयक शिक्षक कार्य को करना था. वही 2009 के रेग्यूलेशन व विवि द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार विषयक कक्षाओं मे प्रत्येक छात्र की उपस्थिति 75 प्रतिशत सुनिश्चित की जानी थी, लेकिन यूजीसी के रेग्यूलेशन व विवि के निर्देशों को नजरअंदाज कर किसी ने अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करायी. विवि सूत्रों की माने तो कोर्स वर्क के नामांकित कई छात्र नियमित सरकारी व अर्द्ध सरकारी सेवा में कार्यरत है. इसके अलावा कई छात्र बीच में ही बीएड में नामांकन के लिए माइग्रेसन ले चूके है. वहीं वैसे छात्र पुन: बीएड कोर्स पूरा करने के उपरांत कोर्स वर्क की परीक्षा में सम्मलित होने के लिए विवि प्रशासन पर दवाब बना रहे है.इस तरह से देखा जाये तो बीएन मंडल विवि में पीएचडी पत्राचार पाठ्यक्रम पर आधारित हो चुका हैं. 2009 के रेग्यूलेशन का माना जायेगा उल्लंघन इधर, विवि अनुदान आयोग द्वारा यह निर्देशित किया गया है कि एमफील व पीएचडी पाठ्यक्रम केवल पीजी विभागों में संपादित की जाये, अन्यथा इसे 2009 रेग्यूलेशन का उल्लंघन माना जायेगा. जबकि वर्तमान में बीएन मंडल विवि के अंतर्गत शोध कार्य स्नातक स्तरीय विद्यालय में भी अनुमोदित किये जा रहे है. ज्ञात हो कि पीएचडी पाठ्यक्रम में शोधार्थी संबंधन प्राप्त कॉलेजों के शिक्षकों से भी पंजीकृत है. बता दे कि बीएन मंडल राज्य सरकार के अधीन विवि हैं, यहां कोई भी रेग्यूलेशन राज्यपाल के अनुमोदन के बाद ही प्रभावी होता हैं. जानकारों का मानना है कि 18 सितंबर 2010 को लागू यूजीसी रेग्यूलेशन 2009 के धारा 3.3.1 से उपरोक्त स्थिति पूरी तरह स्पष्ट होती हैं.2011 में प्रतिरोध के बावजूद छत्र हित में पीएचडी रेग्यूलेशन 2009 को विवि में लागू किया गया था. पुन: वर्तमान कुलपति डाॅ विनोद कुमार के दिशा निर्देश में शोध कार्य व शैक्षणिक गुणवत्ता की विकास को लेकर प्रयास किया जा रहा है. विवि अनुदान आयोग से प्राप्त पत्र, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायादेश व उच्च न्यायालय पटना के न्यायादेश से यह पूर्णत: प्रतिष्ठित हो चुका है कि बगैर पीएचडी रेग्यूलेशन 2009 के पालन किये नेट से छूट किसी भी शोधार्थी को प्राप्त नहीं हो सकता है. इसलिए सभी शोधार्थियों से अनुरोध है कि वे 2009 के अंतर्गत ही अपनी पीएचडी पाठ्यक्रम सुनिश्चित करें. विवि प्रशासन इस दिशा में लगातार प्रयासरत है.डाॅ नरेंद्र श्रीवास्तव, उप कुलसचिव, शैक्षणिक, बीएनएमयू, मधेपुरा

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