सत्तरकटैया: एक तरफ सरकार ने बाल मजदूरी रोकने के लिए कानून बनाया हुआ है. वहीं दूसरी तरफ सरकार के ही वन विभाग के अधिकारी महादलित बच्चों से बाल मजदूरी करवा रहे हैं.
सोमवार व मंगलवार को सहरसा उपशाखा नहर में बिजलपुर के सामने वन विभाग द्वारा पेड़ लगाने के लिए बच्चों से मिट्टी का ढ़िमका बनवाया जा रहा था़ एक ढ़िमका बनाने पर तीस रूपये दिये जाने की बात बच्चों ने बतायी. इस कार्य में पिछले तीन दिनों से पुंरीख मुशहरी, रकिया मुशहरी, घीना मुशहरी के सैकड़ों बच्चों को लगाया गया है़ इन बाल मजदूर बच्चों को उसके दोपहर का खाना उसकी मां पहुंचाती है़ .
मामले की जानकारी मिलते ही बिहरा थानाध्यक्ष रामेश्वर साफी ने मौके पर पहुंचकर बच्चों से पूछताछ की तो बच्चों ने बताया कि अपने माता पिता की सहमति से काम करता हूं. प्रतिदिन चार से पांच ढ़िमका बनाकर 150 रूपये तक कमा लेता हूं. यह पूछने पर कि स्कूल क्यों नहीं जाते हो तो बच्चों ने बताया कि माता पिता कभी पढ़ाई करने के लिए कहते ही नहीं है़ ज्ञात हो कि शिक्षा अधिकार कानून पूरे देश में लागू है़ लेकिन माता और पिता अपने बच्चों को मजदूरी कराने के लिए बेबस किये हुए है़ं उस पर वन विभाग के पदाधिकारी भी आंख मूंद कर काम ले रहे है़ं बाल मजदूरी कर रहे संजीव कुमार, नीतीश कुमार, नारायण सादा, सुनील कुमार, रविन कुमार, रामलखन सादा, खटर कुमार, अंकुश सादा, अजीत कुमार , अक्षय कुमार, राजू कुमार सहित अन्य ने बताया कि बाल मजदूरों को कम पैसा देने से ही ठेकेदार का काम चल जाता है़ वैसे भी बड़े आदमी तो बाहर मजदूरी करने चले जाते हैं.
घर में सिर्फ महिलाएं और बच्चे ही रहते है़ं बच्चों ने बताया कि वन विभाग के शंभु सिंह, गार्ड प्रभारी मिथिलेश सिंह, मुंशी नुनुलाल यादव व सुरेंद्र शर्मा हमलोगों से कार्य करवा रहे हैं.इस मामले में पूछने पर गार्ड प्रभारी मिथिलेश सिंह ने बताया कि बच्चे खाना लेकर आते हैं तो वह भी काम करने लगते है़ं मालूम हो कि बच्चों से बाल मजदूरी कराने का गोरख धंधा सतरकटैया, बिहरा पटोरी बाजार के कई दुकानों तथा चिमनी भट्ठों पर भी चल रहा है़