* भाजपा को रास नहीं आती बिहार की प्रशंसा
सहरसा : सरकार से निकाले जाने के बाद मंगलवार को भाजपा द्वारा बुलाये गये बंद को जदयू ने पूरी तरह फेल बताया है. यह सिर्फ सत्ता के हाथ से जाने का खींझ भर है. उन्होंने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ताओं के उत्पात मात्र से कुछ देर तक लोगों ने अपनी-अपनी दुकाने बंद रखी. बारिश ने भी थोड़ी देर तक उनका साथ दिया. करीब बारह बजे से बाजार पूरी तरह खुल गई थी. अन्य दिनों की तरह सामान्य हो गया था.
जनता दल यूनाइटेड के जिलाध्यक्ष धनिक लाल मुखिया ने कहा कि अंतत: भाजपा का असली चेहरा सामने आ ही गया. उनके सांप्रदायिक चरित्र को लोगों ने देख लिया. सरकार में साझीदार रही भाजपा को सीएम सबसे अच्छे लग रहे थे, लेकिन अलग किये जाने के अगले ही दिन मौका परस्त नजर आने लगे.
श्री मुखिया ने कहा कि नीतीश कुमार के नाम पर जनादेश पाने वाले भाजपाई बिहार को छोड़ गुजरात का राग अलापने में लगे हैं. यह उनके दोहरे चरित्र को दर्शाता है. श्री मुखिया ने कहा कि बंदी के दौरान भाजपा का बैनर भी पार्टी की असलियत को दिखा रहा था. एक तरफ कथित रूप से बड़े नेता लाल कृष्ण आडवाणी का आशीर्वाद लेने उनके घर जाते हैं.
दूसरी ओर पार्टी के बैनर से उनकी तसवीर ही गायब पाई जाती है. उन्होंने कहा कि जिस पार्टी को अपने राज्य से लगाव नहीं होगा, वे बिहार के विकास की बात भी क्या सोचेंगे. देश भर में मॉडल बन रहे बिहार की तारीफ सुनना इन्हें पसंद नहीं है. जदयू जिलाध्यक्ष ने कहा कि सीएम को विश्वासघात कहने वालों को खुद की गिरेबान में झांकना चाहिए.
जिनके नाम लेकर चुनाव में जीते, विधान सभा के सदस्यों की संख्या में वृद्धि पाई व सत्ता पर काबिज हुए. उन्हीं के विरोध में सड़क पर उतर विश्वासघाती का परिचय दिया है. नीतीश कुमार ने विश्वासमत भी हासिल कर लिया है.
आवश्यक 77 की तुलना में 126 विधायकों का समर्थन मिला है. पीएम मनमोहन सिंह ने भी इन्हें धर्मनिरपेक्ष बताते मुख्यमंत्री के कार्यशैली की प्रशंसा की है. बिहार में भाजपा की उलटी गिनती शुरू हो गयी है. आने वाले चुनाव में इस पार्टी का हाल 2005 से पूर्व वाली स्थिति पर पहुंच जायेगा.