श्रुतिकांत, सहरसा : नये मोटर व्हीकल एक्ट के तहत एक सितंबर से सात सितंबर के बीच पूरे राज्य में चले अभियान में सहरसा जिला के परिवहन विभाग ने दो लाख 84 हजार रुपये जुर्माना वसूल कर पहला स्थान पर है. वहीं अरवल, बांका, बक्सर, छपरा, गया, मधुबनी, मोतिहारी, शेखपुरा में उपलब्धि शून्य है. जिला मोटरयान निरीक्षक संतोष कुमार सिंह ने बताया कि इस दौरान जिले में 173 वाहनों की जांच की गयी. जिसमें 115 वाहनों से दो लाख 84 हजार रूपये वसूले गये.
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वाहन जांच अभियान में पूरे राज्य में सहरसा अव्वल, आठ जिलों में उपलब्धि रही शून्य
श्रुतिकांत, सहरसा : नये मोटर व्हीकल एक्ट के तहत एक सितंबर से सात सितंबर के बीच पूरे राज्य में चले अभियान में सहरसा जिला के परिवहन विभाग ने दो लाख 84 हजार रुपये जुर्माना वसूल कर पहला स्थान पर है. वहीं अरवल, बांका, बक्सर, छपरा, गया, मधुबनी, मोतिहारी, शेखपुरा में उपलब्धि शून्य है. जिला मोटरयान […]
वहीं यातायात प्रभारी नागेंद्र राम ने बताया कि यातायात पुलिस द्वारा 15 हजार रूपये, सदर एसडीपीओ प्रभाकर तिवारी के द्वारा 21 हजार छह सौ रूपये वसूला गया है. सघन वाहन जांच अभियान लगातार चलने से बिना कागजात व चालक अनुज्ञप्ति के सड़क पर फर्राटा भरने वाले वाहन अचानक गायब हो गये हैं.
हर पंप पर हजार लीटर पेट्रोल की बिक्री हुई कम : एक सितंबर से नये मोटर अधिनियम के तहत वाहन चालकों पर सख्ती के बाद प्रत्येक पेट्रोल पंप पर प्रतिदिन एक हजार लीटर पेट्रोल की बिक्री कम हो गयी है. पेट्रोल की बिक्री का घटना बताता है कि अब तक लोग बिना पूर्ण आवश्यक कागजात के ही चल रहे थे.
सरकार को दिये जाने वाले टैक्स की चोरी कर रहे थे. उससे बचते आ रहे थे. लेकिन पहले से कई गुना अधिक जुर्माना लगते ही लोगों में भय उत्पन्न हुआ और वे अपनी बाइक को घरों में रख साइकिल, रिक्शा, ई-रिक्शा या फिर पैदल ही चलने लगे. हालांकि अभी भी कई लोग हैं, जो पुलिस या फिर वाहन जांच की नजर से बचकर लूप लाइन का उपयोग कर रहे हैं.
लेकिन पुलिस द्वारा किसी भी मोड़ पर जांच शुरू कर देने से उनका भय दूना हो गया है. शिवपुरी में कंचन फ्यूल के संचालक नितेश राज बताते हैं कि नये नियम की सख्ती के लागू होने के बाद प्रतिदिन लगभग आठ सौ से एक हजार लीटर पेट्रोल की बिक्री कम हो गयी है. यही हाल शहर से लेकर जिला मुख्यालय के अधिकांश पेट्रोल पंप का है.
कानफाड़ू साइलेंसर से नहीं मिल रही है निजात : सघन वाहन जांच अभियान के बाद भी शहर में कानफाड़ू साइलेंसर से निजात नहीं मिल रही है. अभी भी बुलेट व अन्य वाहन में लगे कानफाड़ू साइलेंसर से निजात नहीं मिली है. अभी भी ऐसे वाहन सड़क पर दौड़ रहे हैं. जानकारी के अनुसार खासकर बुलेट चालक शोरूम से निकलते ही विभिन्न गैरेजो में जाकर साइलेंसर को चेंज कर कानफाड़ू आवाज व अन्य किस्म के डरावना वाला साइलेंसर लगाते हैं.
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