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नीरज कुमार वर्मा, सहरसा : आचार संहिता से पूर्व सहरसा-गढबरूआरी व बनमनखी-बरहहा कोठी रेलखंड पर आनन-फानन में रेल प्रशासन ने ट्रेन चला दी, लेकिन रेल यात्रियों की जान की तनिक परवाह नहीं की. सहरसा-गढबरूआरी व बनमनखी-बरहहा कोठी रेलखंड पर अब तक कई बड़ी समस्याएं है. जो रेल प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है. बीते […]

नीरज कुमार वर्मा, सहरसा : आचार संहिता से पूर्व सहरसा-गढबरूआरी व बनमनखी-बरहहा कोठी रेलखंड पर आनन-फानन में रेल प्रशासन ने ट्रेन चला दी, लेकिन रेल यात्रियों की जान की तनिक परवाह नहीं की. सहरसा-गढबरूआरी व बनमनखी-बरहहा कोठी रेलखंड पर अब तक कई बड़ी समस्याएं है.

जो रेल प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है. बीते फरवरी माह में सीआरएस निरीक्षण के बाद बीते सात मार्च को आधा-अधूरा कार्य पर दोनों रेलखंडों पर 85 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन के परिचालन की मंजूरी दे गयी है.
जबकि सिग्नल से लेकर इंटरलॉकिंग व पैकिंग मशीन का काम इन रेलखडों पर अब तब अधूरा पड़ा है. ऐसे में इंटरलॉकिंग कार्य अधूरा होने से ट्रैक से ट्रेन कभी भी उतर सकती है और एक बड़ी रेल दुर्घटना की संभावना बन सकती है.
लेकिन रेल प्रशासन के अधिकारियों को इसकी तनिक भी चिंता नहीं है. रेल अधिकारियों की मानें तो राजनीतिक दवाब के कारण इन रेलखंडों पर कार्य पूरा किये बिना आचार संहिता से पूर्व ट्रेन को चलायी गयी. ट्रेन खुलने के बाद यात्रियों को काेई खास फायदा नहीं मिल रहा है.
सहरसा-गढबरूआरी रेलखंड पर इंटरलॉकिंग का कार्य अधूरा होने से सहरसा से गढबरूआरी 16 किलोमीटर की दूरी 50 मिनट के बजाय ढाई से तीन घंटे में पूरी हो रही है. वहीं कंस्ट्रक्शन विभाग के अधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने को तैयार नहीं है और सहरसा रेल प्रशासन ने हाथ खड़े कर लिए हैं. वहीं रेल प्रशासन इस बात से इंकार भी नहीं कर रहा है.
कोलकत्ता से केबुल मिलने के बाद ही सहरसा-गढ़बरूआरी रेलखंड पर सिग्नल का कार्य हो सकेगा पूरा
कोलकत्ता से केबुल मिलने के बाद ही सहरसा-गढ़बरूआरी रेलखंड पर सिग्नल का कार्य पूरा हो सकेगा. जबकि छह माह पूर्व ही पूर्व मध्य रेलवे ने ईस्टर्न रेलवे कोलकत्ता से केबुल से मांग की थी. ताकि सहरसा-गढबरूआरी रेलखंड पर सिग्नल का कार्य पूरा हो सके.
लेकिन जो केबुल रेल प्रशासन को उपलब्ध कराया गया, वह सहरसा जंक्शन पर नवनिर्मित प्लेटफॉर्म 3, 4 व 5 के सिग्नल निर्माण के लिए भी पर्याप्त नहीं हो सका. ऐसे में सहरसा-गढबरूआरी रेल खंड पर बिना सिग्नल ही ट्रेन दौड़ रही है. हालांकि किसी तरह से नवनिर्मित प्लेटफाॅर्म पर सिग्नल का कार्य पूरा करा लिया गया है.
सहरसा-गढबरूआरी व बनमनखी बरहराकोठी के बीच पैकिंग मशीन कार्य अब तक अधूरा
बीते फरवरी माह में सीआरएस निरीक्षण के बाद सहरसा-गढबरूआरी व बनमनखी बरहरा कोठी रेलखंडों पर सात मार्च से ट्रेन का परिचालन शुरू कर दिया गया. वहीं सहरसा-गढबरूआरी रूट पर 85 किलोमीटर प्रतिघंटा से ट्रेन की रफ्तार भी तय की गई है. हालांकि दोनों रेलखंडों पर वर्तमान में एक-एक सवारी ट्रेन का ही परिचालन किया जा रहा है.
रेल सूत्रों की मानें तो दोनों रेलखंडों पर अब तक पैंकिंग मशीन कार्य अधूरा है. सहरसा-गढबरूआरी रेलखंड पर शुरू में एक बार पैकिंग मशीन कार्य किया गया था. जबकि ट्रेन परिचालन के बाद भी कई बार पैकिंग कार्य जरूरी है. जबकि बनमनखी-बरहरा कोठी रेलखंड पर एक बार भी पैकिंग मशीन कार्य नहीं किया गया.
पैकिंग मशीन से रेलवे ट्रैक होता है मजबूत
पैकिंग मशीन में रेलवे ट्रैक के दोनों ओर पत्थर को साफ किया जाता है. जिसके बाद मशीन द्वारा ट्रैक को उपर उठाया भी जाता है. रेलवे रेल सूत्रों की मानें तो कई बार पैकिंग मशीन कार्य होने से ट्रैक पूरी तरह से मजबूत होता है.
अभी गढबरूआरी से सरायगढ तक अमान परिर्वतन कार्य पूरा करने की प्राथमिकता दी जा रहा है. सहरसा से गढबरूआरी वन ट्रेन सिस्टम है. जो ट्रेन जाएगी, वही वापस आएगी. ऐसे में दुर्घटना की कोई संभावना नहीं है. सरायगढ तक अमान परिर्वतन कार्य युद्धस्तर पर होगा. वहीं इस बीच सिग्नल का जो भी काम है, पूरा होता रहेगा. आरके जैन, डीआरएम पूर्व मध्य रेलवे
सहरसा-गढबरूआरी रेलखंड पर छह जगहों पर होता है क्लीपिंग लॉक
सहरसा-गढबरूआरी 16 किलोमीटर रेलखंड पर छह जगहों पर क्लीपिंग लॉक कार्य रोजाना रेल कर्मचारी द्वारा होता है. जहां पर दो पटरी का प्वाइंट बना होता है. ट्रेन आने से पूर्व दोनों प्वाइंट का क्लेंप होता है, ताकि प्वाइंट छिटके नहीं.
रेल कर्मचारी ने बताया कि एक प्वाइंट बनाने में 20-25 मिनट का समय लगता है. ऐसे में सहरसा-गढबरूआरी रूट पर 50 मिनट के बजाय ट्रेन ढाई से तीन घंटे में पहुंच रही है.
16 किमी की िनर्माण लागत 300 करोड़
सहरसा-गढबरूआरी रेलखंड :- 16 किलोमीटर
निर्माण लागत :- लगभग 300 करोड
चार स्टेशन सहरसा कचहरी, नंदलाली, पंछगछिया व गढबरूआरी इंटरलॉकिंग कार्य अधूरा, जहां छह जगहों पर होता है क्लीपिंग लॉक
26 दिसंबर 2016 को इस रेलखंड पर लिया गया था मेगा ब्लॉक
कार्य अवधि 26 माह में पूरा
सहरसा से गढबरूआरी वन ट्रेन सिस्टम का परिचालन
प्रस्थान सहरसा सुबह 9 बजे, आगमन गढबरूआरी 9.50 मिनट पर
गढ़बरूआरी प्रस्थाम शाम 6 बजे, सहरसा आगमन 6.45 मिनट पर
बनमखी-बरहरा कोठी रेलखंड – 16.5 किलोमीटर
निर्माण लागत – लगभग 729 करोड
बनमखी-बरहरा कोठी रेलखंड के बीच चार स्टेशन
वर्ष 2016 में इस रेलखंड पर अमान परिर्वतन के लिए लिया गया था मेगा ब्लॉक
तीन साल में कार्य अवधि पूरा
सहरसा से बरहरा कोठी के लिए प्रस्थान सुबह 7.10 मिनट पर, सहरसा आगमन 8.30 मिनट पर
आज से जनहित एक्सप्रेस में लगेगा एलएचबी कोच
सहरसा. रेल यात्रियों के लिए अच्छी खबर है. पूरबिया, वैशाली व जनसाधारण एक्सप्रेस के बाद अब जनहित एक्सप्रेस में रेल यात्रियों का सफर आरामदायक होगा.
आज से जनहित एक्सप्रेस में एलएचबी कोच लगाया जायेगा. एलएचबी कोच सहरसा जंक्शन गुरुवार को ही पहुंच गयी थी. कोच की फीटिंग व मेंटनेंस जांच के लिए उसे यार्ड में भेजा गया था.
खबर लिखे जाने कोच की मेंटनेंस की जानकारी नहीं मिल सकी थी. हालांकि रैक पूरी तरह से फिट बताया गया है. एलएचबी कोच लगने के बाद जनहित में 14 कोच के अलावा दो एलएआर कोच होंगे. एलएचबी कोच लगने के बाद रेल यात्रियों का सफर आरामदायक व पूरी तरह से सुरक्षित होगा.
भीड बढ़ने पर खुलेगा अतिरिक्त टिकट काउंटर
सहरसा. होली के त्योहार के मद्देनजर सहरसा जंक्शन पर यात्रियों की भीड़ बढ़ने पर अतिरिक्त टिकट काउंटर खोला जा सकेगा. पूर्व मध्य रेलवे ने इसके लिए निर्देश भी जारी किया है. अब तक सहरसा जंक्शन पर 3-4 टिकट काउंटर 24 घंटे खुले रहते हैं.
जबकि यहां दो आरक्षण काउंटर को लेकर कुल सात टिकट काउंटर हैं. भीड़ के मद्देनजर टिकट काउंटर खोलने की पूरी तैयारी रेल प्रशासन द्वारा कर ली गई है. डीसीआई राजेश रंजन श्रीवास्तव ने बताया कि अभी तक यात्रियों की भीड़ टिकट काउंटर पर नहीं देखी जा रही है. अगर भीड़ बढ़ती है तो अविलंब अतिरिक्त टिकट काउंटर खोला जायेगा

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