17.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

यहां चलती का नाम गाड़ी नहीं, दादागिरी है

प्रशासनिक उदासीनता. सड़कों का अतिक्रमण, बेतरतीब पार्किंग अौर कहने पर सीनाजोरी से त्रस्त हैं शहरवासी सहरसा बाजार घुसते ही अस्त-व्यस्तता दिखने लगती है. सड़क पर चढ़ आयी दुकानें जाम को आमंत्रित करती हैं. वहीं जहां-तहां पार्क किये गये वाहन आपको सीधे चलने भी नहीं देते. बाहर के लोग यहां आकर ट्रैफिक के नियम भी भूलने […]

प्रशासनिक उदासीनता. सड़कों का अतिक्रमण, बेतरतीब पार्किंग अौर कहने पर सीनाजोरी से त्रस्त हैं शहरवासी

सहरसा बाजार घुसते ही अस्त-व्यस्तता दिखने लगती है. सड़क पर चढ़ आयी दुकानें जाम को आमंत्रित करती हैं. वहीं जहां-तहां पार्क किये गये वाहन आपको सीधे चलने भी नहीं देते. बाहर के लोग यहां आकर ट्रैफिक के नियम भी भूलने लगते हैं. व्यवस्था ही ऐसी है. ऐसे में फुटपाथ पर बैठे किसी दुकानदार के सामान पर आपका पैर पड़ जाये, अौर वह आपको झिड़क दे, तो बुरा मत मानियेगा. सहरसा में आपका स्वागत है.
सहरसा : सहरसा शहर बना नहीं, बाजार विकसित हुआ नहीं, मुलभूत सुविधाएं मिली नहीं लेकिन शहर की सड़कों पर कानून की धज्जी उड़ाने वाले तत्वों की सक्रियता परेशानी का सबब बनने लगी है. स्थानीय आम से लेकर खास लोग सभी कहीं न कहीं यातायात, आरक्षण, सड़क, यातायात से लेकर फुटपाथ तक ऐसे लोगों से लगातार प्रताड़ित हो रहे हैं. इनलोगों के कारनामों से सामाजिक व आर्थिक दोनों प्रकार की क्षति हो रही है. समाज के प्रबुद्ध वर्ग व प्रशासनिक महकमे की सजगता से शहर में शुरू हुई गलत परंपरा से निजात मिल सकती है. हालांकि इसके लिए ईमानदारी से प्रयास करने की आवश्यकता है.
सड़कों पर फैल रही अराजकता को रोकने के लिए सभी वर्ग के लोगों को सकारात्मक सहयोग करने की जरूरत है. समझदारी के अभाव में की जाने वाली गलतियों को लोग दादागिरी समझ चुप्पी साध लेते हैं. जबकि ऐसी व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए समय समग्र प्रयास की मांग कर रही है.
जनता के काउंटर पर दलाल हावी: रेलवे स्टेशन स्थित तत्काल टिकट काउंटर पर दबंगों का कब्जा है. यहां रोज ही पहले और दूसरे नंबर पर टूर एंड ट्रेवल्स वाले का कब्जा रहता है. तीसरे नंबर पर स्टेशन पर टैक्सी चलाने वाले ड्राइवर और चौथे नंबर पर दलाल महिलाओं ने कब्जा कर रखा है. इसके बाद आम लोग टिकट के लिए कतार में लग सकते हैं. यह लोग रोज दादागिरी कर आम लोगों को पीछे कर देते हैं. रात भर कतार में लगे लोगों को सुबह अपने हिसाब से बनाई कतार की सूची दिखाकर पीछे लगने पर मजबूर किया जा रहा है.
दादागिरी कर दलाल, ड्राइवर और सड़क छाप गुंडे दूसरों की आइडी पर टिकट बनवाकर मोटी रकम ऐंठ रहे हैं. यात्रियों ने बताया कि उनकी शिकायत पर रेल प्रशासन भी कोई कार्रवाई नहीं करती है. जबकि टिकट माफिया लाखों रुपये कमाकर मालामाल हो रहे है.
गरीब के नाम पर नहीं करें अतिक्रमण
बाजार में सामान खरीदने जा रहे हों तो जरा संभलकर जायें. सड़क पर अतिक्रमण कर फुटपाथी दुकान करने वालों से सामान खरीदते समय बार्गेनिंग करना आप पर भारी पड़ सकता है. सड़कों पर अतिक्रमण का आलम यह होता है कि चलना दूभर हो जाये. ऊपर से इनकी संख्या भी अप्रत्याशित बढ़ जाती है. प्रशासनिक उदासीनता का फायदा उठाते हुए अपनी दुकान के बाहर रेहड़ी की तर्ज पर चारपाई लगा कर अपना सामान बेचते देखे जा सकते हैं.
यही नहीं, किसी भी ग्राहक के साथ बदतमीजी करने में भी इनका जवाब नहीं होता. आप सजग नागरिक की तरह इन लोगों द्वारा सड़क पर किये गये अतिक्रमण का विरोध करते हैं तो यह लोग गरीब होने का दांव खेल आपको परेशान करने लगते है. शहर के शंकर चौक से थाना चौक तक ऐसे लोग आपको मिल जायेंगे. खासकर बंगाली बाजार ढाला से प्रशांत मोड़ पर ग्राहकों से होने वाली बदतमीजी आम बात बन कर रह गयी है.
शहर की सड़कों पर चालकों की मनमर्जी
अमूमन शहर की सड़कों पर चालकों ही राज चलता है. इनके लिए अधिकारियों के आदेश शायद कुछ भी नहीं, तभी तमाम निर्देशों के बाद भी उनकी मनमर्जी जारी है. यह हाल गंगजला चौक, वीर कुवंर सिंह चौक, दहलान चौक, धर्मशाला रोड, महावीर चौक, तिवारी टोला चौक पर देखने को मिलता है. यहां सड़क पर बस खड़ी कर सवारी भरने की मनाही है, बाकायदा बोर्ड तक टंगवा दिया गया है. मगर अधिकांश दिन यहां बस स्टैंड खाली रहता है. सवारी सड़क पर ही भरी जाती हैं और यहीं से गाड़ी रवाना हो जाती हैं. बस स्टैंड से कुछ दूरी पर ही रमेश झा महिला कॉलेज सहित अन्य सरकारी विभाग हैं.
हर दिन सैकड़ों लोगों व छात्राओं का आवागमन रहता है. नवहट्टा व सत्तरकटैया सहित सुपौल की तरफ से आने वाली बसों के चालक बस स्टैंड में गाड़ी खड़ी करने की जगह सड़क पर खड़ी कर देते हैं और यहीं से सवारियां भरी जाती हैं. इस कारण एक तो रोड पर जाम की स्थिति बनी रहती है, वहीं दूसरी ओर कॉलेज के छात्र-छात्राओं पर दुर्घटना का खतरा मंडराता रहता है. ताज्जुब की बात यह है कि परिवहन विभाग द्वारा यहां दंडात्मक कार्रवाई और चालान आदि का प्रावधान है. बावजूद इसके वाहन चालकों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है.
ट्रैफिक नियम तोड़ने से बढ़ता रुतबा
इसे पुलिस की सुस्ती कहे या ट्रैफिक नियमों को तोड़ने की लोगों की आदत, शहर में रोजाना हजारों बाइक सवार घरों से निकलते है. जिसमें सौ के करीब लोग ही हेलमेट पहने हुए मिलते हैं. कभी-कभी पुलिस की सख्ती से वाहन चालक ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन करते पाये जाने पर जुर्माना भरते हैं. इसके बावजूद ओवरलोड, बिना हेलमेट पहने और रफ्तार में वाहन चलाने वालों की तादाद हर साल बढ़ती जा रही हैं. ट्रैफिक नियम तोड़ने व इनकी अवहेलना करने वालों की तादाद भी कम नहीं है. यह तो महज शहर का हाल है.
ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे सैकड़ों वाहन चालक रोजाना ट्रैफिक नियमों को ताक पर रख सरपट वाहन चलाते हैं. यहीं वजह है कि सड़क हादसों में प्रत्येक वर्ष सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है।. इनमें से कई तो खुशनसीब होते है जिनकी जान बच जाती है, लेकिन कई ऐसे भी होते है जिनकी मौत हो जाती है.
ठेंगे पर कानून, स्टाइलिश नंबर प्लेट का चलन
स्थानीय स्तर पर ट्रैफिक कानून तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं. नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है. पुलिस उन पर लगाम लगाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है. हेलमेट, गाड़ी का कागज, प्रदूषण और ड्राइविंग लाइसेंस की चेकिंग के बीच कई ऐसी चीजें भी हैं, जो यातायात नियम से जुड़ी हुई है.
गाड़ियों में नंबर प्लेट चालक की पहचान के लिए लगवाए जाते हैं और ये निर्देश है कि लोग गाड़ियों के दोनों तरफ स्पष्ट अक्षरों में नंबर प्लेट लगाए. लेकिन, कई लोग अपनी गाड़ियों में स्टाइलिश नंबर प्लेट लगाकर चल रहे हैं, जिसमें नंबर स्पष्ट रूप से नहीं दिख पाता है. स्टाइलिश नंबर प्लेट से ज्यादातर नंबर स्पष्ट रूप से नहीं लिखे होने के कारण उसे पढ़ने में कठिनाई होती है. इस तरह के नंबर प्लेट वाली गाड़ियां कोई एक्सीडेंट करके चली जाती हैं तो लोग उसे नोट तक नहीं कर पाते है. इसके कारण आगे जांच में कठिनाई होती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें