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नवजातों के लिए अधूरी व्यवस्था

इंट्राकेट व कई दवाई लानी होती है बाहर से सहरसा : कोसी का प्रमंडलीय अस्पताल कहे जाने वाले सदर अस्पताल के किसी भी यूनिट या वार्ड की स्थिति अच्छी नहीं है. अस्पताल के पश्चिमी भाग स्थित स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट मात्र कहने के लिए ही है. नवजात के भरती होने के बाद इंट्राकेट, पेडिया […]

इंट्राकेट व कई दवाई लानी होती है बाहर से

सहरसा : कोसी का प्रमंडलीय अस्पताल कहे जाने वाले सदर अस्पताल के किसी भी यूनिट या वार्ड की स्थिति अच्छी नहीं है. अस्पताल के पश्चिमी भाग स्थित स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट मात्र कहने के लिए ही है. नवजात के भरती होने के बाद इंट्राकेट, पेडिया सेट से लेकर कई तरह की दवाइयां बाहर से खरीद कर लानी पड़ती हैं. लोग परिस्थितिवश कर्मियों के कहे अनुसार दवाइयों की पूर्ति करते रहते हैं. बावजूद इसके किसी भी विभागीय या जिला प्रशासन के अधिकारियों का ध्यान नहीं जा रहा है. जानकारी के अनुसार, यूनिट के बगल में एसएनसीयू के लिए सुसज्जित भवन का निर्माण किया गया है. इसका निर्माण अंतिम चरण में है.
इसके बाद यह यूनिट नवनिर्मित भवन में शिफ्ट कर जायेगा.
अत्याधुनिक मशीन से है लैस : स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट अत्याधुनिक मशीन से लैस है. जानकारी के अनुसार, यूनिट में पांच वार्मर, एक सेक्शन मशीन, चार ऑक्सीजन सिलिंडर, एक ऑक्सीजन कम्यूनिकेटर, दो फोटोथेरेपी मशीन लगा हुआ है, जो चालू अवस्था में है. वहीं एयर कंडीशन की हालात से कर्मी भी अनजान हैं. एसी चालू अवस्था में है या नहीं, इसकी कोई जानकारी नहीं है. वहीं बच्चों के इलाज के लिए तीन चिकित्सक अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनिल कुमार, डॉ रवींद्र शर्मा, डॉ महबूब आलम अपनी सेवा देते हैं. देखभाल के लिए छह जीएनएम, दो एएनएम व एक चतुर्थवर्गीय कर्मी प्रतिनियुक्त हैं.
न चप्पल है, न हैंडवाश: अस्पताल के पश्चिमी भाग में स्थित एसएनसीयू बस कहने के लिए है. यूनिट में उपलब्ध सुविधा बदतर है. स्थिति यह है कि सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं रहने के कारण कर्मियों की मनाही के बावजूद नवजात के परिजन बेधड़क अंदर आते-जाते रहते हैं. जबकि अन्य जगहों या निजी अस्पताल में इस यूनिट में अंदर जाकर बच्चों को देखने के लिए समय निर्धारित है. अंदर जाने से पूर्व परिजन को अपना जूता चप्पल बाहर रख यूनिट द्वारा मुहैया चप्पल पहन कर ही अंदर जाने की इजाजत दी जाती हैं. लेकिन यहां यूनिट में मात्र एक जोड़ा चप्पल है. नियमानुसार बच्चों को छूने से पूर्व व बाद में हाथ को अच्छी तरह से धोना आवश्यक है, लेकिन यूनिट में एक अदद हैंडवाश तक की व्यवस्था नहीं है. कर्मियों के पीने के लिए पानी तक की भी व्यवस्था नहीं है. प्यास लगने पर प्रतिनियुक्त कर्मियों को ओपीडी या अन्य जगहों पर लगे आरओ से पानी लेने या दुकान से खरीदने की मजबूरी है.
सात नवजात हैं भरती
बुधवार को यूनिट में सात नवजात भरती थे. वहीं आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रतिदिन औसतन चार नवजात भरती होते हैं.

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