30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

वेंटीलेटर पर ही पड़ा है आइसीयू

हाल-ए-सदर अस्पताल. उद्घाटन के बाद ही अस्तित्व का संघर्ष सहरसा : नवंबर 2013 को आनन-फानन में सदर अस्पताल में हृदय रोग इलाज के लिए शुरू किया गया आइसीयू अपने ही अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है. लोगों को जिंदगी देने के खोले गये आइसीयू को खुद वेंटीलेटर की आवश्यकता है. स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही […]

हाल-ए-सदर अस्पताल. उद्घाटन के बाद ही अस्तित्व का संघर्ष

सहरसा : नवंबर 2013 को आनन-फानन में सदर अस्पताल में हृदय रोग इलाज के लिए शुरू किया गया आइसीयू अपने ही अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है. लोगों को जिंदगी देने के खोले गये आइसीयू को खुद वेंटीलेटर की आवश्यकता है. स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से आइसीयू सेवा मजाक बन कर रह गया है. न ही चिकित्सक व न ही कर्मियों की स्थायी प्रतिनियुक्ति की गयी है. आइसीयू सेवा चालू होने के बाद कोसी जैसे पिछड़े इलाके में हृदय रोग संबंधी इलाज होने की उम्मीद जगी थी. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण उद्घाटन के बाद से ही आइसीयू अव्यवस्था के जाल में फंस गया है. वेंटीलेटर के लिए एनेस्थेटिक व कार्डियोलॉजिस्ट व प्रशिक्षित कर्मी का स्थायी प्रतिनियुक्ति नहीं होने से यह कोसी का प्रमंडलीय अस्पताल कहे जाने वाले सदर अस्पताल में किसी काम का नहीं रह गया है. जो कर्मी प्रशिक्षण प्राप्त भी किये थे, उन्हें दूसरी जगह तैनात किया गया है.
मनमरजी से खुलता है आइसीयू : अस्पताल में आइसीयू सेवा चालू होने के बाद कोसी जैसे पिछड़े इलाके के लोगों को काफी खुशी हुई थी. लेकिन लोगों की खुशी ज्यादा दिन नहीं रही और उसपर ग्रहण लगना चालू हो गया. कभी डॉक्टर की समस्या तो कभी लो वोल्टेज की समस्या ने इस सेवा को अंदर ही अंदर खोखला कर दिया. स्थिति यह है कि निजी अस्पतालों में खुली आइसीयू कभी खाली नहीं रहता है और सदर अस्पताल का आइसीयू कर्मियों के मनमरजी से कभी कभार ही खुलता है.
बिजली व दवा की समस्या बरकरार
उद्घाटन के बाद से आइसीयू में लो-वोल्टेज की परेशानी बनी हुई है. लो वोल्टेज के कारण आइसीयू में लगा एसी व पंखा ठीक ढ़ंग से काम नहीं कर पाता है. भीषण गरमी में आइसीयू में इलाज कराना दूसरी परेशानी को न्योता देने जैसा है. आइसीयू में इलाज कराने वाले मरीज के परिजनों को हृदय रोग संबंधी दवा बाहर से ही खरीदनी पड़ती है. जानकारी के अनुसार अस्पताल में एंटीबायोटिक, ब्लड प्रेशर की दवा व कुछ स्लाइन ही मिल पाती है. बाकी दवाई बाहर से खरीदनी होती है. सबसे ज्यादा परेशानी 24 घंटा चिकित्सक के नहीं रहने से हो रही है. परेशानी होने पर मौजूद कर्मी द्वारा फोन पर चिकित्सक को बुलाया जाता है. मालूम हो कि आइसीयू में डॉ अखिलेश प्रसाद, डॉ विनय कुमार सिंह, डॉ आरके झा की प्रतिनियुक्ति की गयी है. लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा इन चिकित्सकों से इमरजेंसी ओपीडी सहित अन्य कार्य भी लिए जाते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें