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शिक्षा के नाम पर छात्रों अभिभावकों का दोहन

डेहरी ऑन सोन : गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए शहरी क्षेत्र में दर्जनों की संख्या में कोचिंग संस्थान खोले गये हैं. लेकिन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा इन संस्थानों के बैनर तक ही सीमित है. यही पढ़ कर इंजीनियर डॉक्टर व आइएएस बने, इस तरह की नारेबाजी लिखे कोचिंग संस्थानों की पड़ताल की जाये तो अधिकतर ऐसे […]

डेहरी ऑन सोन : गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए शहरी क्षेत्र में दर्जनों की संख्या में कोचिंग संस्थान खोले गये हैं. लेकिन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा इन संस्थानों के बैनर तक ही सीमित है.
यही पढ़ कर इंजीनियर डॉक्टर व आइएएस बने, इस तरह की नारेबाजी लिखे कोचिंग संस्थानों की पड़ताल की जाये तो अधिकतर ऐसे संस्थान मिलेंगे, जो प्रावधानों का पालन ही नहीं करते. कुकुरमुत्ते की तरह रातों-रात उग आये शिक्षण संस्थानों में न तो पर्याप्त कमरे हैं, न ही प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था और न ही छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय.
फीस का विवरण भी कहीं साफ नहीं है. कोचिंग संस्थान छात्रों को लुभा कर अभिभावकों का आर्थिक दोहन कर रहे हैं. कुछ बड़े कोचिंग संस्थानों ने तो अभिभावकों व छात्रों को कोचिंग में दाखिला कराने के लिए दलालों का नेटवर्क भी खड़ा कर लिया है. प्रति छात्र-छात्रा इन दलालों को अच्छी रकम मुहैया करायी जाती है. शिक्षा के नाम पर आर्थिक दोहन को रोकने में न तो उपाय हो रहे और न ही बिहार कोचिंग संस्थान अधिनियम के तहत पालन. अधिकारियों की उदासीनता और अभिभावकों को समुचित जानकारी नहीं होने का फायदा कोचिंग संस्थान उठा रहे है.
कोचिंग संस्थान चलाने के नियम: राज्य सरकार ने बिहार कोचिंग संस्थान नियंत्रण एवं विनयमन अधिनियम बनायी है. इसके तहत संचालित कोचिंग संस्थानों को निबंधित कराना जरूरी है.
पाठ्यक्रम का निर्धारण व इसके लिये अधिकतम छात्रों की संख्या उल्लेखित की जायेगी.शिक्षकों की योग्यता शिक्षण फीस भौतिक संरचना में समुचित बेंच डेस्क विद्युतीकरण, पेयजल शौचालय स्वच्छता अग्निशमन की व्यवस्था, चिकित्सा सुविधा, साइकिल वाहन की पार्किंग सुविधा आदि देनी है.
एक ही कमरे में दो विषयों की पढ़ाई : शहर के राजपुतान मुहल्ला निवासी ऋषि कुमार कहते हैं कि एक ही कमरे में दो भाग कर अलग-अलग विषयों को पढ़ाया जाता है. बैठने की समुचित व्यवस्था नहीं होती और न ही रोशनी का प्रबंध. शिक्षकों से सवाल करने पर अगले दिन बताने की बात कह टाल देते हैं. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पोस्टर तक ही है. यही हाल सुविधा के नाम पर भी है.
चितरंजन कुमार नामक न्यू एरिया के छात्र ने बताया कि फीस के नाम पर अभिभावक से एकमुश्त रकम ले ली गयी. लेकिन, जिस विषय की तैयारी करनी थी, इस विषय के शिक्षक नहीं है. दूसरे शिक्षक पढ़ाते हैं. अब रकम की वापसी भी नहीं की जा रही है.
छात्रा पूजा कुमारी कहती है कि जिस कोचिंग में तैयारी कर रही है, वहां छात्राओं के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है. एक ही बेंच पर चार-पांच छात्र-छात्राएं बैठ कर पढ़ते हैं. सुरक्षा का भी कोई इंतजाम नहीं है. छात्र मनोज कुमार स्टेशन रोड निवासी ने कहा कि उनके अभिभावक को गलत कनविंस कर के कोचिंग में दाखिला दलालों ने करा दिया. जहां मोटी रकम वसूली गयी, लेकिन शिक्षा व व्यवस्था का समुचित प्रबंध नहीं है.

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