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सरस्वती पूजा की तैयारी शुरू, प्रतिमा निर्माण में जुटे कारीगर

सासाराम ग्रामीण : जिले में सरस्वती पूजा की तैयारी शुरू हो गयी है. विभिन्न जगहों पर कारीगर प्रतिमा निर्माण कर रहे हैं. पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार ज्यादा प्रतिमाएं बनायी जा रही हैं. हालांकि पूजा में अभी 23 दिन शेष हैं, लेकिन विभिन्न पूजा समितियों के सदस्यों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. […]

सासाराम ग्रामीण : जिले में सरस्वती पूजा की तैयारी शुरू हो गयी है. विभिन्न जगहों पर कारीगर प्रतिमा निर्माण कर रहे हैं. पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार ज्यादा प्रतिमाएं बनायी जा रही हैं. हालांकि पूजा में अभी 23 दिन शेष हैं, लेकिन विभिन्न पूजा समितियों के सदस्यों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. कई पूजा समितियों ने प्रतिमा निर्माण का ऑर्डर भी दे दिया है.

शहर से सटे बेदा मोड़, गजराढ़ मुहल्ला, सूखा रौजा व शेरगंज सहित विभिन्न जगहों पर मां सरस्वती की प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है. प्रतिमा को आकार देते हुए कलाकारों के द्वारा मिट्टी का कार्य पूरा कर लिया गया है. अब उसे सूखने को छोड़ दिया गया है. प्रतिमा के सूखने के बाद उसपर रंगाई-पुताई का काम शुरू होगा. मूर्ति कलाकारों ने बताया कि इस बार एक हजार से लेकर 25 हजार रुपये तक की प्रतिमा शामिल हैं.
पूजा समिति के सदस्य जुटे कोष संग्रह की तैयारी में : सरस्वती पूजा का आयोजन विभिन्न गली-मुहल्लों में छोटे-छोटे ग्रुपों में किया जाता है. इस बार भी इसके आयोजन को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं. मुख्यालय में लगभग दो दर्जन से ज्यादा जगहों पर प्रतिमा स्थापित करने की तैयारी में छात्र व युवा जुट गये हैं. अभी से ही छात्र कोष संग्रह कर रहे हैं. जिले में कई जगहों पर बड़े पैमाने पर प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है.
30 जनवरी को मनायी जायेगी सरस्वती पूजा
पंडित सुदर्शन पांडेय ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस बार सरस्वती पूजा 30 जनवरी को मनायी जायेगी. सरस्वती पूजा से ही बसंत पंचमी का आगमन होता है. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7:45 से 11:29 व दोपहर में 2:17 से शाम 4:15 तक रहेगा. उन्होंने सरस्वती पूजा पर चर्चा करते हुए बताया कि ब्रह्मा जी के मानक पर विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती का दुर्भाव बसंत पंचमी के दिन हुआ था. ब्रह्मर्षियों के अनुसार मां सरस्वती को नौ देवियों में सातवें रूप में देखा जाता है. इसे पंचम उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसका उल्लेख भी देवी कवच व दुर्गा सप्तशती में किया गया है.

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