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कभी भी जमींदोज हो सकता है संझौली का पशु अस्पताल

दीवारों में आयी बड़ी-बड़ी दरारें, छत भी कमजोर संझौली : प्रखंड प्रांगण में अवस्थित पशु अस्पताल की स्थिति काफी जर्जर हो गया है. अस्पताल कभी भी धराशायी हो सकता है. पशु चिकित्सक अस्पताल में बैठने से डरते है. यहां तक पशुओं को उपचार करने को लेकर आये लोग भी अस्पताल के इर्द गिर्द जाने से […]

दीवारों में आयी बड़ी-बड़ी दरारें, छत भी कमजोर
संझौली : प्रखंड प्रांगण में अवस्थित पशु अस्पताल की स्थिति काफी जर्जर हो गया है. अस्पताल कभी भी धराशायी हो सकता है. पशु चिकित्सक अस्पताल में बैठने से डरते है. यहां तक पशुओं को उपचार करने को लेकर आये लोग भी अस्पताल के इर्द गिर्द जाने से परहेज करने लगे है. पूरा अस्पताल की दीवार में बड़ी-बड़ी दरारे आने के साथ ही पूरा छत से बरसात का पानी टपकते देखा जा सकता है.
वहीं, खिड़की भी टूटा हुआ है. फर्नीचर के नाम पर कुछ भी नहीं है. पशुओं को उपचार कराने आये पशुपालक पप्पु कुमार ने बताया कि सरकार एक तरफ किसानों के विकास की बात करती है. वहीं दूसरी तरफ संसाधनों पर ध्यान नहीं देती है.
पशुपालक विकास कुमार ने बताया कि अस्पताल का छत चुने के कारण अस्पताल में रखी दवाइंया भींग रही है. जबकि, जय शंकर प्रसाद कहते है इतनी जर्जर स्थिति में अस्पताल देख कर विश्वास ही नहीं होता है कि यहां पशुओं का उपचार भी होता है. स्थानीय लोगों की माने तो अस्पताल के नजदीक पेड़ की छाया में पशुओं का उपचार करने आये पशुपालक बैठ जाते है.
लेकिन, बारिश होने के समय में भींगते हुए उपचार कराना पड़ता है. पशु चिकित्सक डॉ अशोक कुमार सिंह कहते है कि जान जोखिम में डालकर अस्पताल में रखे दवा पशुपालकों को देने के लिए आना जाना पड़ता है. बारिश होने पर अस्पताल अनुसेवक एवं मुझे कमरे में भी छत से टपक रहे पानी से बचने के लिए छाते का सहारा लेना पड़ता है. अस्पताल की स्थिति से वरीय अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है.

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