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संसीमन केंद्र बनेगा इनका नया ठिकाना

कवायद . सेंट्रल जेल की चहारदीवारी से बाहर आयेंगे मिर्जा खान व तौफीक पूर्णिया : सेंट्रल जेल में सजा अवधि पूरी कर चुके कथित विदेशी अफगानी नागरिक मिर्जा खान व बांग्लादेशी तौफिक अब सेंट्रल जेल की चहारदीवारी से शीघ्र ही बाहर होंगे. विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत सेंट्रल जेल में बंद अफगानी गुलाम रसूल उर्फ […]

कवायद . सेंट्रल जेल की चहारदीवारी से बाहर आयेंगे मिर्जा खान व तौफीक

पूर्णिया : सेंट्रल जेल में सजा अवधि पूरी कर चुके कथित विदेशी अफगानी नागरिक मिर्जा खान व बांग्लादेशी तौफिक अब सेंट्रल जेल की चहारदीवारी से शीघ्र ही बाहर होंगे. विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत सेंट्रल जेल में बंद अफगानी गुलाम रसूल उर्फ मिर्जा खान एवं बांग्लादेशी नागरिक तौफिक की सजा पूरी हुए चार वर्ष बीत गये हैं. जेल मुख्यालय द्वारा अफगानी एवं बांग्लादेशी दूतावास से पत्राचार किया गया है. जब तक रिहाई की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक दोनों को संसीमन केंद्र में सुरक्षा के साथ रखा जायेगा. इसके लिए जेल के बाहर निकट ही संसीमन केंद्र बन कर तैयार हो चुका है. जेल अधीक्षक जवाहर लाल प्रभाकर ने स्वीकार किया कि शीघ्र ही मिर्जा खान व तौफिक को जेल से संसीमन केंद्र स्थानांतरित कर दिया जायेगा. इसके लिए सभी विभागीय प्रक्रिया अंतिम दौर में है. हालांकि मिर्जा खान इस बात का खंडन करता रहा है कि वह विदेशी नागरिक है.
रिहाई के लिए इंतजार कर रहे मिर्जा व तौफिक
अफगानी नागरिक गुलाम रसूल उर्फ मिर्जा खान को सदर पुलिस ने आतंकवादी होने के आरोप में कांड संख्या 25/10 के तहत खुश्कीबाग स्टेशन रोड से गिरफ्तार किया था. वह 19 जनवरी, 2010 से पूर्णिया के सेंट्रल जेल में बंद है. इस दौरान न्यायालय सत्रवाद संख्या 992/10 के तहत 13 दिसंबर, 2012 को उसे विदेशी नागरिक अधिनियम की धारा 14 के तहत तीन वर्ष का कारावास एवं तीन हजार रुपये का जुर्माना किया गया, जबकि मिर्जा की कारा अवधि 07 वर्ष 02 माह पूरी हो चुकी है. बांग्लादेशी नागरिक मो तौफिक को केनगर पुलिस ने थाना कांड संख्या 15/10 के तहत 13 जनवरी, 2010 को गिरफ्तार किया था. न्यायालय सत्रवाद संख्या 362/10 के तहत उसे 14 जनवरी, 2013 को विदेशी नागरिक होने की तीन वर्ष की सजा सुनायी गयी थी. वह भी विगत 07 वर्ष 03 माह से जेल में बंद है. अर्थात न्यायालय द्वारा दोनों को जितने दिनों का कारावास की सजा मिली, उससे दोगुने समय से अधिक जेल में वे बिता चुके हैं.
यासिन भटकल से बताये गये थे संबंध : जुलाई 2015 में एसपी (सी) विशेष शाखा पटना ने पूर्णिया एसपी को भेजे गये निर्देश में हैदराबाद के जेल में बंद आतंकवादी यासिन भटकल से मिर्जा खान के तार जुड़ने की बात कही थी. पत्र में कहा गया था कि भटकल अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन आइएसआइएस के सहयोग से जेल से भागने की फिराक में है. पत्र में कहा गया था कि भटकल के मिर्जा से संबंध होने से इनकार नहीं किया जा सकता है. इस निर्देश के बाद जेल के अंदर व बाहर सुरक्षा-व्यवस्था बढ़ा दी गयी थी.
सेंट्रल जेल के बाहर कारागार परिसर में संसीमन केंद्र बन कर तैयार
दूतावास स्तर पर प्रक्रिया पूरी होने तक संसीमन केंद्र में रखा जायेगा
सजा की तय सीमा से दोगुनी अवधि पूरी कर चुके हैं मिर्जा खान व तौफिक
मिर्जा साबित नहीं कर पाया विदेशी है या भारतीय : मिर्जा खान न्यायालय में यह साबित नहीं कर पाया कि वह विदेशी नागरिक नहीं, बल्कि भारतीय है. यदि उसे जेल से सजा पूरी करने के बाद रिहा कर दिया जाता है, तो जेल के बाहर फिर पुलिस मिर्जा व तौफिक को पकड़ लेगी. जेल अधीक्षक ने मिर्जा व तौफिक की रिहाई के लिए कई बार जेल मुख्यालय से पत्राचार किया. यहां तक कि मिर्जा खान भी रिहाई के लिए जेल मुख्यालय से गुहार लगा चुका है.
संसीमन केंद्र के बाहर रहेगी कड़ी सुरक्षा
मिर्जा खान व तौफिक भले ही सेंट्रल जेल की सलाखों से आजाद हो जायेंगे, लेकिन संसीमन केंद्र की व्यवस्था भी किसी कारा से कम नहीं है. जिस भवन में संसीमन केंद्र बनाया गया है, वह पूर्व में जेल आरक्षियों का बैरक था. इसकी उपरी मंजिल को खाली करा कर उसे संसीमन केंद्र में तब्दील कर दिया गया है. दो कमरों के इस संसीमन केंद्र के बरामदे में लोहे की मजबूत सलाखें लगायी गयी हैं. यह सलाखों का घेरा द्विस्तरीय है. इसके अलावा बगल के कमरे में सुरक्षा के लिए पुलिस तैनाती की जायेगी. नीचे के तल पर पूर्व से ही जेल पुलिस रह रही है. इस प्रकार संसीमन केंद्र सुरक्षा के लिहाज से फुलप्रूफ होगा.

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