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बरसात में होगी बड़ी मुश्किल

नगर निगम. ड्रेनेज सिस्टम की आस में बीत गये 13 साल 13 वर्ष बाद भी नगर निगम क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त करने की कवायद अधूरी पड़ी हुई है. इससे हर वर्ष बरसात के मौसम में शहरवासियों को जलजमाव की समस्या झेलनी पड़ती है. निश्चय यात्रा के दौरान मेयर ने मुख्यमंत्री को भी आवेदन देकर […]

नगर निगम. ड्रेनेज सिस्टम की आस में बीत गये 13 साल

13 वर्ष बाद भी नगर निगम क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त करने की कवायद अधूरी पड़ी हुई है. इससे हर वर्ष बरसात के मौसम में शहरवासियों को जलजमाव की समस्या झेलनी पड़ती है. निश्चय यात्रा के दौरान मेयर ने मुख्यमंत्री को भी आवेदन देकर इस परेशानी से अवगत कराया था, लेकिन मामले में अब तक कोई पहल नहीं हुई है. इससे इस वर्ष भी बारिश के मौसम में शहरवासियों को राहत मिलने की संभावना नहीं है.
पूर्णिया : शहर में जलजमाव की समस्या से निबटने की कवायद 13 वर्ष बाद भी अधूरी है.
इस दौरान बड़े-बड़े डीपीआर बने, प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार हुआ और राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक को रिपोर्ट भेजी गयी, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा. हर वर्ष बरसात के दिनों में जलजमाव से लोगों को परेशानी होती है, और यह हर वर्ष बढ़ती ही जा रही है. दरअसल शहर के मुख्य ड्रेनेज से लेकर लिंक ड्रेनेज तक दशकों पुराना है. जिस लिहाज से शहरी विस्तार जारी है.
उस लिहाज से इसका नवनिर्माण और सुदृढ़ीकरण जरूरी है. पर विडंबना यह है कि 2004-05 से लेकर 2016 के दिसंबर तक इस समस्या से शहर को निजात दिलाने की कवायद पर सरकारी मुहर नहीं लग पायी है. स्वच्छता अभियान के साथ हर गली हर घर तक सड़क व नाला निर्माण की योजना पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं. लेकिन इन नालियों व ड्रेनेज तक शहर के गंदे पानी के पहुंचने के कई रास्ते अवरुद्ध हैं. लिहाजा इस बरसात नगरवासियों को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.
मेयर ने सीएम को सौंपा था आवेदन: शहर बदल रहा है और बदलाव की तसवीरें भी दिख रही है. निगम की सत्ता बदली है. इसके बाद शहरवासियों में नयी उम्मीद भी जगी है. स्वच्छता से लेकर आवास, शौचालय एवं सरकार के सात निश्चय पर निगम का कार्य चल पड़ा है. सड़कें बन रही है, नालियों का निर्माण जारी है, लेकिन ड्रेनेज की एक दशक से जारी समस्या बरकरार है. अलबत्ता नौ दिसंबर के निश्चय यात्रा के दौरान मेयर विभा कुमारी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिल कर शहर को सुसज्जित बनाने व योजना पत्र सौंप मदद की गुहार लगायी थी. हालांकि अब तक इस आवेदन के आलोक में कोई कवायद नजर नहीं आ रही है.
इन योजनाओं पर कराया था ध्यान आकृष्ट: मेयर ने मुख्यमंत्री को सौंपे अपने आवेदन के माध्यम से सात निश्चय के तहत वार्डों, गलियों में बनने वाले नालों के जुड़ने वाले लिंक ड्रेनेज की समस्या और उसके निदान के लिए निश्चय योजना में ड्रेनेज निर्माण कार्य को भी जोड़ने की मांग की थी. उद्देश्य यह था कि शहर से जलजमाव की समस्या समाप्त हो सके. इसके अलावा शहर से जलनिकासी के सभी लिंक नालों का निर्माण भी सात निश्चय के तहत करने की मांग आवेदन में की गयी थी.
बरसात में बढ़ सकती है समस्या: आने वाले बरसात से पहले शहर के सभी वार्डों में नालियों का निर्माण सात निश्चय के तहत लगभग पूरा हो जायेगा और सड़कें भी पूरी हो जायेगी. जिस तरह नगर निगम तीव्र गति से सात निश्चय योजना को अमलीजामा पहना रहा है, उससे वार्डों की सूरत बदल रही है, लेकिन मेयर ने सरकार के सात निश्चय में जिन योजनाओं को अपने आवेदन में दर्शाया है, उसमें पहली समस्या मुख्य नालों के निर्माण की है. इससे शहर को जलजमाव की समस्या से छुटकारा मिल सकता है. बावजूद इसके दो महीने बीतने के बाद भी मामले में कोई पहल नहीं दिख रही है. ऐसे में अगले दो महीने के बाद जब बरसात होगी तो फिर जलजमाव की समस्या निगम के पसीने छुड़ाने के साथ शहर में तकलीफों का दायरा भी बढ़ायेगी.
दूर हो सकती है समस्या, अगर योजना पर लगे मुहर
निश्चित तौर पर जिन समस्याओं के बाबत मेयर ने आवेदन मुख्यमंत्री को सौंपा. इसके लागू होने से शहर से जलजमाव की समस्या खत्म हो सकती है. नालियों का सिस्टम सुदृढ़ होने पर बरसात में भी शहर में कहीं जलजमाव की स्थिति नहीं मिलेगी, लेकिन निगम और महापौर के इस प्रयास को सात निश्चय में जगह मिलती है या नहीं, यह अभी समय के गर्भ में है. संशय और अविश्वास के साये इस पहल पर इसलिए बने हुए हैं, क्योंकि पहले भी कई प्रयास सिफर साबित हुए हैं.
2004-05 में बना था करोड़ों का प्रोजेक्ट
तकरीबन 13 वर्ष पहले 2004-05 में भी मुख्य ड्रेनेज सहित अन्य विकास को लेकर करोड़ों की योजना तैयार कर प्रोजेक्ट रिपोर्ट विभाग, राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार को भेजी गयी थी. इसके बाद भी निगम द्वारा लगातार प्रयास जारी रहा, लेकिन प्रोजेक्ट की फाइल विभागीय व सरकारी दफ्तरों की भेंट चढ़ कर रह गयी और जलजमाव की समस्या भी लगातार बढ़ती चली गयी. वजह यह है कि कई जगहों पर लिंक नाले के साथ मुख्य नाला भी अतिक्रमण की जद में है.

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