सभी को भुगतना पड़ता है अपने कर्मों का परिणाम
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मानव जीवन में कर्मों में सुधार सबसे बड़ी साधना
सभी को भुगतना पड़ता है अपने कर्मों का परिणाम लोग अपने-अपने कर्मों में सुधार कर लें, तो धरती पर अमन-चैन हो जायेगा. उक्त बातें जीवन ज्योति केंद्र के आचार्य धर्मस्वरूप साहेब ने कबीर महोत्सव में कही. पूर्णिया : मानव जीवन में कर्मों का सुधार सबसे बड़ी साधना है. अंतोगत्वा अपने-अपने कर्मों के परिणाम सभी को […]
लोग अपने-अपने कर्मों में सुधार कर लें, तो धरती पर अमन-चैन हो जायेगा. उक्त बातें जीवन ज्योति केंद्र के आचार्य धर्मस्वरूप साहेब ने कबीर महोत्सव में कही.
पूर्णिया : मानव जीवन में कर्मों का सुधार सबसे बड़ी साधना है. अंतोगत्वा अपने-अपने कर्मों के परिणाम सभी को भुगतने पड़ते हैं. अवश्यम भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभशुभम. आज कर्मों के बिगड़ने से सर्वत्र चोरी, हिंसा, दुष्कर्म, भ्रष्टाचार, आतंकवाद आदि से त्राहिमाम का वातावरण बन गया है. एक ही उपाय है सारे लोग जिस अवस्था में हैं, अपने-अपने कर्मों का सुधार कर लें तो धरती पर अमन-चैन हो जायेगा. उक्त बातें जीवन ज्योति केंद्र के आचार्य धर्मस्वरूप साहेब ने हवाई अड्डा मैदान में आयोजित 36वां कबीर महोत्सव के दूसरे दिन प्रवचन के दौरान श्रोताओं को संबोधित करते हुए कही.
आचार्य ने कहा कि कर्म ही हमें ऊपर उठाता है और कर्म ही हमें नीचे गिराता है. मनुष्य का जीवन कर्ममय है और धरती कर्मभूमि है. संपूर्ण चराचर की मर्यादा कर्म पर आधारित है. प्रकृति व मानवेतर प्राणियों में स्वभाव से ही कर्म होते हैं, किंतु पशु व मनुष्य योनियों में सुख-दुख है, जबकि प्रकृति में सुख-दुख नहीं होते हैं. मनुष्य विवेकशील प्राणी है. वह लाभ-हानि, सुख-दुखादि का विचार करके कार्य करता है. इसके साथ व्यष्टि-समष्टि के हित-अहित का भी ध्यान रखता है. उन्होंने कहा कि कर्तव्य कर्म के पालन से मनुष्य का जीवन यज्ञमय हो जाता है. अत: संसार से मिले साधनों को संसार की सेवा में लगा देना है. कबीर महोत्सव में आये छत्तीसगढ़ से विजेंद्र साहब, साध्वी करूणा, साध्वी शिखा, वाराणसी से रघुनंदन दास, राजस्थान से गौरव साहब, दिल्ली से टकसार साहब आदि संतों ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया. महोत्सव के दूसरे दिन सोमवार की सुबह पांच बजे योग व ध्यान के साथ दिनचर्या आरंभ हुई. प्रवचन के दौरान भक्ति गीतों का भी आयोजन होता रहा. मंगलवार की संध्या कबीर महोत्सव का समापन होगा.
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