राहत . पैक्सों में धान खरीद की कवायद हुई तेज, बिचौलिये भी सक्रिय
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खुले बाजार में कीमत में तेजी
राहत . पैक्सों में धान खरीद की कवायद हुई तेज, बिचौलिये भी सक्रिय धान की सरकारी खरीद में नमी को लेकर फंसा पेच अब समाप्त हो गया है. जिले के सभी 143 पैक्स व सात व्यापार मंडल में धान की खरीदारी तेज हो गयी है. लिहाजा किसान भी बाजार के बजाय सरकारी धान क्रय केंद्रों […]
धान की सरकारी खरीद में नमी को लेकर फंसा पेच अब समाप्त हो गया है. जिले के सभी 143 पैक्स व सात व्यापार मंडल में धान की खरीदारी तेज हो गयी है. लिहाजा किसान भी बाजार के बजाय सरकारी धान क्रय केंद्रों पर पहुंच सरकारी समर्थन मूल्य का लाभ लेने में जुटे हैं.
पूर्णिया : खुले बाजार में भी धान की कीमत में तेजी देखने को मिल रही है. हालांकि नमी को लेकर सरकारी खरीद में विलंब होने से खुले बाजार में अपनी उपज बेचने वाले किसानों को बीते दिनों परेशानी का सामना करना पड़ा. किसानों को उनके उपज (धान) की सरकारी खरीदारी का समर्थन मूल्य सरकार ने जहां 1470 रुपये बी ग्रेड का तय किया था, वहीं किसान खुले बाजार में 1100 रुपये प्रति क्विंटल धान बेचने को विवश थे. दरअसल पैक्सों में नमी को लेकर पेच फंसा हुआ था.
इसी नमी के पेच में दो माह बीत गये और अधिकांश किसान खुले बाजार में धान बेचने को विवश हुए. जाहिर है कि उन किसानों को 300 से 400 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान उठाना पड़ा. अब जबकि पैक्सों और व्यापार मंडल में धान की खरीदारी तेज हुई है, तो किसानों के चेहरे भी खिल उठे हैं. वहीं खुले बाजार में भी अब धान की कीमत बढ़ कर 1200 रुपये प्रति क्विंटल हो गयी है.
पहले से होता रहा है फर्जीवाड़ा : दरअसल धान की सरकारी खरीद में बिचौलिये और धान के कारोबार से जुड़े वैसे लोग जिनके पास लाखों-करोड़ों का खेल रोजाना होता है, हर बार सक्रिय रहते हैं. ऐसे लोग पहले ही धान खरीद कर अपने गोदामों में इकट्ठा कर लेते हैं. जब नमी को लेकर पैक्स खरीदारी में आनाकानी करते हैं, तब औने-पौने दाम में ऐसे लोग खरीदारी कर धान स्टॉक कर लेते हैं. पैक्सों में जब खरीदारी तेज होती है, तो उन्हीं किसानों के नाम पर वापस बाजार से वह धान सरकारी दर पर क्रय केंद्र पहुंच जाता है, जिसमें प्रति क्विंटल तीन से चार सौ रुपये की आमदनी होती है.
इस खेल में कई बड़े किरदार: स्थिति यह है कि इस बार इस खेल में जुड़े खिलाड़ी बकायदा किसानों को मजबूर कर उन्हें खुले बाजार में धान बेचने को विवश कर रहे हैं. वजह है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी नोटबंदी के बाद जारी कैश निकासी का लिमिट और कैशलेश कारोबार ने मामले को उलझा दिया है. एक तरफ जहां बड़े किसान क्रय केंद्रों पर जा रहे हैं, वहीं छोटे किसान नकदी की जरूरतों को लेकर खुले बाजार में गला कटा रहे हैं. जहां कई बाहरी कंपनियांकैश में धान खरीदारी कर रही हैं. सरकार का पैसा और किसानों का हक दोनों बिचौलिये लूट रहे हैं.
बिचौलिये अब पैक्सों तक बना रहे हैं पहुंच
यह दीगर बात है कि पैक्सों और व्यापार मंडल में धान केवल किसान ही बेच सकते हैं या फिर बटाईदार, जिन्होंने अपना धान बेचने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया है. पर, पैक्सों में तेज हुई खरीदारी से पहले जो किसान खुले बाजार में अपनी उपज (धान) पहले ही नमी के कारण बेच चुके हैं और उनका पहले रजिस्ट्रेशन हुआ है, वैसे किसानों के सहारे कई बिचौलिये अब पैक्सों एवं व्यापार मंडल के क्रय केंद्रों तक पहुंचने की जुगत बिठाने में जुट गये हैं.
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