28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

संपत्ति कर में संशोधन का मामला अधर में

नगर निगम : साल गुजरने के बाद भी नहीं दिख रही सुगबुगाहट पूर्णिया :देखते ही देखते दिन, महीने और साल गुजर गये. संपत्ति कर को लेकर तमाम कयासों व आश्वासनों के बावजूद न तो इस पर कोई फैसला हो सका और न ही जनता को कोई राहत मिली है. हालांकि नगर निगम के बैठकों में […]

नगर निगम : साल गुजरने के बाद भी नहीं दिख रही सुगबुगाहट

पूर्णिया :देखते ही देखते दिन, महीने और साल गुजर गये. संपत्ति कर को लेकर तमाम कयासों व आश्वासनों के बावजूद न तो इस पर कोई फैसला हो सका और न ही जनता को कोई राहत मिली है. हालांकि नगर निगम के बैठकों में संपत्ति कर को लेकर हंगामों का दौर चला और सड़कों पर सामाजिक संगठनों का आंदोलन भी, लेकिन अंतत: वर्ष गुजर गया और स्थिति जस की तस बनी हुई है. हालात यह है कि नगर निगम के बैठकों में शहर के सड़कों के वर्गीकरण को लेकर फैसलों पर लगी मुहर के बावजूद न तो वे फैसले लागू हुए और न ही आम आदमी को नगर निगम द्वारा थोपे गये टैक्स में कोई रियायत ही मिल सकी. बहरहाल हालात यह है
कि नगर निगम अपने चाल में मस्त है और जनता बेहाल. दरअसल शहरी क्षेत्र में नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा संपत्ति कर एवं रिक्त भूमि कर को लेकर बनाये गये प्रावधानों में संशोधन की राह आसान नहीं है. यह दीगर बात है कि बीते दिनों शहर में नगर संघर्ष समिति द्वारा चलाये गये आंदोलन के बाद निगम के बोर्ड व स्थायी समिति पर दबाव बना था, लेकिन नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद द्वारा जारी पत्र के बाद यह स्पष्ट भी हो गया था कि निगम द्वारा विभाग के तय कर निर्धारण पर ही संपत्ति व रिक्त भूमि का कर वसूला जायेगा.
चला था लंबा आंदोलन : दरअसल संपत्ति कर के साथ रिक्त भूमि पर लगे कर एवं कर वृद्धि को लेकर नगर संघर्ष समिति ने वर्ष 2015 में ही आंदोलन का शंखनाद कर दिया था. कई महीनों तक चले आंदोलन में रिक्त भूमि से कर हटाने एवं कर वृद्धि में संशोधन की लगातार मांग के बाद जन दबाव में निगम की बोर्ड ने जनहित में फैसला लिया था और आंदोलन थम गया था. पर, जिस कदर विभाग कर वसूली पर अडिग है, बल्कि नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा जारी निर्देश के बाद जिस तरह शहर की सड़कों का वर्गीकरण का मामला खटाई में पड़ा दिख रहा है, उससे यह लगने लगा है कि संपत्ति कर संशोधन के मामले में दूर-दूर तक कुछ होना संभव नहीं है. यह दिगर बात है कि संपत्ति कर में संशोधन को लेकर आंदोलन करने वाले संगठनों के तेवर आज भी तल्ख हैं, लेकिन नगर निगम की पहल इस दिशा में दो वर्ष बाद भी सुस्त दिखाई पड़ रही है.
तल्ख हैं विभाग के तेवर
संपत्ति कर, रिक्त भूमि कर एवं किराया मूल्य के आधार पर कर की वसूली को लेकर प्रधान सचिव द्वारा जारी पत्र में सशक्त स्थायी समिति के अध्यक्ष एवं मुख्य नगरपालिका पदाधिकारी को आड़े हाथों लेते हुए नगरपालिका अधिनियम 2007 को लागू करने का निर्देश जारी किया गया था. नगरपालिका सशक्त स्थायी समिति कार्य संचालन नियमावली 2010 की धारा 10(4)(क) के अनुसार, कोई प्रस्ताव जो राज्य सरकार के निर्णय के विरुद्ध होगा उसे पारित नहीं करने का सख्त निर्देश जारी किया गया था. जारी निर्देश में मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि कर वसूली निर्धारित संपत्ति कर के आधार पर ही होगी, जो न्यूनतम नौ प्रतिशत है. वहीं संपत्ति कर, रिक्त भूमि कर एवं संपत्ति कर वार्षिक किराया मूल्य के आधार ही लेने का सख्त निर्देश देते हुए अधिनियम का अनुपालन अक्षरश: करने का निर्देश जारी किया है. साथ ही कर से लेकर किसी भी तरह के संशोधन बिल अगर बोर्ड या स्थायी समिति में पारित हुए हैं, तो उसे रद्द करने का निर्देश भी जारी किया गया था. इसके बाद नगर निगम के बैठकों में लिये गये फैसलों पर लगभग ब्रेक लग गया था.
फंस सकता है पेच, राह आसान नहीं
जारी निर्देश के अनुपालन व नगर निगम बोर्ड के फैसलों तथा सामाजिक संगठनों के आंदोलन की राह में नगर विकास एवं आवास विभाग का जारी निर्देश पेच बना हुआ है. वर्ष 2016 में जिस कदर टैक्स वृद्धि के बाद नगर संघर्ष समिति द्वारा चरणबद्ध आंदोलन किया गया था. साथ ही वार्ड पार्षदों द्वारा बोर्ड की बैठक में पूर्व प्रस्तावों में संशोधन कर दोबारा सड़कों का वर्गीकरण करा कर कर निर्धारण करने के बैठक में तय प्रस्ताव के बाद सड़कों पर जारी आंदोलन थम गया था, लेकिन टैक्स वृद्धि पर चर्चा आज भी थमी नहीं है. अलबत्ता टैक्स वसूली को लेकर विभाग के सख्त निर्देश के बाद निगम की कर वसूली की राह आसान नहीं होगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें