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सीएम साहेब! कब तक हो पायेगी विश्वविद्यालय की स्थापना

घोषणा हुई, कवायद भी आरंभ हुई, अब भी अधर में है योजना सूबे के प्राचीनतम जिले में शामिल है पूर्णिया संकल्प यात्रा के दौरान 2013 में रंगभूमि मैदान से की थी घोषणा निश्चय यात्रा के क्रम में फिर इसी मैदान में करेंगे चेतना सभा पूर्णिया : मौका संकल्प यात्रा का था, जब संकल्प यात्रा के […]

घोषणा हुई, कवायद भी आरंभ हुई, अब भी अधर में है योजना

सूबे के प्राचीनतम जिले में शामिल है पूर्णिया
संकल्प यात्रा के दौरान 2013 में रंगभूमि मैदान से की थी घोषणा
निश्चय यात्रा के क्रम में फिर इसी मैदान में करेंगे चेतना सभा
पूर्णिया : मौका संकल्प यात्रा का था, जब संकल्प यात्रा के क्रम में 16 दिसंबर 2013 को सीएम नीतीश कुमार ने पहली बार सीमांचल के शैक्षणिक विकास के लिए नयी सौगात की घोषणा की थी. पूर्णिया में विश्वविद्यालय की घोषणा मात्र ने सीएम को व्यापक समर्थन दिलाया और इसका असर 2014 के लोकसभा चुनाव में दिखा. वहीं अब मौका निश्चय यात्रा का है और 09 दिसंबर को सीएम एक बार फिर उसी रंगभूमि मैदान में चेतना सभा को संबोधित करेंगे.
इसी वर्ष 13 जून को जब सीएम नशामुक्ति अभियान के तहत जिले में जीविका दीदियों की जागरूकता रैली में शामिल हुए थे, तब उन्होंने प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान अपनी घोषणा को अमलीजामा पहनाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को आदेश भी दिये थे. जाहिर है सीएम का आदेश हुआ तो प्रशासन ने तत्परता से इस दिशा में कार्य भी आरंभ किया, लेकिन 06 माह बीत जाने के बावजूद अब भी विश्वविद्यालय की स्थापना केवल फाइलों तक सीमित है.
छह माह में स्थापना का प्रस्ताव ही हो सका तैयार
13 जून को सीएम के आदेश के बाद जिला प्रशासन गंभीर हुआ और विश्वविद्यालय के लिए माकूल जमीन की तलाश भी आरंभ कर दी गयी. इसके लिए मुख्यालय के खुश्कीबाग स्थित कृषि फार्म की जमीन का प्रस्ताव जुलाई माह के अंत में राज्य सरकार को भेज दिया गया. साथ ही विश्वविद्यालय का तात्कालिक कार्यालय पूर्णिया कॉलेज के नवनिर्मित परीक्षा भवन में खोले जाने का प्रस्ताव भेजा गया. इसके बाद यह भी तय हुआ कि अगस्त माह में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव दोनों प्रस्तावित स्थलों का दौरा करेंगे.
इसके बाद प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लग जायेगी. इस बीच पूर्णिया के साथ ही पटना में विश्वविद्यालय स्थापना को लेकर 30 जुलाई को राज्य सरकार के केबिनेट की भी स्वीकृति मिल गयी. वहीं अगस्त में इसके लिए बकायदा गजट का प्रकाशन भी कर दिया गया, लेकिन इसके बाद से इस दिशा में पहल सिफर है और अब तक विश्वविद्यालय स्थापना को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है.
एजुकेशनल हब के रूप में चर्चित है पूर्णिया
पूर्णिया का इतिहास सूबे के प्राचीनतम जिलों का है और इसकी एक पहचान कोसी-सीमांचल के एजुकेशनल हब के रूप में भी स्थापित हो चुकी है. जिले का इतिहास 246 साल पुराना है. सूबे का मुंगेर और पूर्णिया ही ऐसा प्रमंडल है, जहां अब तक विश्वविद्यालय की स्थापना नहीं हो सकी है. हालांकि पूर्णिया में विश्वविद्यालय की स्वीकृति के बाद सरकार द्वारा मुंगेर में भी विश्वविद्यालय को स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है. बताया जाता है कि पूर्णिया में विश्वविद्यालय स्थापना की मांग भी कोई नयी नहीं है.
करीब डेढ़ दशक से भी अधिक समय से यह मांग विभिन्न संगठनों द्वारा उठायी जाती रही है. लेकिन हाल के 05-07 वर्षों में युवाओं की भागीदारी के बाद यह मुहिम तेज हो गयी. दिसंबर 2013 में नीतीश की घोषणा के बाद 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी बनमनखी में आयोजित एक सभा में इस घोषणा को दोहराया था. जाहिर है निश्चय यात्रा के क्रम में नीतीश एक बार फिर जब उसी मंच पर होंगे, जहां से विश्वविद्यालय स्थापना की पहली घोषणा हुई थी, तो लोगों की उम्मीद भरी निगाहें फिर से उन पर टिकी होंगी.
पूर्णिया कॉलेज का परीक्षा भवन, जहां प्रस्तावित है विवि का कार्यालय.
घोषणा से जगी थी आस, फिर होने लगे हैं निराश
जून में सीएम की घोषणा के बाद विवि स्थापना की दिशा में जब कार्य आरंभ हुआ तो काफी उम्मीदें जगी थी. लेकिन एक बार फिर रफ्तार धीमी पड़ जाने से थोड़ी निराशा हुई है. इस दिशा में पहल होनी चाहिए.
डाॅ इश्तियाक अहमद, सदस्य, विवि निर्माण संघर्ष समिति
सरकार ने पूर्णिया वासियों की जरूरत को समझा, इसके लिए उन्हें साधुवाद है. लेकिन घोषणा हुई है, तो इसे शीघ्र ही पूरा करने के लिए पहल भी होनी चाहिए. यह पूर्णिया की जरूरत और अधिकार भी है.
डाू एसके सुमन, सदस्य, विवि निर्माण संघर्ष समिति
विश्वविद्यालय स्थापना की घोषणा होना एक सुखद एहसास था, लेकिन केवल घोषणाओं से काम नहीं होता, धरातल पर भी इस दिशा में काम होना चाहिए. क्षेत्र के शैक्षणिक विकास के लिए यह अनिवार्य है.
डाॅ दिलीप कुमार साह, सदस्य, विवि निर्माण संघर्ष समिति
जिले का इतिहास काफी पुराना है. ऐसे में यथाशीघ्र इस घोषणा पर क्रियान्वयन होना चाहिए. सरकार ने जब इतना बड़ा फैसला लिया है, तो इसके प्रति गंभीरता से और योजनाबद्ध पहल होनी चाहिए.
विजय श्रीवास्तव, समाजसेवी व संघर्षकर्ता
सरकारी प्रक्रियाओं में देर होती है, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि पूर्णिया सूबे का प्राचीनतम जिला है. निश्चित तौर पर विश्वविद्यालय स्थापना की दिशा में धरातल पर कार्य होना आवश्यक है.
डॉ देव नारायण यादव, सदस्य, विवि निर्माण संघर्ष समिति
सीएम की घोषणा के बाद कार्य आरंभ हुआ, लेकिन मंथर गति समझ के परे है. इसके पीछे सरकार की मंशा ही संदेहास्पद प्रतीत हो रही है. विवि स्थापना की दिशा में शीघ्र औपचारिकताएं पूरी होनी चाहिए.
राजेश यादव, युवा नेता व संघर्षकर्ता
उच्चतर शिक्षा से वंचित है सीमांचल की बड़ी आबादी
पूर्णिया प्रमंडल में करीब 43 फीसदी आबादी अकलियत की है. जबकि पिछड़ी जाति की आबादी 27 फीसदी व दलित-महादलित की आबादी 16 फीसदी है. आंकड़ों के अनुसार अशिक्षा, बेरोजगारी और सुविधा के अभाव में यहां के लोग उच्चतर शिक्षा से वंचित रह जाते हैं. इसका मुख्य कारण है कि प्रमंडल के सभी कॉलेज फिलहाल मधेपुरा स्थित बीएन मंडल विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित होते हैं. जाहिर है, विश्वविद्यालय पर छात्रों का अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है.
साथ ही पूर्णिया प्रमंडल के छात्रों की मजबूरी यह है कि विश्वविद्यालय की दूरी अधिकतर इलाकों से 200 से 300 किमी है. इसके कारण छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी होती है. जानकार बताते हैं कि यूजीसी के सभी मानदंडों को पूर्णिया पूरा करता है. इसके साथ ही सरकार द्वारा पूर्णिया में विश्वविद्यालय स्थापना को लेकर जो प्रस्ताव तैयार किया गया है, उससे प्रमंडल के सभी कॉलेज पूर्णिया विश्वविद्यालय के अधीन ही संचालित होंगे और छात्र-छात्राओं को काफी लाभ मिलने की उम्मीद है.

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